‘हाफ गर्लफ्रेंड’ रिजेक्ट करने पर Anshuman Jha का खुलासा, बोले- ‘विक्रांत मैसी लीड रोल में होते तो मैं…’
Authored By: Galgotias Times Bureau
Published On: Friday, October 17, 2025
Updated On: Friday, October 17, 2025
अभिनेता अंशुमान झा ने हाल ही में बताया कि उन्होंने अर्जुन कपूर की फिल्म 'हाफ गर्लफ्रेंड' में विक्रांत मैसी वाली भूमिका क्यों ठुकराई. उन्होंने कहा कि फिल्म में सही कास्टिंग बहुत मायने रखती है और अगर कहानी या किरदार उनसे जुड़ न पाए, तो वह प्रोजेक्ट नहीं करते.
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Updated On: Friday, October 17, 2025
अभिनेता अंशुमान झा (Anshuman Jha) ने हाल ही में अपनी पहली निर्देशित फिल्म लॉर्ड कर्जन की हवेली के जरिए निर्देशन की दुनिया में कदम रखा है. उनका मानना है कि फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी कास्टिंग है. उन्होंने कहा कि अर्जुन माथुर, रसिका दुग्गल, परेश पाहुजा और ज़ोहा रहमान जैसे कलाकारों का सही चयन ही इस फिल्म को खास बनाता है. अंशुमान के अनुसार, अगर किसी फिल्म में ऐसे कलाकार हों जो किरदारों के अनुरूप हों, तो भले ही कहानी साधारण हो, दर्शक उससे भावनात्मक रूप से जुड़ पाते हैं और यही वजह है कि ऐसी फिल्में ज़्यादा प्रभाव छोड़ती हैं.
अंशुमान झा ने क्या कहा?
अभिनेता-निर्देशक अंशुमान झा ने बताया कि उन्होंने ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ (2017) में अर्जुन कपूर के दोस्त की भूमिका इसलिए ठुकराई थी क्योंकि उन्हें फिल्म की कास्टिंग सही नहीं लगी. उन्होंने कहा, मुझे वो रोल ऑफर हुआ था जो बाद में विक्रांत मैसी ने किया.अगर विक्रांत को मुख्य भूमिका दी जाती, तो मैं वह किरदार निभाने को तैयार था. मेरे लिए रोल का आकार नहीं फिट होना ज़्यादा मायने रखता है. ‘
उन्होंने आगे कहा, अगर 12वीं फेल में वही अभिनेता होते जो हाफ गर्लफ्रेंड में थे, तो शायद फिल्म इतनी सफल नहीं होती. विक्रांत की ईमानदारी और विधु विनोद चोपड़ा का भरोसा ही फिल्म की असली ताकत है. सही किरदार में सही कलाकार ही दर्शकों से जुड़ाव बनाता है. ‘
अंशुमान झा ने अर्जुन माथुर की तारीफ की
अंशुमान झा ने अपने मुख्य अभिनेता अर्जुन माथुर की जमकर तारीफ की और कहा कि उन्हें पर्याप्त मौके नहीं मिल रहे, जो दुख की बात है. उन्होंने कहा, ‘अर्जुन माथुर जैसे टैलेंटेड और इंटरनेशनल स्तर पर पहचाने जाने वाले अभिनेता को वैसा काम नहीं मिल रहा जैसा मिलना चाहिए. मैं साफ तौर पर कह सकता हूं कि वे भारत के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं में से एक हैं और उन्हें और काम करना चाहिए. ‘
उन्होंने आगे कहा कि जब अच्छी फिल्मों और कलाकारों को पहचान नहीं मिलती, तो इंडस्ट्री की गुणवत्ता पर असर पड़ता है. ‘हम खुद उस संस्कृति का हिस्सा बन चुके हैं, जो औसत फिल्मों को बढ़ावा देती है. जुगनुमा और होमबाउंड जैसी शानदार फिल्में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पातीं, जबकि आम फिल्में हिट हो जाती हैं. फिर लोग शिकायत करते हैं कि बॉलीवुड घटिया फिल्में क्यों बना रहा है. उन्होंने कहा, ‘सच्चाई ये है कि सब कुछ ईमानदारी और दर्शकों की पसंद पर निर्भर करता है.’
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