Lifestyle News
Colorectal Cancer : लो फाइबर फ़ूड बढ़ा सकता है कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा
Colorectal Cancer : लो फाइबर फ़ूड बढ़ा सकता है कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, March 12, 2025
Updated On: Wednesday, March 12, 2025
Colorectal Cancer : कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने हालिया शोध के निष्कर्ष में बताया कि कम कार्ब वाले आहार और कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम के बीच संबंध पाया गया है. हाल के वर्षों में बच्चों, किशोरों और वयस्कों में कोलोरेक्टल कैंसर की दर बढ़ी है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Wednesday, March 12, 2025
कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने हाल ही में विभिन्न प्रकार के आहार और बैक्टीरिया का अध्ययन किया. इसके माध्यम से वे यह पता लगाना चाहते थे कि आंत के माइक्रोबायोम और आहार का कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) के विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है. वैज्ञानिकों ने तीन अलग-अलग आहारों को तीन अलग-अलग बैक्टीरिया के प्रकारों के साथ मिलाया. आहार और बैक्टीरिया के आंत पर प्रभाव को देखा गया. उन्होंने पाया कि कम कार्ब और कम फाइबर आहार को एस्चेरिचिया कोली के एक विशेष प्रकार के साथ मिलाने से कोलन में पॉलीप्स में वृद्धि हुई है. इससे कोलोरेक्टल कैंसर विकसित (Colorectal Cancer) हो सकता है.
चूहों पर की गई स्टडी ( study on Rats)
इन दिनों कीटो आहार की लोकप्रियता खूब बढ़ गई है. ये कम कार्ब वाले आहार माने जाते हैं. इस आहार के स्वास्थ्य पर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं. शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में चूहों का इस्तेमाल किया. उन्होंने कम कार्ब और वेस्टर्न फ़ूड और बैक्टीरिया के अलग-अलग प्रकारों पर अध्ययन किया. उन्होंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि क्या ये आहार कुछ बैक्टीरिया को प्रभावित करते हैं. ये आहार कोलोरेक्टल कैंसर के विकास में कैसे योगदान दे सकते हैं.
लो कार्ब आहार विकसित करते हैं पॉलीप्स (Low Carb Diet for Polyps)
उनके अध्ययन के परिणामों से पता चला कि एस्चेरिचिया कोली का एक प्रकार कम कार्ब आहार से नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है. वैज्ञानिकों ने पाया कि इससे पॉलीप्स का विकास बढ़ जाता है. कुछ पॉलीप्स में कोलोरेक्टल कैंसर विकसित होने की संभावना होती है। यह अध्ययन नेचर माइक्रोबायोलॉजी ट्रस्टेड सोर्स में प्रकाशित हुआ था.
कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं कम कार्ब वाले आहार और ई. कोली (Low Carb Diet and E.Coli Effect)
शोधकर्ताओं ने चूहों को नौ सप्ताह तक विशिष्ट आहार खिलाया. इसके बाद वैज्ञानिकों ने पॉलीप विकास की जांच की. 16 सप्ताह बाद पॉलीप विकास को फिर से मापा गया. परीक्षण किए गए बैक्टीरिया और आहारों में से केवल कम कार्ब आहार और ई. कोली के संयोजन ने कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को बढ़ाने की क्षमता दिखाई. यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि अध्ययन लेखकों के अनुसार ई. कोली 60% कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में मौजूद था. इस संयोजन में चूहों में पॉलीप्स और ट्यूमर की संख्या अधिक थी, जो कोलोरेक्टल कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं. इन चूहों में डीएनए क्षति और अन्य मार्कर भी दिखाई दिए, जो कोलोरेक्टल कैंसर के विकास के हाई रिस्क को जन्म देते हैं.
आंत के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव (Intestinal Health)
कम कार्ब आहार ने कोलन में बलगम की परत को पतला कर दिया, जो रोगाणुओं से बचाता है. ई. कोली वाले चूहों में इसने कोलीबैक्टिन को कोलन कोशिकाओं तक पहुँचने दिया। कोलीबैक्टिन एक जीनोटिक्स है. यह डीएनए को नुकसान पहुंचाता है. इन चूहों में कोशिका पर भी प्रभाव देखा गया, जो कैंसर के विकास का कारण बन सकती है. शोधकर्ताओं ने पाया कि ई. कोली के साथ कम कार्ब और कम फाइबर आहार के साथ चूहों में आंत के स्वास्थ्य के स्तर में कमी आई, जिससे सूजन में योगदान मिला.
माइक्रोबायोम का नुकसान (Effect on Microbiome)
कुल मिलाकर ई. कोली के साथ कम कार्ब आहार पर चूहों ने अपने आंत माइक्रोबायोम में इस तरह के व्यवधान और क्षति का अनुभव किया. शोधकर्ताओं ने पाया कि यह एक ऐसा वातावरण है, जो कोलोरेक्टल कैंसर को बढ़ावा देता है. ये परिणाम चिंताजनक थे.
कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव के लिए हाई फाइबर डाइट (High Fiber Food)
शोधकर्ताओं ने पाया कि इन चूहों के आहार में फाइबर जोड़ने से ट्यूमर का निर्माण कम हुआ और सूजन को नियंत्रित करने में मदद मिली. इस तरह यह निष्कर्ष निकाला गया कि आंतों को स्वस्थ रखने के लिए फाइबर वाले आहार लेना जरूरी है. कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव के लिए आहार में हाई फाइबर फ़ूड को नियमित तौर पर शामिल करना चाहिए.
यह भी पढ़ें :- Reverse Ageing : युवा बने रहने के लिए हेल्दी डाइट तथा अच्छी नींद लें और सीखें नई स्किल