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क्या नौतपा में आज से और सताएगी सूर्य की तपिश
क्या नौतपा में आज से और सताएगी सूर्य की तपिश
Authored By: ओम दत्त
Published On: Saturday, May 25, 2024
Updated On: Saturday, July 27, 2024
इन दिनों समूचे उत्तर भारत में गर्मी के तीखे तेवर के कारण पारा लगातार ऊपर जा रहा है। राजस्थान के कई इलाकों में तो तापमान 47 डिग्री सेल्सियस के भी पार चला गया है। ऐसे में कामकाज के लिए बाहर निकलने वाले लोग गर्मी की तपिश और उमस से छटपटा रहे हैं। आज से नौतपा भी लग रहा है। माना जाता है कि नौतपा के नौ दिनों में सूर्य पृथ्वी के और नजदीक होते हैं, जिससे धरती का ताप और बढ जाता है....
Authored By: ओम दत्त
Updated On: Saturday, July 27, 2024
आज 25 मई, 2024 यानी शनिवार से “नौतपा” शुरू हो रहा है जिसमें गर्मी के तेवर और भी तीखे होने वाले हैं। “नौतपा” 25 मई से लेकर 2 जून तक लगातार 9 दिनों तक रहेगा। बता दें कि नौतपा ग्रीष्म ऋतु की सबसे अधिक गर्मी वाले दिन होते हैं। मौसम विभाग के अनुसार इस बार नौतपा जमकर तपेगा। उत्तर भारत के ज्यादातर शहरों में तापमान 45 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, 25 मई, 2024 शनिवार को 3 बजकर 16 मिनट पर सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 8 जून को सुबह 1 बजकर 16 मिनट तक रहेंगे। इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। रोहिणी नक्षत्र 15 दिन रहता है लेकिन शुरू के पहले के 9 दिन (25 मई से 2 जून तक) ‘नौतपा’ कहलाते हैं।
नौतपा के दौरान लगातार 9 दिनों तक सूर्य देव उग्र रूप में रहते हैं जिससे धरती का तापमान बढ़ जाता है और भीषण गर्मी के साथ लू भी चलती है।
ज्योतिष शास्त्र में नौतपा को पारिभाषित किया गया है-
“ज्येष्ठ मासे सीत पक्षे आर्द्रादि दशतारका।”
सजला निर्जला ज्ञेया निर्जला सजलास्तथा।।
अर्थात ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा नक्षत्र से लेकर दस नक्षत्रों तक यदि बारिश हो तो वर्षा ऋतु में इन दसों नक्षत्रों में वर्षा नहीं होती, यदि इन्हीं नक्षत्रों में तीव्र गर्मी पड़े तो वर्षा अच्छी होती है।
ज्योतिष विज्ञान विकट होगी स्थिति
इस बार वक्री ग्रहों की विकट स्थिति के कारण प्राकृतिक आपदाओं के आने का संयोग बना हुआ है, जिससे महामारी, भीषण गर्मी, आंधी, तूफान के साथ हवा, आगजनी, हवाई दुर्घटनाएं, राजनैतिक उथल-पुथल की स्थितियां बनी हैं। शनि मंगल की स्थिति जल तत्व में होने से कहीं-कहीं बादल फटने के समाचार भी मिलेंगे। कहीं वर्षा से जन-धन की हानि के योग भी बनते हैं। इस बीच भीषण गर्मी के अलावा बारिश भी हो सकती है।
बताया जाता है कि नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर आती हैं, जिस कारण तापमान बढ़ जाता है। अधिक गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है, जिससे समुद्र की ओर से चलने वाली ठंडी हवाएं मैदानों की ओर बढ़ती हैं और हवाओं के रुख अच्छी बारिश का संकेत देते हैं।
इस बात के नहीं हैं वैज्ञानिक प्रमाण कि गर्मी पड़ेगी ही
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बात के तथ्यात्मक प्रमाण नहीं हैं कि इन नौ दिनों में सूर्य धरती के नजदीक रहता है जबकि यह साइंटिफिकली प्रमाणित है कि सूर्य धरती के सबसे नजदीक 21 जून को रहता है। उनके अनुसार यह प्रमाणित तथ्य नहीं है कि नौतपा के दौरान भीषण गर्मी ही पड़ेगी क्योंकि इस बीच में बारिश होने की संभावना है जिससे अधिकतम तापमान में गिरावट आएगी और लोगों को गर्मी से कुछ राहत भी मिल सकती है। मौसम परिवर्तनशील है और यदि इन 9 दिनों में से कुछ दिन साल के सबसे गर्म दिन हो जाएं तो यह महज एक संयोग होगा।
सूर्यदेव की पूजा करने से सकारात्मकता आयेगी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि नौतपा के दौरान सूर्यदेव की पूजा करने से कुंडली में इस ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। प्रतिदिन सूर्योदय में उठकर स्नान आदि करके तांबे के लोटे में जल लेकर अर्घ्य देते हुए सूर्य को देखें। माना जाता है कि ऐसा करने से सकारात्मकता का संचार होता है।
“नौतपा” में पौधारोपण करना होता है बहुत शुभ
प्रचंड गर्मी का मनुष्यों के साथ साथ प्रकृति पर भी प्रभाव पड़ता है, इसलिए शास्त्रों में इस दौरान वृक्षारोपण करने को बहुत ही पुण्यदायी माना गया है। ऐसा करने से ग्रह-दोष शांत होते हैं और पितृ प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों में तो वृक्षारोपण को संतानोत्पत्ति के समान माना गया है। पद्म पुराण (Padma Purana) में बताया गया है कि यदि किसी दंपति को संतान नहीं है तो उन्हें पौधा लगाना चाहिए क्योंकि पेड़ भी संतान के समान होते हैं।
“नौतपा” में शमी, तुलसी, करी पत्ता, आम, आंवला और केले के खास पौधे हैं जिन्हें लगाना शुभ माना गया है। वराह पुराण (Varaha Purana) के मुताबिक, एक पीपल, एक नीम, एक बरगद, दो अनार, दो नारंगी, पांच आम और दस फूलों वाले पौधे लगाने से नरक से मुक्ति मिलती है।
नौतपा में रखें सेहत की सावधानियां
इन दिनों में लू लगने, डिहाइड्रेशन के कारण डायरिया होने, पेचिस और उल्टियां होने की आशंका बढ़ जाती है। कई बार सिर में खून के गर्म होने से व्यक्ति की जान भी चली जाती है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कुछ सावधानियां जिसका ध्यान रखने से सेहत को नहीं होगा खतरा-