Tooth In Eye Surgery: आंखों की दुर्लभ सर्जरी, एक दशक बाद महिला की लौटी दृष्टि

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, August 21, 2025

Last Updated On: Thursday, August 21, 2025

Tooth In Eye Surgery से महिला की आंखों की लौटी दृष्टि.
Tooth In Eye Surgery से महिला की आंखों की लौटी दृष्टि.

Tooth In Eye Surgery : ब्रिटिश कोलंबिया की 75 वर्षीय महिला विक्टोरिया लगभग 10 साल से अंधेरे में जी रही थी. ऑटो-इम्यून बीमारी ने उनकी कॉर्निया को खराब कर दिया था. कनाडा के डॉक्टरों ने दुर्लभ सर्जरी 'टूथ-इन आइ' के माध्यम से आंखों की रोशनी लौटाई.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Thursday, August 21, 2025

Tooth In Eye Surgery: ब्रिटिश कोलंबिया की 75 वर्षीय महिला विक्टोरिया लगभग 10 साल से अंधेरे में जी रही थी. ऑटो-इम्यून बीमारी ने उनकी कॉर्निया को खराब कर दिया था. कनाडा के डॉक्टरों ने दुर्लभ सर्जरी ‘टूथ-इन आइ’ के माध्यम से आंखों की रोशनी लौटाई.

मेडिकल साइंस ने हाल के दशकों में कई ऐसे सराहनीय कार्य किए हैं, जिनसे लोगों की जिंदगी सकारात्मक रूप से बदल गई. यह कार्य मरीजों के लिए करिश्मा से कम नहीं था. इसपर भरोसा करना उतना आसान नहीं है, जितना हम समझ रहे हैं. ब्रिटिश कोलंबिया की 75 वर्षीय विक्टोरिया नामक महिला करीब 10 साल से अंधेरे में जी रही थी. ऑटो-इम्यून बीमारी ने उनकी आंखों की कॉर्निया को खराब कर दिया था. डॉक्टरों के अनुसार, इस बीमारी ने आंखों के लेंस को भी प्रभावित किया. इससे उन्हें बिल्कुल दिखना बंद हो गया. लेकिन ‘टूथ-इन आइ’ नामक दुर्लभ सर्जरी ने उन्हें फिर से रोशनी लौटा दी. महिला ने जब पहली बार अपने पति और पालतू कुत्ते को देखा (Tooth In Eye Surgery) तो भावुक हो उठी.

कृत्रिम कॉर्निया का प्रयोग (Artificial Cornea)

डॉक्टर सबसे पहले मरीज का दांत निकालते हैं. उसे लंबाई में काट कर विकनी प्लेट बनाते हैं. प्लेट में छेद कर कृत्रिम कॉर्निया फिट किया जाता है. इसे करीब तीन महीने के लिए मरीज के गाल में प्रत्यारोपित किया जाता है. इसके बाद इस संरचना को निकाल कर आंख में लगाया जाता है. मरीज अब बहुत सारे रंग देख सकती है. पेड़, घास और फूलों को देखना उनके लिए अद्भुत अनुभव है. कुछ हफ्तों में महिला की देखने की क्षमता लौट आयी और धीरे-धीरे वे पहले जैसी सामान्य जिंदगी जीने लगीं.

दांत की जड़ और जबड़े की हड्डी का इस्तेमाल (Tooth Canine)

डॉक्टरों ने ओस्टियो-ओडोन्टो केराटोप्रोस्थेसिस तकनीक से सर्जरी की. यह तकनीक चालीस साल पहले इटली में विकसित किया गया था. इसमें मरीज़ के दांत से एक बेस तैयार किया जाता है. इस पर कृत्रिम कॉर्निया फिट कर आंख में प्रत्यारोपित किया जाता है. इसमें मरीज के अपने दांत की जड़ और जबड़े की हड्डी का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इसे अब तक बहुत ही कम मामलों में अपनाया गया है. कनाडा में इस सर्जरी की सफलता ने नेत्रविज्ञान की दुनिया में नई उम्मीद जगा दी है. जिन मरीजों को मृत अंगदाता से कॉर्निया उपलब्ध नहीं हो पाता, उनके लिए यह तकनीक कारगर विकल्प हो सकती है.

क्या है टूथ इन आई सर्जरी (Tooth In Eye Surgery)

टूथ इन आई यानी ‘आंख में दांत’ सर्जरी को ओस्टियो-ओडोन्टो-केराटोप्रोस्थेसिस (OOKP) या संशोधित ओस्टियो-ओडोन्टो-केराटोप्रोस्थेसिस (MOOKP) के रूप में भी जाना जाता है. यह एक दुर्लभ लेकिन अलग तरह की प्रक्रिया है, जिसका उपयोग गंभीर कॉर्नियल अंधेपन के मामलों में दृष्टि बहाल करने के लिए किया जाता है. पारंपरिक उपचार विफल होने पर इसका प्रयोग किया जाता है. इसमें रोगी के अपने दांत, आमतौर पर एक कैनाइन का उपयोग करके लेंस के लिए एक जरूरी संरचना बनाई जाती है. इसे फिर आंख में प्रत्यारोपित किया जाता है. बीएमजे मेडिकल जर्नल के अनुसार, यह तकनीक विशेष रूप से तब उपयोगी होती है जब कॉर्निया गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाता है. रोगी ड्राई आई से पीड़ित होता है. इससे मानक कॉर्नियल प्रत्यारोपण अप्रभावी हो जाता है.

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।


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