रोजमर्रा की आदतें जो चुपके से बढ़ा रही हैं ब्रेस्ट कैंसर का खतरा

Authored By: Nishant Singh

Published On: Friday, October 17, 2025

Last Updated On: Friday, October 17, 2025

रोजमर्रा की आदतों से बढ़ता ब्रेस्ट कैंसर का खतरा – महिलाओं के लिए जागरूकता चित्र.
रोजमर्रा की आदतों से बढ़ता ब्रेस्ट कैंसर का खतरा – महिलाओं के लिए जागरूकता चित्र.

हम रोजमर्रा की जिंदगी में अनजाने में प्लास्टिक के खतरनाक जाल में फंसते जा रहे हैं. हाल ही में रिसर्च में सामने आया है कि माइक्रोप्लास्टिक में मौजूद केमिकल्स हार्मोन को प्रभावित कर सकते हैं, खासकर इस्ट्रोजन को, जो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ाता है. प्लास्टिक कंटेनर, फूड पैकेजिंग और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स हमारी आदतों को खतरनाक बना रहे हैं. जानिए कैसे छोटे-छोटे बदलाव से आप इस खतरे से बच सकते हैं.

Authored By: Nishant Singh

Last Updated On: Friday, October 17, 2025

Breast Cancer Risk Habits: हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक का इस्तेमाल लगभग हर जगह हो गया है. चाहे वह पानी की बोतल हो, खाना पैक करने वाला कंटेनर या पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स, प्लास्टिक हमारे चारों तरफ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि छोटे-छोटे माइक्रोप्लास्टिक के कण हमारी सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं? हाल ही में की गई रिसर्च में यह सामने आया है कि माइक्रोप्लास्टिक में मौजूद कुछ केमिकल्स, जैसे BPA और फ्थेलेट्स, हार्मोन संतुलन को बिगाड़ सकते हैं. खासकर यह इस्ट्रोजन हार्मोन को प्रभावित कर सकते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ाने में मदद करता है.

माइक्रोप्लास्टिक और हार्मोन असंतुलन

वैज्ञानिकों का कहना है कि माइक्रोप्लास्टिक सीधे ब्रेस्ट कैंसर का कारण नहीं बनता. लेकिन इसमें मौजूद रसायन शरीर में जाकर हार्मोन असंतुलन पैदा कर सकते हैं. जब इस्ट्रोजन का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है, तो यह ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के लिए वातावरण तैयार कर देता है. रिसर्च में यह भी सामने आया कि महिलाएं, अनजाने में, अपने रोजमर्रा के कामकाज और आदतों के दौरान इन खतरनाक केमिकल्स के संपर्क में आ रही हैं.

रोजमर्रा की आदतें, जो खतरनाक बन सकती हैं

  1. प्लास्टिक फूड और वाटर कंटेनर का इस्तेमाल – खाने या पानी को प्लास्टिक में रखना और विशेषकर उसे गर्म करना, या धूप में लंबे समय तक रखना, हानिकारक केमिकल्स को रिलीज कर सकता है. ये केमिकल्स सीधे हमारे शरीर में प्रवेश कर हार्मोन को प्रभावित करते हैं. 
  2. पर्सनल केयर और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स – कई लोशन, क्रीम और स्क्रब में माइक्रोबीड्स या प्लास्टिक से बने कण होते हैं. ये त्वचा के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और हार्मोन असंतुलन का कारण बन सकते हैं. 
  3. फूड पैकेजिंग – टेक अवे कंटेनर, क्लिंग फिल्म और अन्य पैकेजिंग, खासकर गर्म या तेलीय खाने में, माइक्रोप्लास्टिक छोड़ सकते हैं. यह भी शरीर में हार्मोन असंतुलन पैदा कर सकता है और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है.

ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कैसे कम करें

हालांकि माइक्रोप्लास्टिक और ब्रेस्ट कैंसर के बीच सीधे कनेक्शन को लेकर अभी रिसर्च जारी है, लेकिन सही जीवनशैली अपनाकर इस खतरे को कम किया जा सकता है. विशेषज्ञों की सलाह है:

  • खाने के लिए प्लास्टिक की जगह ग्लास या स्टील के कंटेनर का इस्तेमाल करें.
  • पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स चुनते समय माइक्रोप्लास्टिक-फ्री या फ्थेलेट्स-फ्री लेबल वाले प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता दें.
  • गर्म खाने या पानी को कभी भी प्लास्टिक में सीधे न रखें.
  • टेक अवे खाने की आदत को कम करें और जितना हो सके रीयूजेबल कंटेनर का इस्तेमाल करें.

इन सरल उपायों को अपनाकर हम न केवल अपने हार्मोनल संतुलन को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के जोखिम को भी कम कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें :- Global Emotional Health Crisis: मानसिक स्वास्थ्य से कहीं अधिक, भावनात्मक संकट से जूझ रही पूरी दुनिया

About the Author: Nishant Singh
निशांत कुमार सिंह एक पैसनेट कंटेंट राइटर और डिजिटल मार्केटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता और जनसंचार का गहरा अनुभव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए आकर्षक आर्टिकल लिखने और कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने में माहिर, निशांत हर लेख में क्रिएटिविटीऔर स्ट्रेटेजी लाते हैं। उनकी विशेषज्ञता SEO-फ्रेंडली और प्रभावशाली कंटेंट बनाने में है, जो दर्शकों से जुड़ता है।
Leave A Comment

अन्य लाइफस्टाइल खबरें