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पंजाब (Punjab) के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई (NRI) कोटे को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा फर्जीवाड़ा

पंजाब (Punjab) के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई (NRI) कोटे को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा फर्जीवाड़ा

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Wednesday, September 25, 2024

NRI quota in punjab medical colleges fraudulent
NRI quota in punjab medical colleges fraudulent

पंजाब के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे में बदलाव को हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी रद्द कर दिया। पंजाब की मान सरकार के इस बदलाब पर यहां तक कह दिया कि यह फर्जीवाड़ा है।

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Updated On: Wednesday, September 25, 2024

पंजाब की भगवंत मान सरकार को सुप्रीम कोर्ट से जबरदस्त फटकार लगी है। मामला प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन कोटा को लेकर था। मान सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटा में कुछ बदलाव किये थे। इस बदलाव के तहत एनआरआई के दूर के रिश्तेदार भी कोटा का लाभ ले सकते थे। चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने इस बदलाव को ख़ारिज कर दिया था।

चंडीगढ़ हाईकोर्ट (Chandigarh High Court) के फैसले को चुनौती सुप्रीम कोर्ट में दी गई। भगवंत मान सरकार (Bhagwant Man Government) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एनआरआई कोटे में यह बदलाव जरूरी है। इस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने न केवल पंजाब सरकार को फटकार लगाई बल्कि साफ शब्दों में कहा कि यह फर्जीवाड़ा है। इसे बंद करना होगा।

Supreme Court exposes fraud in medical college NRI Admissions

एनआरआई कोटा (NRI Kota) पर अधिसूचना

पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार है। 2022 में आम आदमी पार्टी को यहां ऐतिहासिक जीत मिली थी। जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान को मुख्यमंत्री बनाया था। यहां एक सच्चाई यह भी है कि उत्तर भारत में सबसे ज्यादा एनआरआई पंजाब से हैं। इसलिए यहां के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटा शुरू किया गया था।

लेकिन मान सरकार इसमें बदलाव कर इसे बढ़ाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने एनआरआई कोटा के नियमों में बदलाव किया। इसके लिए 20 अगस्त को नोटिफिकेशन जरी किया गया। इस बदलाव के बाद एनआरआई के दूर के रिश्तेदार चाहे वह भारत में ही क्यों न रहते हों, उन्हें भी इस कोटे के तहत मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिल सकता था।

हाईकोर्ट ने रद्द किया था नोटिफिकेशन

अगस्त में जारी अधिसूचना को चंडीगढ़ हाईकोर्ट (Chandigarh High Court) ने इसी महीने निरस्त कर दिया था। चंडीगढ़ हाईकोर्ट में गीता वर्मा और अन्य उम्मीदवारों ने इस कोटे के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। याचिका दायर होने के बाद 28 अगस्त को इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नोटिफिकेशन पर रोक लगा दिया था।

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि राज्य की 20 अगस्त को जारी अधिसूचना, जिसमें दूर के रिश्तेदारों को शामिल करने के लिए एनआरआई उम्मीदवारों की परिभाषा को व्यापक बनाया गया था, ‘पूरी तरह अनुचित’ थी। इसलिए इसे निरस्त किया जाता है।

एनआरआई (NRI) कोटे का मूल उद्देश्य होगा खत्म

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने स्पष्ट किया कि एनआरआई कोटा मूलतः वास्तविक एनआरआई और उनके बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए था। ताकि उन्हें अपने देश में शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिले। यदि इसमें उनके चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाई-बहनों आदि जैसे रिश्तेदारों को एनआरआई कोटे में शामिल कर लिया जाएगा तो इस के मूल उद्देश्य नष्ट हो जाएंगे।

यही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि एनआरआई की परिभाषा को इस तरह विस्तार देने से इसका दुरुपयोग के साथ-साथ धांधली भी बढ़ेगी। इससे बाहर के व्यक्ति भी इस कोटे का लाभ उठाने लगेंगे और अधिक योग्य उम्मीदवार दूर होते चले जाएंगे।

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।
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