हर गॉसिप बुरी नहीं होती, वैज्ञानिक शोधों से मिला संकेत

हर गॉसिप बुरी नहीं होती, वैज्ञानिक शोधों से मिला संकेत

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Wednesday, December 18, 2024

Updated On: Wednesday, December 18, 2024

scientific research on gossip
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आम बोलचाल में पीठ पीछे की गई चर्चाओं व बातों को गॉसिप कहते हैं। यानी हमारे दिल एवं दिमाग में किसी व्यक्ति के बारे में जो कुछ चल रहा होता है, हम उसे अन्य लोगों से साझा करने लगते हैं। समय-समय पर हुए रिसर्च बताते हैं कि हर दिन लोग कम से कम एक घंटे गॉसिप करते हैं। इसमें निगेटिव गॉसिप की दर अधिक होती है। दिलचस्प ये है कि वैज्ञानिकों की एक बिरादरी गॉसिप की आदत को सामाजिक दृष्टिकोण से जरूरी मान रही है। शोध भी इशारा कर रहे हैं कि हर गॉसिप नकारात्मक नहीं होती है।

Authored By: अंशु सिंह

Updated On: Wednesday, December 18, 2024

महिलाओं पर अक्सर ये तोहमत लगती है कि उन्हें दूसरों की बातों को नमक-मिर्च लगाकर या चटपटा बनाकर पेश करने में मजा आता है। लेकिन जब हम ‘सोशल, साइकोलॉजिकल एवं पर्सनैलिटी साइंस’ जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च पर नजर डालते हैं, तो कुछ और सच सामने आता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए इस शोध में जब 467 व्यस्क पुरुषों एवं महिलाओं की दो से पांच दिनों की बातचीत रिकॉर्ड की गई, तो उनमें से 75 फीसद गॉसिप न्यूट्रल पाईं गईं और बाकी पॉजिटिव एवं निगेटिव का मिश्रण थीं। इससे स्पष्ट है कि गॉसिप हमेशा नकारात्मक, दुर्भावनापूर्ण या मिथ्या नहीं होती है। हां, हर मिथ्या गॉसिप अवश्य होती है, जब हम बिना किसी प्रमाणिकता के किसी से कोई सूचना, जानकारी या बातें साझा करते हैं। उसे हम कोरा झूठ भी कह सकते हैं। इसके अलावा, किसी को भरोसे में लिए बिना जब हम उसकी निजी बातें भी सार्वजनिक करते हैं, तो वह गॉसिप घातक मानी जाती है।

न्यूट्रल गॉसिप में नहीं है नुकसान

सवाल है कि विभिन्न संस्कृति, सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि, आयु वर्ग से आने के बावजूद स्त्री, पुरुष, बुजुर्ग, युवा आखिर क्यों करते हैं गॉसिप? इनमें भी महिलाएं क्यों आगे हैं? जानकारों का कहना है कि बेचैनी, खुद को महत्वपूर्ण साबित करने, बोरियत को दूर करने या असुरक्षित महसूस करने पर महिलाएं गॉसिप करती हैं। दूसरों को जज करने से उन्हें अस्थायी सुकून मिलता है। लाइफ कोच शांभवी की मानें, तो अगर महिलाएं निगेटिव गॉसिप को नजरअंदाज करना सीख लें। ये देखें कि गॉसिप करने से खुद का व्यक्तित्व कितना प्रभावित होता है, तब वह ऐसी बातचीत से खुद को दूर रख सकेंगी। साथ ही बेचैनी, स्ट्रेस से भी बच सकेंगी। इसके बदले, वे पॉजिटिव चर्चा में भाग लें। उनके लिए मनोरंजन, राजनीति, फैशन या अन्य सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार साझा करना फायदेमंद रहेगा, जिसे न्यूट्रल गॉसिप भी कहते हैं।

गॉसिप करने में आगे महिलाएं

फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी का एक रिसर्च कहता है कि महिलाओं को गप करना काफी भाता है। उनके लिए दूसरों पर टीका-टिप्पणी करना सामान्य है। अक्सर कर महिलाएं दूसरी महिलाओं के ड्रेसिंग एवं स्टाइल सेंस, उनके लुक, लोक व्यवहार के तरीके, दूसरों से संबंध, कार्यस्थल की बातें, प्रमोशन के मसले, स्वास्थ्य के इर्द-गिर्द गॉसिप करती हैं। कई महिलाओं को आसपास की घटनाओं पर पैनी नजर रखने की आदत होती है। वे उनके बारे में गॉसिप करती हैं। उन्हें लगता है कि इससे उनके जीवन की नीरसता कम होती है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की प्रोफेसर मेगन रॉबिन्स के अनुसार, गप्पें मारना स्वाभाविक है। इसमें संबंध मजबूत होते हैं। हां, ये गॉसिप न्यूट्रल एवं पॉजिटिव हों, तो ज्यादा अच्छा। क्योंकि निगेटिव होने से उसका मन पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। लगातार ऐसी चर्चाओं का हिस्सा बनने से तनाव घेर सकता है।

सोशल सर्किल होता है मजबूत

कुछेक वैज्ञानिक तथ्य एवं शोध इस बात का दावा करते हैं कि गॉसिप करना जरूरी है। गपशप में शामिल होने से ऑक्सीटोसिन नामक हॉरमोन में वृद्धि होती है। यह एक ऐसा हार्मोन है जो अच्छी भावनाओं और सकारात्मक मानवीय अनुभवों जैसे सहानुभूति, मां-शिशु के संबंध और दूसरों के साथ सहयोग से जुड़ा होता है। मेरीलैंड एवं स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने एक रिसर्च में पाया है कि अच्छे गॉसिप से सामाजिक दायरा मजबूत होता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र के प्रोफेसर रॉब विल्लर कहते हैं कि ज्यादातर गॉसिप का आधार दूसरों के प्रति चिंता होती है। इसका पॉजिटिव एवं सोशल दोनों प्रभाव पड़ता है।

निगेटिव गॉसिप को कहें ना

आपके साथ बहुत से लोग अपनी निगेटिव बातें, फीलिंग्स शेयर करना चाहते हैं। करते भी हैं। जिससे आपका कोई लेना-देना नहीं होता है, आपको उनके बारे में सुनाते हैं। वे सुनाते हैं और आप सुनती हैं। सुनने के बाद वे बातें आपके मन-मस्तिष्क में दर्ज हो जाती हैं। आप उनकी नकारात्मक ऊर्जा ग्रहण करती हैं। इससे दोनों में से किसी का फायदा नहीं है। निगेटिव गॉसिप को न करना सीखें। अपनी बातचीत का विषय बदल दें। अच्छी, सकारात्मक बातें करने से आपकी खुद की ऊर्जा बढ़ती है। मन की बात साझा करने में हर्ज नहीं है। लेकिन दूसरों की गलतियां व कमियां देखने व ढूंढने की बजाय उनकी खूबियों को देखें। किसी का दुख व निराशा भरी बातों से अपनी भावनाओं को आहत न होने दें। अपने मन को शक्तिशाली बनाएं।

अच्छी बातें करने के बड़े हैं फायदे

  • गॉसिप करने से पहले दो बार सोचें कि आपके द्वारा साझा की जाने वाली सूचना से किसी को नुकसान तो नहीं पहुंच रहा। यह भी ध्यान रखें कि अमुक सूचना आप किस व्यक्ति से शेयर कर रही हैं। क्या वह आपके विश्वास के काबिल है?
  • अपने निजी फायदे के लिए कभी भी गॉसिप न करें।
  • गलत तरीके से सूचनाएं अथवा जानकारियां शेयर करने की बजाय जो सच है, वह कहें। अपनी बातों को जस्टिफाई न करें।
  • किसी और की जिंदगी के बारे में कुछ कहने से पहले खुद से पूछें कि क्या ऐसा करना जरूरी है?
  •  खुद से पूछें कि अगर कोई आपके बारे में भी निगेटिव गॉसिप करता-फिरता हो, तो आपको कैसा लगेगा?
About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।

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