PK की नई सियासी चाल, पक्ष और विपक्ष पर हुए ऐसे हमलावर
Authored By: सतीश झा
Published On: Thursday, September 4, 2025
Last Updated On: Thursday, September 4, 2025
जन सुराज (Jan Suraj) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (PK) ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है. बिहार बदलाव जनसभा से लेकर पत्रकारों से बातचीत तक, उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पर एक साथ हमला बोला. एनडीए (NDA) के बिहार बंद को उन्होंने “पूरी तरह नाकाम” करार दिया और जनता की भावना को लालू-नीतीश और मोदी से “मुक्ति” चाहने वाली करार दिया.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Thursday, September 4, 2025
PK Political Move Attack: जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (PK) ने अरवल के कुर्था विधानसभा क्षेत्र के किंजर हाई स्कूल मैदान में आयोजित ‘बिहार बदलाव जनसभा’ में एनडीए (NDA) और महागठबंधन (INDIA) दोनों पर तीखा हमला बोला. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने एनडीए के बिहार बंद को पूरी तरह बेअसर बताया और कहा कि जनता अब लालू-नीतीश और मोदी, तीनों से छुटकारा चाहती है.
प्रशांत किशोर (PK) ने कहा, “बिहार बंद का कोई असर नहीं हुआ है. अरवल की इस जनसभा में उमड़ी भीड़ ही इसका सबूत है. इससे पहले भी महागठबंधन ने बंद बुलाया था, उस दिन भी जन सुराज की दो-दो सभाओं में 20-20 हजार से ज्यादा लोग जुटे थे. भाजपा (BJP) और राजद (RJD) दोनों ही जनता को सिर्फ परेशान करने का काम करते हैं. गाड़ियां रोकना और लोगों को असुविधा देना ही इनकी नेतागीरी का तरीका है.”
उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब विकल्प देख रही है. मोदी (Narandra Modi) के डर से लालू (Lalu Yadav) और लालू के डर से मोदी को वोट देने का समय खत्म हो चुका है. इस बार जनता बदलाव चाहती है और नवंबर में इसका नतीजा साफ दिखेगा.”
राजद (RJD) नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के हालिया बयानों पर पलटवार करते हुए प्रशांत किशोर (PK) ने कहा, “तेजस्वी का भ्रष्टाचार और सुशासन पर बोलना ऐसा है, जैसे शेर के शाकाहारी होने की बात करना. ये लोग भ्रष्टाचार और अपहरण की राजनीति के प्रतीक रहे हैं. अगर फिर सत्ता में आए तो वही लूटमार और अपहरण-भ्रष्टाचार की राजनीति लौट आएगी.”
पीके ने तेजस्वी द्वारा नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को ‘नैतिक भ्रष्टाचार का पितामह’ कहे जाने पर कहा कि डेढ़ साल पहले तक तेजस्वी को भी नीतीश में विकास पुरुष दिखते थे. अगर नीतीश उन्हें फिर डिप्टी सीएम बना दें, तो वे दोबारा उनके गुणगान करने लगेंगे.
यह वक्तव्य न केवल दोनों गठबंधनों के लिए चुनौती है, बल्कि यह संकेत भी है कि PK अब खुलकर खुद को एक विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं. उनकी रणनीति साफ है—बिहार की जनता की राजनीतिक थकान और निराशा को साधना. दशकों से लालू-नीतीश (Lalu-Nitish) की राजनीति और हाल के वर्षों में मोदी-शाह (Narendra Modi- Amit Shah) के प्रभाव से उपजी जमीनी बेचैनी को वह भुनाना चाहते हैं.
हालांकि, चुनौती बड़ी है. बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों और गठबंधन की गणनाओं से बंधी रही है. PK को खुद को इन परंपरागत ढांचों से अलग दिखाना होगा और जनता को विश्वास दिलाना होगा कि उनका आंदोलन सिर्फ नारा नहीं बल्कि ठोस विकल्प है.
प्रशांत किशोर के इन बयानों को बिहार की बदलती सियासत के संकेत के रूप में देखा जा रहा है. जहां एक ओर वे एनडीए के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं महागठबंधन पर भी हमलावर होकर जनता के सामने ‘तीसरा विकल्प’ पेश करने की रणनीति में जुटे हैं.
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