टीकाकरण अभियान की सुस्ती से बढ़ा खसरे की वापसी की आशंका

टीकाकरण अभियान की सुस्ती से बढ़ा खसरे की वापसी की आशंका

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Published On: Tuesday, December 3, 2024

Updated On: Tuesday, December 3, 2024

measles outbreak risks
measles outbreak risks

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा पिछले दिनों जारी एक संयुक्त रिपोर्ट ने वैश्विक स्तर पर खसरे के बढ़ते प्रकोप पर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में दुनियाभर में खसरे से पीड़ित मरीजों की संख्या 1.03 करोड़ तक पहुंच गई है, जो 2022 की तुलना में 20% अधिक है। खसरे का यह प्रकोप 57 देशों में तेजी से फैल रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत इस सूची में कांगो के बाद दूसरे स्थान पर है...

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Updated On: Tuesday, December 3, 2024

हाइलाइट्स

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा जारी एक संयुक्त रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर खसरे के बढ़ते प्रकोप पर जताई गई चिंता
  • रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में दुनियाभर में खसरे से पीड़ित मरीजों की संख्या 1.03 करोड़ तक पहुंच गई है, जो 2022 की तुलना में 20% अधिक है।
  • खसरे का प्रकोप 57 देशों में तेजी से फैल रहा है और भारत इस सूची में कांगो के बाद दूसरे स्थान पर है।

पिछले कुछ वर्षों में खसरा जैसी संक्रामक बीमारी को लेकर लापरवाही और टीकाकरण अभियान में आई सुस्ती ने इस खतरनाक बीमारी को फिर से बढ़ावा दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा जारी एक संयुक्त रिपोर्ट ने वैश्विक स्तर पर खसरे के बढ़ते प्रकोप पर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में दुनियाभर में खसरे से पीड़ित मरीजों की संख्या 1.03 करोड़ तक पहुंच गई है, जो 2022 की तुलना में 20% अधिक है। खसरे का यह प्रकोप 57 देशों में तेजी से फैल रहा है, और भारत इस सूची में कांगो के बाद दूसरे स्थान पर है।

खसरा न केवल एक संक्रामक बीमारी है, बल्कि यह बच्चों के स्वास्थ्य और उनके भविष्य के लिए गंभीर खतरा है। भारत जैसे देश में, जहां बड़ी आबादी अभी भी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है, टीकाकरण ही इस बीमारी से लड़ने का सबसे प्रभावी उपाय है। सरकार, स्वास्थ्य संगठनों और आम जनता को मिलकर खसरे के खिलाफ जंग लड़नी होगी। हर बच्चे तक टीका पहुंचाना न केवल एक स्वास्थ्य लक्ष्य है, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है। अगर सही कदम उठाए गए, तो खसरे पर काबू पाया जा सकता है, और इसे भविष्य में गंभीर खतरा बनने से रोका जा सकता है।

भारत में खसरे की स्थिति

भारत में खसरे के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। 2022 में भारत में खसरे के 65,150 मामले सामने आए थे, और लगभग 11 लाख बच्चों ने इस बीमारी के खिलाफ टीके की पहली खुराक नहीं ली। टीकाकरण में यह कमी ही खसरे के मामलों में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण है। भारत सरकार और स्वास्थ्य संगठनों की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर टीकाकरण अभियान को प्राथमिकता नहीं दी गई, तो आने वाले समय में खसरा और अधिक बच्चों की जान ले सकता है।

क्या है खसरा और कैसे फैलता है?

खसरा एक अत्यंत संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मोर्बिली नामक वायरस के कारण होती है। यह मुख्य रूप से बच्चों और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को प्रभावित करती है। खसरे का संक्रमण हवा के माध्यम से फैलता है। जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो वायरस हवा में फैलकर अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है।

खसरे के लक्षण:

  • तेज बुखार।
  • सूखी खांसी।
  • नाक बहना या बंद होना।
  • आंखों में जलन और लाली।
  • शरीर पर लाल चकत्ते बनना।
  • मुंह के अंदर सफेद धब्बे।

यह बीमारी तेजी से पूरे शरीर में फैलती है और इसके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं।

टीकाकरण की अहमियत

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस के अनुसार, “पिछले 50 वर्षों में खसरे के टीके ने किसी भी अन्य टीके की तुलना में अधिक लोगों की जान बचाई है। जिंदगियां बचाने के लिए हमें हर व्यक्ति के लिए टीकाकरण सुनिश्चित करना होगा।”

टीकाकरण ही खसरे से लड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है। इसके बावजूद, कई विकासशील और गरीब देशों में टीकाकरण अभियान पर्याप्त रूप से नहीं चलाए जा रहे हैं। भारत जैसे बड़े देश में जनसंख्या घनत्व और जागरूकता की कमी के चलते खसरा का टीकाकरण कवरेज असंतोषजनक है।

वैश्विक परिदृश्य

डब्ल्यूएचओ और सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, खसरे के बढ़ते मामलों का कारण टीकाकरण अभियान में आई सुस्ती को माना जा रहा है। महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा दबाव और टीकाकरण कार्यक्रमों की प्राथमिकता में गिरावट ने खसरे को बढ़ावा दिया है। 2023 में खसरे का प्रकोप 57 देशों में देखा गया। इनमें सबसे अधिक प्रभावित देशों में कांगो पहले स्थान पर है, जबकि भारत दूसरे स्थान पर।

भारत में खसरा बढ़ने के कारण

  1. टीकाकरण अभियान में गिरावट:
    भारत में 2022 में लगभग 11 लाख बच्चे खसरे के टीके की पहली खुराक लेने से चूक गए। यह आंकड़ा चिंताजनक है और टीकाकरण कार्यक्रमों में आई कमी को दर्शाता है।
  2. सामाजिक और आर्थिक बाधाएं:
    ग्रामीण इलाकों और गरीब समुदायों में जागरूकता की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच के कारण खसरा का टीकाकरण कवरेज कम है।
  3. महामारी का प्रभाव:
    कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं का ध्यान अन्य बीमारियों से हट गया, जिससे खसरे के टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हुए।
  4. जागरूकता की कमी:
    अभिभावकों और समुदायों के बीच टीकाकरण की अहमियत को लेकर जानकारी का अभाव है।

खसरा रोकने के लिए आवश्यक कदम

  1. सार्वजनिक जागरूकता:
    सरकार को खसरा और उसके टीकाकरण के महत्व के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार करना होगा। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में अभियान चलाना आवश्यक है।
  2. सभी बच्चों को टीका लगाना:
    खसरे से बचाव के लिए बच्चों को दो खुराकों का टीका लगाना जरूरी है। सरकार को इस बात का ध्यान रखना होगा कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे।
  3. स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश:
    स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और टीकाकरण कार्यक्रमों में अधिक निवेश करना होगा।
  4. महामारी की तैयारी:
    कोविड-19 जैसी महामारी से सबक लेते हुए, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अन्य स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित न हों।
  5. अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
    डब्ल्यूएचओ और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के साथ मिलकर भारत को खसरे के टीकाकरण कार्यक्रमों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
अरुण श्रीवास्तव पिछले करीब 34 वर्ष से हिंदी पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। लगभग 20 वर्ष तक देश के नंबर वन हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण में फीचर संपादक के पद पर कार्य करने का अनुभव। इस दौरान जागरण के फीचर को जीवंत (Live) बनाने में प्रमुख योगदान दिया। दैनिक जागरण में करीब 15 वर्ष तक अनवरत करियर काउंसलर का कॉलम प्रकाशित। इसके तहत 30,000 से अधिक युवाओं को मार्गदर्शन। दैनिक जागरण से पहले सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल (हिंदी), चाणक्य सिविल सर्विसेज टुडे और कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू के संपादक रहे। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, करियर, मोटिवेशनल विषयों पर लेखन में रुचि। 1000 से अधिक आलेख प्रकाशित।

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