हिन्दी सिनेमा के एक युग का अंत, सुप्रसिद्ध फिल्मकार श्याम बेनेगल का 90 साल की उम्र में निधन

हिन्दी सिनेमा के एक युग का अंत, सुप्रसिद्ध फिल्मकार श्याम बेनेगल का 90 साल की उम्र में निधन

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Monday, December 23, 2024

famous filmmaker shyam benegal passed away
famous filmmaker shyam benegal passed away

भारतीय सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान देने वाले दिग्गज फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल का 90 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया। समानांतर सिनेमा के अग्रदूत माने जाने वाले बेनेगल ने मुख्यधारा और कला दोनों फिल्मों में अपने काम से यथार्थवाद, गहराई और कहानी कहने की उत्कृष्टता के लिए व्यापक प्रशंसा अर्जित की। उनके निधन से भारतीय फिल्म निर्माण में एक युग का अंत हो गया।

Authored By: अंशु सिंह

Updated On: Monday, December 23, 2024

बीते 14 दिसंबर को श्याम बेनेगल (Shyam Benegal) का जन्मदिन था। उन्होंने 90 वर्ष पूरे कर लिए थे। इस मौके पर शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह समेत कई फिल्मी हस्तियों ने उनके साथ खूबसूरत पल बिताए थे और जश्न की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थीं। हालांकि, श्याम बेनेगल की बेटी पिया बेनेगल के अनुसार, उनके पिता किडनी की गंभीर बीमारी से संघर्ष कर रहे थे। उन्हें मुंबई के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत गंभीर होती गई और आखिरकार वे सभी को हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए।

फिल्म ‘अंकुर’ से निर्देशन की शुरुआत

श्याम बेनेगल का दुनिया को अलविदा कहना पूरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए बड़ी क्षति है। 1974 में उन्होंने फिल्म ‘अंकुर’ से निर्देशन की शुरुआत की थी। इस फिल्म ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी। इसके बाद उन्होंने निशांत (1975), मंथन (1976), भूमिका (1977) जैसी फिल्में बनाईं। डेयरी आंदोलन पर आधारित ‘मंथन’ पहली ऐसी फिल्म थी, जो दर्शकों के आर्थिक सहयोग से बनाई गई थी। बेनेगल का काम गहरी सामाजिक टिप्पणी और भारतीय समाज के यथार्थवादी चित्रण के लिए प्रसिद्ध था। वे आम लोगों के जीवन की सच्चाई एवं उनके संघर्षों को बखूबी पर्दे पर प्रस्तुत करते थे। उनकी फिल्म जुबैदा को भी काफी पसंद किया गया था।

हिन्दी सिनेमा को दिए नामचीन कलाकार

श्याम बेनेगल ने भारतीय सिनेमा को शबाना आजमी, स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, अमरीश पुरी, अनंत नाग जैसे बेहतरीन कलाकार दिए। फिल्मों के अलावा उन्होंने दूरदर्शन पर आने वाले मशहूर धारावाहिक ‘भारत एक खोज’ के अलावा देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु पर डॉक्यूमेंट्री बनाई। इसके साथ ही ‘कथा सागर’ और ‘कहता है जोकर’ का निर्माण भी किया। 18 राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ श्याम बेनेगल अपनी यथार्थवादी कहानी और व्यावहारिक सामाजिक टिप्पणी के लिए प्रसिद्ध थे। इसने ही उनके काम को मुख्यधारा के सिनेमा से अलग कर दिया। बेनेगल को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने वर्ष1976 में पद्मश्री और वर्ष 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

 

About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।

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