कौन हैं अनंत सिंह, जिनकी हाईकोर्ट से जमानत मिलने पर बढ़ गई है सियासी सरगर्मियां?

Authored By: सतीश झा

Published On: Tuesday, August 5, 2025

Last Updated On: Tuesday, August 5, 2025

Anant Singh जमानत के बाद मीडिया से घिरे, सियासी हलचल की तस्वीर
Anant Singh जमानत के बाद मीडिया से घिरे, सियासी हलचल की तस्वीर

मोकामा के पूर्व विधायक और चर्चित बाहुबली नेता अनंत कुमार सिंह (Anant Kumar Singh) को पटना हाईकोर्ट (Patna Highcourt) से बड़ी राहत मिली है. सोनू-मोनू के घर पर हुई गोलीबारी के मामले में लंबे समय से जेल में बंद अनंत सिंह को कोर्ट ने जमानत दे दी है, जिससे उनके समर्थकों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है

Authored By: सतीश झा

Last Updated On: Tuesday, August 5, 2025

बिहार की राजनीति में बाहुबली नेता अनंत सिंह (Anant Singh) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के रिश्ते हमेशा चर्चा में रहे हैं. कभी एक-दूसरे के बेहद करीबी माने जाने वाले इन दोनों नेताओं के बीच समय के साथ रिश्तों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला.

अनंत सिंह लंबे समय तक नीतीश कुमार के विश्वासपात्र माने जाते थे. मोकामा से विधायक रहे अनंत सिंह को जदयू का ‘मसलमैन’ भी कहा जाता था. कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए नीतीश कुमार ने एक समय अनंत सिंह पर भरोसा जताया था.

क्या था मामला?

अनंत सिंह पर आरोप था कि उन्होंने सोनू और मोनू नामक युवकों के घर पर गोलीबारी करवाई थी. इस मामले में उन्हें पटना के बेउर जेल में रखा गया था. यह घटना बिहार की राजनीति में काफी चर्चा में रही, क्योंकि अनंत सिंह पहले भी विवादों और आपराधिक मामलों से घिरे रहे हैं.

हाईकोर्ट का फैसला

पटना हाईकोर्ट ने मौजूदा साक्ष्यों और केस डायरी की समीक्षा करने के बाद कहा कि अनंत सिंह को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी जा सकती है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उन्हें न्यायिक प्रक्रिया में नियमित रूप से उपस्थित रहना होगा और किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होना होगा.

बढ़ी सियासी हलचल

अनंत सिंह की जमानत से मोकामा और आसपास के क्षेत्रों में सियासी हलचल तेज हो गई है. उनके समर्थक राजनीति में उनकी वापसी की तैयारियों में जुट गए हैं. माना जा रहा है कि जेल से बाहर आते ही वे फिर से राजनीतिक रूप से सक्रिय हो सकते हैं.

अनंत सिंह का राजनीतिक सफर

अनंत सिंह को ‘छोटे सरकार’ के नाम से भी जाना जाता है. वे मोकामा क्षेत्र में एक मजबूत और प्रभावशाली चेहरा रहे हैं, चाहे उन पर कितने भी आपराधिक मामले क्यों न दर्ज रहे हों. उनका राजनीतिक प्रभाव वर्षों से स्थानीय राजनीति में कायम रहा है.

राजनीतिक दूरी की शुरुआत : टकराव और कार्रवाई

  • 2015 के बाद अनंत सिंह और जदयू (JDU) के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. उन पर दर्ज आपराधिक मामलों और पार्टी की बदलती नीतियों के कारण उनका पार्टी से मोहभंग हुआ. अंततः 2015 में उन्होंने जदयू से इस्तीफा दे दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें जीत भी मिली.
  • वक्त के साथ यह दूरी टकराव में बदल गई। अनंत सिंह के खिलाफ कई गंभीर मामलों में कार्रवाई हुई, जिसमें हथियार और आपराधिक साजिश के मामले शामिल हैं. सरकार द्वारा की गई कार्रवाई को कुछ लोगों ने राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया, जबकि सरकार इसे कानून के पालन की प्रक्रिया बताती रही.

सबकी निगाह इस बात पर कि आगे क्या?

अब सबकी निगाह इस बात पर है कि जेल से रिहा होने के बाद अनंत सिंह का अगला कदम क्या होगा और वे बिहार की राजनीति में किस भूमिका में नजर आएंगे. जमानत मिलने से जहां उनके राजनीतिक विरोधियों को झटका लगा है, वहीं उनके समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. संकेत साफ हैं – बिहार की राजनीति में जल्द ही एक बार फिर अनंत सिंह की धमक सुनाई दे सकती है.

यह भी पढ़ें :- वाकई तेजस्वी का नाम कट गया वोटर लिस्ट से, क्या है असली कहानी?



About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है


Leave A Comment

अन्य खबरें