Teen Girls Smoking Habit a Serious Health Concern: छोटी एवं किशोर उम्र की लड़कियों में बढ़ा स्मोकिंग का ट्रेंड, खतरे में सेहत

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Wednesday, October 29, 2025

Updated On: Thursday, October 30, 2025

किशोर लड़कियों में तेजी से बढ़ रहा स्मोकिंग का चलन, जो बन रहा है गंभीर स्वास्थ्य चिंता.

स्मोकिंग को हतोत्साहित करने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है. बावजूद इसके, यह पूरे भारत में एक आम समस्या बन गई है. विडंबना ये है कि इस जानलेवा आदत की गिरफ्त में छोटे एवं किशोर उम्र के बच्चे आ रहे हैं. वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण 2019 के अनुसार, 13 से 15 वर्ष की आयु के स्कूली बच्चों में तंबाकू का प्रचलन 8.4 फीसदी था. इतना ही नहीं,11.4 फीसदी बच्चे अपना 7 वां जन्मदिन मनाने से पहले ही सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं. वहीं, 17.2 फीसदी बीड़ी और 24% बच्चे गुटखा, खैनी, ज़र्दा जैसे तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू कर देते हैं.

Authored By: अंशु सिंह

Updated On: Thursday, October 30, 2025

Teen Girls Smoking Trend: भारत में स्कूल जाने वाले किशोरों में स्मोकिंग (Smoking) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है. साथियों का दबाव, माता-पिता की धूम्रपान की आदतें, तनाव, उदासी की भावनाएं, शरीर की छवि को लेकर चिंताएं जैसी भावनात्मक कमजोरियां और खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्तियां किशोरों को स्मोकिंग की ओर धकेल रही हैं. वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण (GYTS) ने भारतीय किशोरों में तंबाकू के उपयोग को एक चिंताजनक प्रचलन बताया है, क्योंकि सिगरेट एवं तंबाकू संबंधी प्रोडक्ट्स बाजार में उनके लिए आसानी से उपलब्ध हैं. हेमा (बदला हुआ नाम) अभी बमुश्किल 12 साल की हैं. लेकिन पर्याप्त पॉकेट मनी मिलने के कारण वे अपने शौक पूरे करने में पीछे नहीं रहती हैं. कुछ समय पूर्व ही दोस्तों की संगत में उन्होंने पहली बार सिगरेट का कश लिया और फिर उसकी ऐसी आदत लग गई कि अब दूसरे मोहल्लों की गुमटियों पर स्मोकिंग करती नजर आ जाती हैं. खुद मां ने उन्हें स्मोकिंग करते देखा और तब से वे अपनी बेटी की सेहत को लेकर चिंता में हैं.

स्मोकिंग के स्वास्थ्य संबंधी खतरे (Dangers of Smoking)

स्मोकिंग के कारण किशोर लड़कियों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं, जिनमें श्वसन और हृदय संबंधी रोग शामिल हैं. इनके अलावा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (Bronchitis), अस्थमा (Asthama) और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) शामिल हैं. जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के एक अध्ययन में पाया गया है कि 50 वर्ष से कम उम्र की स्मोकिंग करने वाली महिलाओं को पुरुषों की तुलना में एक विशेष प्रकार के गंभीर दिल के दौरे का खतरा अधिक होता है. यह बढ़ा हुआ जोखिम एस्ट्रोजन और सिगरेट में मौजूद हानिकारक रसायनों के बीच परस्पर क्रिया के कारण हो सकता है. स्मोकिंग किशोर लड़कियों के प्रजनन स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे प्रजनन संबंधी समस्याओं, गर्भपात और बाद में गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है.

किशोर उम्र लड़कियां हैं महिलाओं से आगे (Teen girls more prone to Smoking)

तंबाकू सेवन या स्मोकिंग की लत की गंभीरता का अंदाजा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी भारत तंबाकू नियंत्रण रिपोर्ट से लगाया जा सकता है, जो कहता है कि देश भर किशोर लड़कियों में स्मोकिंग की प्रवृत्ति दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गई है. इतना ही नहीं, लड़कियों में धूम्रपान की व्यापकता महिलाओं की तुलना में कहीं ज्यादा है, जो युवा पीढ़ी में तंबाकू की लत के बढ़ते चलन की चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाता है. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2009 और 2019 के बीच लड़कियों में स्मोकिंग की दर 3.8 प्रतिशत से बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गई. वहीं, इसी अवधि में लड़कों में धूम्रपान की दर 2.3 प्रतिशत बढ़ी. मनोचिकित्सक आरती आनंद का कहना है कि किशोर लड़कियों में स्मोकिंग के बढ़ते चलन का एक कारण यह है कि वे तेजी से परिपक्व हो रही हैं. दूसरा, लड़कों की तरह वे अक्सर गुस्से से निपटने और दोस्तों के बीच कूल दिखने के लिए सिगरेट का सहारा लेती हैं. यानी साथियों का दबाव भी इस प्रवृत्ति में बड़ा योगदान देता है.

बाजार एवं विज्ञापन का प्रभाव (Impact of market and Advertising)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और वैश्विक तंबाकू उद्योग निगरानी संस्था (STOP) द्वारा संयुक्त रूप से जारी एक रिपोर्ट कहती हैं कि तंबाकू उद्योग किस प्रकार उत्पादों को डिजाइन करता है, उसका विपणन अभियान चलाता है और नीतिगत माहौल को प्रभावित करता है, जिससे कि दुनिया के युवाओं को नशे की लत लग जाती है. कई देशों में तो किशोरों में ई-सिगरेट के उपयोग की दर वयस्कों की तुलना में कहीं अधिक है. दरअसल, तंबाकू उद्योग तंबाकू और निकोटीन उत्पादों को आकर्षक पैकेजिंग वाले गैजेट या खिलौनों के रूप में बेचता है. फलों और कैंडी के स्वादों में बेचे जाने इन प्रोडक्ट्स को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तरह प्रमोट किया जाता है कि युवा उसकी ओर खींचे चले जाते हैं. स्मोकिंग के अलावा वेप्स और ई-सिगरेट का चलन भी युवाओं में तेजी से बढ़ रहा. कंपनियां ई-सिगरेट को सुरक्षित बताकर उसे प्रचारित कर रही हैं, जबकि वे सुरक्षित नहीं हैं.

पैरेंट्स को रखना होगा ध्यान (Parents control is important)

कुछ शोध बताते हैं कि जिन किशोरों के माता-पिता उनके खाली समय की गतिविधियों की निगरानी में सक्रिय रूप से शामिल थे, उनके धूम्रपान करने की संभावना कम थी. यानी किशोरों में स्मोकिंग की लत को दूर करने के लिए पैरेंट्स को आगे आना होगा. उन्हें वेप्स, ई-सिगरेट के खतरों, निकोटीन की लत के संबंध में स्पष्ट जानकारियां देनी होंगी. इसकी शुरुआत जितनी जल्दी करेंगे, उतना अच्छा. उनसे ईमानदार और चीजों को बच्चे के नजरिए से देखने के लिए तैयार रहेंगे. बातचीत एवं चर्चा करते रहने से भी मदद मिलेगी. इससे किसी मित्र द्वारा सिगरेट या ई-सिगरेट की पेशकश करने पर वे संयमित रूप से निर्णय ले सकेंगे.

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About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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