From Chawl to Becoming an Youtube Star: अपनी रेसिपीज से जीता दिलों को, यूट्यूब चैनल ‘मधुराज रेसिपी’ से बनाई खास पहचान
Authored By: अंशु सिंह
Published On: Friday, October 17, 2025
Updated On: Friday, October 17, 2025
महाराष्ट्र के एक साधारण से चॉल में पली-बढ़ीं मधुरा बचाल ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन वह अपनी पाककला से लाखों लोगों को प्रेरित करेंगी. लेकिन आज उनका यूट्यूब चैनल, ‘मधुराज रेसिपी’, घर-घर में जाना-पहचाना नाम बन चुका है.
Authored By: अंशु सिंह
Updated On: Friday, October 17, 2025
From Chawl to YouTube Star: महाराष्ट्र के चॉल में बीता जीवन. कभी सपने में भी खयाल नहीं आया कि एक दिन अपनी रेसिपीज से नाम कमाएंगी. पिता की कमाई से मुश्किल से परिवार का भरण-पोषण हो पाता था. उस पर से जब उनका घर छिन गया, चार साल एक निर्माण स्थल पर गुजारने पड़े. लेकिन मधुरा ने संघर्षों के आगे घुटने नहीं टेके. 12वीं की बोर्ड परीक्षा पास करने के बाद छोटे-मोटे काम करने शुरू कर दिए. फिर शादी हो गई. वहां खाना बनाते हुए उन्हें कुकिंग पसंद आने लगी. उन्होंने एक ब्लॉग शुरू किया, जो जल्द ही यूट्यूब चैनल में बदल गया. मधुरा अपनी रेसिपीज के वीडियोज अपलोड करने लगीं. खाना बनाने के उनके सरल, घरेलू तरीके ने दर्शकों को इतना प्रभावित किया कि सब्सक्राइबर्स की संख्या बढ़ने लगी. आज मधुरा के यूट्यूब पर 90 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर्स हैं. चैनल पर दो हजार से ज़्यादा रेसिपीज के वीडियोज और 11 कुकबुक भी हैं. अपने इस प्लेटफॉर्म के जरिए उन्होंने महाराष्ट्र के स्वाद को दुनिया भर के घरों तक पहुंचाया है और साबित किया है कि अच्छे खाने की कोई सीमा नहीं होती.
शादी के बाद शुरू किया खाना बनाना
मधुरा कहती हैं कि लोग कहते हैं कि जिंदगी में जब नींबू मिलें, तो नींबू पानी बना लो. लेकिन मेरा ध्यान उन नींबूओं से अचार, लेमन राइस, लेमन मफिन और भी बहुत कुछ बनाने पर था. आप यकीन नहीं करेंगी कि मैंने शादी से पहले कभी खाना नहीं बनाया था. यूं कह सकते हैं कि मुझे खाना बनाने के बारे में ज्यादा कुछ पता ही नहीं था. दरअसल, इनका पूरा जीवन कॉलेज, काम और ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के फ्रीलांस अवसरों के इर्द-गिर्द घूमता था. सुबह-सुबह कॉलेज के लिए, बाकी दिन 9 से 6 की नौकरी में और शाम को मेहंदी और रंगोली डिजाइनिंग जैसे फ्रीलांस कामों में बीतती थी. इन्होंने अपनी जिंदगी के आठ साल कॉर्पोरेट जगत में तरक्की करते हुए बिताए थे. जब शादी की सही उम्र हुई, तब तक वे एक अच्छी नौकरी कर रही थीं. अच्छे पद पर थीं. आर्थिक रूप से स्वतंत्र थीं. परिवार अच्छी स्थिति में था. वे आगे बताती हैं, ‘साल 2007 में मेरे पति मंगेश को अमेरिका के शिकागो में एक ऑन-साइट नौकरी का मौका मिला. वहां जाकर लगा कि खाली नहीं बैठ सकती. मैंने एक प्रतिष्ठित बैंक में नौकरी कर ली. खाली समय में खाना पकाने के अपने नए शौक को भी तलाशती रही. मुझे मराठी व्यंजनों में रुचि पैदा हुई. मैंने व्यंजनों के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया.’
बेटी के जन्म के बाद शुरू किया यूट्यूब चैनल
मां बनने के पश्चात् मधुरा ने अपनी बेटी की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ने और करियर में बदलाव लाने का फैसला किया. उसी समय डिजिटल दुनिया में यूट्यूब का पदार्पण हुआ था. मधुरा ने इसका फायदा उठाया. बताती हैं, ‘मैं उत्सुक थी. मेरे अंदर की होम शेफ ने कुकिंग वीडियो और रेसिपीज ढूंढ़ना शुरू कर दिया. मुझे इतने सारे वीडियो देखकर हैरानी हुई. दक्षिण भारतीय, पंजाबी, गुजराती से लेकर चाइनीज, फ्रेंच, मैक्सिकन तक, दुनिया भर के व्यंजनों को जीवंत बनाने वाली रेसिपीज मिलीं. लेकिन गहन शोध के बाद एहसास हुआ कि यूट्यूब पर मराठी व्यंजनों का स्वाद गायब है. यहीं से मेरे अंदर की लेखिका, निर्माता, उद्यमी और यूट्यूबर का जन्म हुआ. मुझे नहीं मालूम था कि लोग इसे इतना प्यार देंगे.’ इनका पहला चैनल ‘मधुराज रेसिपी’ अच्छा चल रहा था. 100 हजार का आंकड़ा पार करने पर सिल्वर बटन मिला था. तीन साल की लगातार मेहनत के बाद इन्होंने कमाई करनी भी शुरू कर दी.
चुनौतियों के बीच जारी रखा सफर
मधुरा बताती हैं कि साल 2013 में भारत वापस लौटने पर उन्होंने यूट्यूब पर 6 साल अंग्रेजी में वीडियो बनाए. लोगों की प्रतिक्रिया बहुत अच्छी रही. लेकिन साल 2016 में उन्होंने अपनी मातृभाषा का इस्तेमाल करने का फैसला किया. इस तरह से उनका पहला मराठी चैनल ‘मधुरास रेसिपीज मराठी’ का जन्म हुआ. इसके अलावा इन्होंने ‘मधुराज रेसिपी मसाला’ नाम से इन हाउस ब्रांड भी शुरू किया है. इसका मुख्य उद्देश्य देहाती महाराष्ट्रियन मसालों को आसान और प्रामाणिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराना है. अपने पेशे से जुड़ी चुनौतियों के बारे में वे बताती हैं, ‘शुरुआत में मुझे ब्लॉग बनाने, कंटेंट लिखने, अच्छी क्वालिटी की तस्वीरें लेने और अपने ब्लॉग को ब्रांड बनाने के लिए फ़ेसबुक जैसे पहले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करने जैसी तकनीकी चीज़ों के बारे में बहुत कम या बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी. यह मेरे लिए एक क्रमिक प्रक्रिया थी. मेरा मानना है कि किसी भी चीज की शुरुआत करने के लिए एक विजन होना जरूरी है. विजन के साथ आगे बढ़ने का एक रोडमैप भी आता है. यही चीज इतनी दूर तक आने में वाकई मददगार रही है. मैं बस इतना कह सकती हूं कि अगर ‘कंटेंट किंग है, तो निरंतरता ही कांग है!’
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