पुतिन का न्यूक्लियर शॉक, ट्रंप के सामने रूस का अजेय ‘स्काईफॉल, क्यों बनी बड़ी चुनौती?

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Thursday, October 30, 2025

Last Updated On: Thursday, October 30, 2025

Putin Nuclear Shock Russias स्काईफॉल न्यूक्लियर हथियार बना अमेरिका के लिए चिंता का कारण, जानें पूरी रिपोर्ट.
Putin Nuclear Shock Russias स्काईफॉल न्यूक्लियर हथियार बना अमेरिका के लिए चिंता का कारण, जानें पूरी रिपोर्ट.

दुनिया एक बार फिर परमाणु हथियारों की दौड़ में उतर आई है, और इस बार पुतिन ने ऐसा दांव खेला है जिससे वॉशिंगटन तक हड़कंप मच गया है. रूस की नई मिसाइल “बुरेवेस्तनिक” (Skyfall) सिर्फ मिसाइल नहीं, बल्कि उड़ता हुआ चेर्नोबिल कही जा रही है, क्योंकि यह परमाणु रिएक्टर से चलती है, असीमित दूरी तय कर सकती है और किसी भी मिसाइल डिफेंस को चकमा देने की ताकत रखती है. अब सवाल है कि क्या ये सुरक्षा है या तबाही का संकेत?

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Last Updated On: Thursday, October 30, 2025

Putins Nuclear Shock Russian: दुनिया फिर से हथियारों की होड़ में उतर आई है, और इस बार मैदान में सबसे आगे है रूस. व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में एक ऐसी मिसाइल का सफल परीक्षण किया है, जो न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बन गई है. इसका नाम है “ब्यूरेवेस्तनिक(Burevestnik) जिसे नाटो देश “स्काईफॉल(Skyfall) कहते हैं.

यह मिसाइल सामान्य नहीं है, क्योंकि इसमें लगा है एक छोटा परमाणु रिएक्टर, जो इसे बना देता है “उड़ता हुआ चेर्नोबिल“. सवाल यही है कि क्या यह तकनीकी चमत्कार है या आने वाला पर्यावरणीय खतरा?

ब्यूरेवेस्तनिक क्या है? एक मिसाइल जो कभी थकती नहीं

बुरेवेस्तनिक एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल है. सामान्य क्रूज मिसाइलें सीमित ईंधन पर चलती हैं और कुछ हजार किलोमीटर तक उड़ती हैं, लेकिन यह मिसाइल 20,000 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय कर सकती है.

इसकी खासियत है कि यह बहुत कम ऊंचाई (50-100 मीटर) पर उड़ती है, जिससे रडार इसे पकड़ नहीं पाता. यह परमाणु वॉरहेड लेकर जा सकती है, यानी अगर यह निशाने पर लगे, तो तबाही का मंजर सोच पाना भी मुश्किल है.

रूसी भाषा में बुरेवेस्तनिक का मतलब होता है “तूफानी पक्षी” – और सच में यह मिसाइल आने वाले तूफान का संकेत बन चुकी है.

यह कैसे काम करती है? परमाणु प्रोपल्शन का कमाल

इस मिसाइल की असली ताकत इसके परमाणु इंजन में छिपी है. इसमें लगा छोटा न्यूक्लियर रिएक्टर हवा को गर्म करता है, जो फैलकर मिसाइल को आगे बढ़ाता है. इसका मतलब है कि इसे पारंपरिक ईंधन की जरूरत नहीं – यह हफ्तों तक लगातार उड़ान भर सकती है.

  • रेंज: 20,000 किमी से अधिक
  • स्पीड: लगभग 1300 किमी प्रति घंटा
  • चालाकी: रास्ते में ट्रैजेक्टरी बदल सकती है, जिससे किसी भी एंटी-मिसाइल सिस्टम को धोखा देना आसान हो जाता है.

यही कारण है कि अमेरिकी और नाटो विशेषज्ञ इसे कहते हैं – “फ्लाइंग चेर्नोबिल”, क्योंकि अगर यह क्रैश हो जाए तो इसके रिएक्टर से रेडिएशन फैल सकता है, जो 1986 की चेर्नोबिल त्रासदी जैसा विनाश मचा सकता है.

चेर्नोबिल जैसा खतरा – रेडिएशन रिस्क सबसे बड़ा डर

इस मिसाइल का सबसे डरावना पहलू है इसका रेडिएशन रिस्क. अगर यह हवा में फेल हो जाए या समुद्र में गिर जाए, तो इसके रिएक्टर से निकलने वाला रेडियोएक्टिव मटेरियल हजारों किलोमीटर तक फैल सकता है.

2019 में ऐसा ही एक हादसा हुआ था, जब आर्कटिक में इसके एक टेस्ट के दौरान विस्फोट हुआ और 5 रूसी वैज्ञानिकों की मौत हो गई. अमेरिका के विशेषज्ञों ने तब चेतावनी दी थी कि “यह उड़ता हुआ चेर्नोबिल है, जो पूरे यूरोप को प्रदूषित कर सकता है.” परमाणु रिसाव न सिर्फ पर्यावरण बल्कि इंसान की आगामी पीढ़ियों के लिए भी खतरा बन सकता है.

विकास की कहानी – असफलताओं से सफलता तक

रूस ने इस प्रोजेक्ट पर काम 2000 के दशक की शुरुआत में शुरू किया था. लेकिन इसे पहली बार 2018 में पुतिन ने सार्वजनिक रूप से दिखाया. तब उन्होंने कहा था कि यह मिसाइल “किसी भी अमेरिकी डिफेंस सिस्टम को बेअसर कर सकती है.”

लेकिन इसकी राह आसान नहीं थी –

  • 2016 से अब तक 13 टेस्ट हुए, जिनमें से सिर्फ 2 आंशिक रूप से सफल रहे.
  • 2019 का विस्फोट रूस के लिए बड़ा झटका था.
  • अमेरिका ने इसी तरह का प्रोजेक्ट “SLAM1950 में शुरू किया था, लेकिन रेडिएशन खतरे के कारण उसे रोक दिया गया.

फिर भी रूस ने हार नहीं मानी. आखिरकार 2025 में पुतिन ने घोषणा की “बुरेवेस्तनिक सफल हुआ है.”

2025 का सफल परीक्षण – नई भू-राजनीतिक चुनौती

2025 के मध्य में रूस ने आर्कटिक की नोवाया ज़ेमल्या टेस्ट साइट से इसका परीक्षण किया. रिपोर्ट्स के अनुसार यह मिसाइल 15 घंटे लगातार उड़ी और 14,000 किमी की दूरी तय की.

इस टेस्ट के दौरान अमेरिकी WC-135 न्यूक-स्निफर प्लेन ने हवा में रेडिएशन की जांच की. नाटो देशों ने अपने सुरक्षा अलर्ट को बढ़ा दिया, जबकि रूस ने घोषणा की “यह मिसाइल अब तैनाती के लिए तैयार है.”

पुतिन ने साथ ही कहा कि “यह हमारी परमाणु सुरक्षा की ढाल है,” लेकिन पश्चिमी देशों का मानना है कि यह न्यूक्लियर बैलेंस को तोड़ने की कोशिश है.

ट्रंप और नाटो के लिए नई सिरदर्दी

अमेरिका और उसके सहयोगी इस मिसाइल को एक “रणनीतिक खतरे” के रूप में देख रहे हैं. क्योंकि यह मिसाइल इतनी दूर तक जा सकती है कि अमेरिकी महाद्वीप भी सुरक्षित नहीं रहेगा.

पुतिन का संदेश साफ है – रूस अब “रक्षा नहीं, प्रतिशोध की क्षमता” रखता है. यही कारण है कि यह मिसाइल डोनाल्ड ट्रंप की संभावित नई सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन सकती है. अमेरिका को अब अपने पुराने मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर दोबारा सोचना पड़ सकता है.

ताकत की दौड़ या विनाश का रास्ता?

  • बुरेवेस्तनिक का सफल परीक्षण विज्ञान की जीत तो है, लेकिन मानवता के लिए बड़ा सवाल भी. क्या यह तकनीकी कमाल दुनिया को सुरक्षित बनाएगा या एक और परमाणु त्रासदी की ओर ले जाएगा?
  • रूस का दावा है कि यह “अजेय” है, लेकिन अगर इसमें ज़रा भी चूक हुई, तो यह सच में उड़ता हुआ चेर्नोबिल साबित हो सकता है.
  • पुतिन की यह मिसाइल अब सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि दुनिया के न्यूक्लियर भविष्य की दिशा तय करने वाली चेतावनी बन चुकी है.

यह भी पढ़ें :- क्या वर्क वीज़ा पर रह रहे भारतीय कपल के अमेरिका में जन्मे बच्चों को अब नहीं मिलेगी अमेरिकी नागरिकता?

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।
Leave A Comment

अन्य खबरें

अन्य खबरें