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टीवी एक्टर मोहसिन खान को हुआ था Heart Attack, नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज बन रहा कम उम्र में दिल का दौड़ा पड़ने का कारण
टीवी एक्टर मोहसिन खान को हुआ था Heart Attack, नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज बन रहा कम उम्र में दिल का दौड़ा पड़ने का कारण
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, August 23, 2024
Updated On: Friday, August 23, 2024
अभी कुछ दिन पहले टीवी एक्टर मोहसिन खान को माइल्ड हार्ट अटैक हुआ था। उनके डॉक्टरों ने नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज को इसके लिए जिम्मेदार बताया था। यहां विशेषज्ञ बता रहे हैं खराब लाइफस्टाइल के कारण होने वाला नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज कैसे करता है हार्ट हेल्थ को प्रभावित।
Authored By: स्मिता
Updated On: Friday, August 23, 2024
हाल में 31 वर्षीय टीवी एक्टर मोहसिन खान ने एक बातचीत के दौरान बताया कि पिछले साल उन्हें हल्का दिल का दौरा पड़ा था। इसकी वजह उन्होंने फैटी लीवर की समस्या बताई थी। दरअसल, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के एक्टर मोहसिन खान पिछले साल लगातार कई दिनों तक शूटिंग कर रहे थे। उनकी रात की नींद भी पूरी नहीं हो पा रही थी। बहुत अधिक व्यस्त रहने के कारण उनका खानपान और लाइफस्टाइल प्रभावित हो गया था। डॉक्टर ने उनके माइल्ड हार्ट अटैक की वजह नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज बताया। इन दिनों युवा भारतीयों में एनएएफएलडी के कारण हार्ट अटैक होने के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज पूरी तरह से खराब लाइफस्टाइल जैसे कि खराब आहार, शारीरिक गतिविधि में कमी, मोटापा और अपर्याप्त नींद से जुड़ा होता है। इसे खत्म करने की कोई दवा तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन बचाव के कुछ उपाय किये जा सकते हैं।
खराब लाइफस्टाइल नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज ट्रिगर करता है (Non Alcoholic Fatty liver disease)
दिल्ली के नेशनल हार्ट इंस्टिट्यूट में सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. बिक्रम केशरी मोहंती बताते हैं, ‘जीवनशैली (Lifestyle) की आदतें एनएएफएलडी का कारण बनती हैं। प्रोसेस्ड फ़ूड, शुगर और अनहेल्दी फैट से भरपूर आहार, गतिहीन जीवनशैली के साथ मिलकर शरीर का वजन बढ़ा (Weight Gain) देता है। इसके कारण इंसुलिन रेसिस्टेंस (Insulin Resistance) की समस्या होती है, जो फैटी लीवर के जोखिम कारक हैं। नींद की कमी के कारण हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जो लीवर में फैट के संचय को बढ़ाता है। अपर्याप्त नींद हाई कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों की क्रेविंग से जुड़ा है। यह वजन बढ़ाने और लीवर में वसा के जमाव में योगदान देती है।’
क्या है फैटी लिवर (Fatty liver)
डॉ. बिक्रम केशरी मोहंती बताते हैं, ‘अधिक कैलोरी के कारण लिवर में फैट जमा होने लगता है। लीवर फैट को सामान्य रूप से प्रोसेस और ब्रेकडाउन नहीं कर पाता है। इसके कारण बहुत अधिक फैट जमा हो जाता है। मोटापा, डायबिटीज या हाई ट्राइग्लिसराइड्स जैसी कुछ स्थिति भी व्यक्ति में फैटी लीवर विकसित करने की संभावना बढ़ा सकती है। यह दो तरह से हो सकता है।
अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (Alcoholic Fatty liver disease)
बहुत अधिक शराब पीने से लीवर में फैट बन और जमा हो सकता है। इसे अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज कहा जाता है। इसके लक्षण आमतौर पर पता नहीं चलते हैं। बहुत अधिक अल्कोहल शरीर में कई अन्य तरह की समस्या पैदा करने लगता है।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (Non Alcoholic Fatty liver disease)
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का कारण तो अब तक जाना नहीं जा सका है। मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल, टाइप 2 डायबिटीज, गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी इसके जोखिम को बढ़ा देते हैं। इसके साथ निगेटिव पॉइंट यह है कि लोगों में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। कुछ लोगों को थकान, दर्द या वेट लॉस का अनुभव हो सकता है। लीवर में सूजन और लिवर सिरोसिस हो सकता है।
हार्ट हेल्थ को कैसे प्रभावित करता है नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (Heart Health)
डॉ. मोहंती के अनुसार, लीवर में फैट के जमा होने से सूजन हो जाती है। इसके कारण इंसुलिन रेसिस्टेंस भी होता है। दोनों ही समस्या हार्ट के फंक्शन को प्रभावित कर सकती हैं। लीवर और हार्ट आंतरिक रूप से जुड़े होते हैं। जब लीवर में जमा फैट जब सूजन को ट्रिगर करता है, तो यह हार्ट वेसल्स को मोटा कर देता है। इससे ब्लड फ्लो प्रभावित होता है। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के मरीज में अक्सर एथेरोस्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। इसमें आर्टरी प्लाक से भर जाती हैं। इससे दिल का दौरा पड़ता है। फैट और शुगर भी हाई कोलेस्ट्रॉल और बढे हुए ट्राइग्लिसराइड लेवल का कारण बन सकती है। इससे हार्ट पर और अधिक बोझ पड़ता है।
साउंड स्लीप नहीं होना भी एक कारण (Sound Sleep)
नींद पूरी नहीं होने पर भी यह नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज और हार्ट संबंधी जोखिम को और बढ़ा देती है। साउंड स्लीप नहीं होने पर हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट संबंधी समस्या विकसित होने की संभावना अधिक होती है। यह आंशिक रूप से मेटाबोलिज्म और सूजन संबंधी गड़बड़ी के कारण होती है, जो नींद की कमी और फैटी लीवर रोग दोनों से जुड़ी होती है।
एनएएफएलडी को मैनेज किया जा सकता है (Non Alcoholic Fatty liver disease treatment)
लीवर में वसायुक्त परिवर्तन को खत्म करने के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है। फैटी लीवर के कारणों को नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग दवाएं उपलब्ध हैं। ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने वाली दवाएं डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेनी चाहिए। जीवनशैली में बदलाव, स्वस्थ आदतें विकसित कर, स्मोकिंग छोड़कर, वेट मैनेजमेंट कर एनएएफएलडी को मैनेज किया जा सकता है।
रिफाइंड शुगर, अनहेल्दी फैट और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार को पूरी तरह एवॉइड करें। तले हुए खाद्य पदार्थ और ट्रांस फैट से भरपूर स्नैक्स से बचना चाहिए। इसकी बजाय साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट लेना चाहिए।