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Lifestyle Diseases Screening : 30 प्लस के लोगों की सरकार के तरफ से होगी बीपी शुगर की जांच
Lifestyle Diseases Screening : 30 प्लस के लोगों की सरकार के तरफ से होगी बीपी शुगर की जांच
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, February 21, 2025
Updated On: Friday, February 21, 2025
Lifestyle Diseases Screening : भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय ने नॉन कम्युनिकेबल डिजीज का बोझ कम करने के लिए 30 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी लोगों की जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों- शुगर, बीपी और तीन आम कैंसर- ओरल, ब्रेस्ट और सर्विकल कैंसर की जांच 31 मार्च तक कराएगी.
Authored By: स्मिता
Updated On: Friday, February 21, 2025
भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय ने नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के बोझ को कम करने के लिए समय रहते पता लगाने का एक अभियान शुरू किया है. इसके तहत 30 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी लोगों की 100% जांच का लक्ष्य रखा गया है. भारत ने जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बोझ को कम करने के लिए समय रहते पता लगाने के अपने अभियान के तहत इन रोगों की जांच तेज कर दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज 30 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी व्यक्तियों में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और तीन आम कैंसर- ओरल, ब्रेस्ट और सर्विकल कैंसर जैसी प्रचलित बीमारियों की जांच के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है. इसका लक्ष्य सभी संवेदनशील आबादी को 100% कवर (Lifestyle Diseases Screening) करना है.
एनसीडी के कारण हर साल 4.1 करोड़ लोगों की मौत (Non Communicable Disease causes 4.1 crore death)
गहन अभियान नॉन कम्युनिकेबल डिजीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए चल रहे राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) पहल का हिस्सा है. इसके तहत 31 मार्च तक एनसीडी जांच के लिए 50 करोड़ लोगों को लक्षित किया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल एनसीडी (Non Communicable Disease) के कारण 4.1 करोड़ लोगों की मौतें हो जाती हैं. यह वैश्विक स्तर पर होने वाली कुल मौतों का 74% है. चार प्रमुख एनसीडी हृदय संबंधी रोग, कैंसर, पुरानी श्वसन संबंधी बीमारियां और मधुमेह हैं. इनमें चार सामान्य व्यवहार संबंधी जोखिम कारक हैं: अनहेल्दी डाइट, शारीरिक गतिविधि की कमी, तंबाकू का उपयोग और शराब का सेवन.
भारत में मरीजों का डेटा ( Patient’s Data in India)
भारत के लिए नवीनतम डेटा आसानी से उपलब्ध नहीं है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की 2017 की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत में एनसीडी के कारण होने वाली मौतों का अनुपात 1990 में 37.9% से बढ़कर 2016 में 61.8% हो गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 में हृदय संबंधी बीमारियों के 5.45 करोड़ मामले, इस्केमिक हृदय रोगों के 2.38 करोड़, स्ट्रोक के 65 लाख, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के 5.5 करोड़, अस्थमा के 3.8 करोड़ और डायबिटीज के 6.5 करोड़ मामले थे.
अधिकतम स्क्रीनिंग कवरेज (Screening Coverage)
स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल के तहत, प्रशिक्षित मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा), सहायक नर्सिंग मिडवाइफरी (एएनएम) और फ्रंटलाइन कार्यकर्ता अधिकतम स्क्रीनिंग कवरेज सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाएंगे. केंद्र ने राज्य और केंद्र सरकारों को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर ब्लड प्रेशर मॉनिटर (blood pressure monitor), ग्लूकोमीटर और आवश्यक दवाओं सहित आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश रोजाना शाम 6 बजे तक स्वास्थ्य मंत्रालय को अपडेट देंगे. इससे निरंतर निगरानी और तकनीकी सहायता मिल सकेगी.
गैर-संचारी रोगों की रोकथाम (Non Communicable Disease Prevention)
यह अभियान राष्ट्रीय गैर-संचारी रोगों की रोकथाम (Non Communicable Disease Prevention) और नियंत्रण कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के तहत आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (एएएम) और देश भर में विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं में चलाया जाएगा. वास्तविक समय की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए स्क्रीनिंग, उपचार और फॉलो-अप का डेटा एनसीडी पोर्टल (NCD Portal) पर रोजाना अपलोड किया जाएगा. इससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी. 2018 में शुरू किया गया राष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल (NCD Portal), रोगी डेटा का प्रबंधन करता है. यह स्वास्थ्य रिकॉर्ड को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) आईडी के साथ एकीकृत करता है.
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