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भारत में 5 करोड़ से अधिक लोग हैं इस गंभीर बीमारी के शिकार, फटाफट नोट करें लक्षण और हो जाएं अलर्ट
भारत में 5 करोड़ से अधिक लोग हैं इस गंभीर बीमारी के शिकार, फटाफट नोट करें लक्षण और हो जाएं अलर्ट
Authored By: JP Yadav
Published On: Monday, February 3, 2025
Updated On: Monday, February 3, 2025
Suicide Prevention : भारत ही दुनियाभर के आंकड़े बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं डिप्रेशन की समस्या से अधिक पीड़ित होती है.
Authored By: JP Yadav
Updated On: Monday, February 3, 2025
Suicide Prevention : तनाव या डिप्रेशन (Depression) होना एक आम समस्या है. यह हर उम्र के लोगों में देखा जाता है, लेकिन इसकी वजह से सुसाइड कर लेना चिंता की बात है. पिछले एक दशक के दौरान बड़ी संख्या में युवा खासकर स्टूडेंट्स सुसाइड करके असमय मौत को गले लगा रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के मुताबिक, भारत में 5 करोड़ से अधिक लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं, जबकि दुनिया भर में यह संख्या 30 करोड़ के पार है. चौंकाने वाली बात यह है कि डिप्रेशन या अन्य वजहों से भारत में 1,70,000 से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं. यह सरकार के साथ-साथ समाजशास्त्रियों, समाज के चिंतकों और मनोवैज्ञानिकों के लिए चिंतन का विषय है. जब जिंदगी से बड़ी कोई चीज होती ही नहीं है तो आखिर क्यों युवा मौत को चुन रहे हैं. इस लेख में तलाशेंगे जवाब और इसका समाधान.
क्यों बढ़ रहे सुसाइड के मामले ?
सुसाइड करने के मामलों में ज्यादातर यही सामने आता है कि जान देने वाला डिप्रेशन का शिकार था. ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि वह डिप्रेशन में गया ही क्यों? सामान्य तौर पर लव अफेयर में ब्रेकअप, एकतरफा प्यार करना, गंभीर बीमारियां, उम्मीदों के मुताबिक नतीजे न मिलना, घर का नकारात्मक माहौल, गरीबी, कर्ज का बोझ, अकेलापन और करियर में पीछे छूट जाना समेत कई कारण हैं. दरअसल, इन्हीं सब की वजह से लोग पहले टेंशन में फिर डिप्रेशन में चले जाते हैं. फिर जब सही समय पर इलाज नहीं मिलता है तो मौत को गले लगा लेते हैं.
डिप्रेशन के लक्षण ?
जानकारों की मानें तो डिप्रेशन की कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन सामान्य तौर पर घर में परेशानी, नौकरी की टेंशन, बेरोजगारी की टेंशन समेत कई अन्य कारण भी हैं. अगर कोई लगातार नाराज है और अपने आप से भी खुश नहीं है तो उसके चेहरे पर नाखुशी, लाचारी, निराशा जैसे लक्षण महीनों तक बने रहते हैं. सच बात तो यह है कि डिप्रेशन होने चलते पीड़ित सामान्य रूप से अपनी दैनिक दिनचर्या तक को प्रभावित कर देता है या कहें हो जाती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनियाभर में करीब 30 करोड़ से अधिक लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं. भारत की बात करें तो यह संख्या 5 करोड़ से ज़्यादा है. मनोचिकित्सकों की मानें तो अब तो डिप्रेशन की समस्या टीन एज से शुरू हो रही है. इसके बाद फिर 30 से 40 साल की उम्र में शुरू होता है. कुल मिलाकर डिप्रेशन का उम्र से कोई लेना-देना नहीं है और यह किसी भी उम्र में हो सकता है. यह जानकर लोगों को हैरत होगी कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं डिप्रेशन की समस्या से अधिक ग्रसित हैं. हार्मोन्स का असंतुलित होना, गर्भावस्था और अनुवांशिक विकृतियां भी महिलाओं में डिप्रेशन की बड़ी वजह बनती हैं.
डिप्रेशन के लक्षण
सिंटमप्स |
उदासी महसूस करना |
लगभग हर दिन थकावट |
कमजोरी महसूस करना |
खुद को बीमार मानना |
अपूर्ण काम के लिए खुद को दोषी मानना |
एकाग्रता में दिक्कत |
नींद अधिक लेना या बहुत कम लेना |
बार–बार मृत्यु का जिक्र करना |
आत्महत्या के विचार आना |
बेचैनी महसूस होना |
वजन बढ़ना या तेजी से कम होना |
डिप्रेशन होने पर क्या करें ?
डिप्रेशन से ग्रसित शख्स को लगता है कि वह ठीक है. ऐसे में परिचित, रिश्तेदार और परिवार को लक्षणों के आधार पर इलाज को प्राथमिकता देनी चाहिए. इसके लिए सबसे पहले अच्छे मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए. इलाज चलने के दौरान डिप्रेशन से पीड़ित लोगों को सुबह और शाम टहलने जाना चाहिए. खुद को व्यस्त रखें, क्योंकि लगातार सोचेंगे तो दिक्कत होगी. मौज मस्ती को प्राथमिकता दें. उदासी भरें गीत सुनने से बचें. योग करना भी फायदेमंद रहता है. टीवी और मोबाइल फोन से दूरी बनाना जरूर है. लोगों से बात करने को प्राथमिकता दें. मनोचिकित्सकों का मानना है कि रात में सोने के 2 घंटे पहले टीवी और मोबाइल फोन से दूरी बना लें.