महिलाओं की नींद पुरुषों से क्यों अधिक टूटती है!

महिलाओं की नींद पुरुषों से क्यों अधिक टूटती है!

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Published On: Tuesday, December 3, 2024

Updated On: Tuesday, December 3, 2024

sleep differences between men and women
sleep differences between men and women

हमारे बेहतर स्वास्थ्य और नियमित कामकाज में समुचित ऊर्जा बनाए रखने के लिए नींद बेहद जरूरी है, पर आमतौर पर देखा गया है कि कई कारणों से महिलाओं की नींद बार-बार टूटती है। इसका उनके समग्र स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस बारे में हाल में वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन किया। इसमें महिलाओं की नींद टूटने के कारण जानने का प्रयास किया गया...

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Updated On: Tuesday, December 3, 2024

हाइलाइट्स

  • अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के वैज्ञानिकों ने महिलाओं और पुरुषों की नींद पर किया महत्वपूर्ण अध्ययन।
  • हार्मोनल बदलाव, जैसे-मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति नींद पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
  • डिप्रेशन और चिंता का खतरा महिलाओं में पुरुषों से दोगुना अधिक पाया गया है।
  • अपर्याप्त नींद से महिलाओं में मधुमेह, मोटापा, और इम्यून सिस्टम की कमजोरी का जोखिम बढ़ता है।

हाल में अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन में पाया कि महिलाओं की नींद पुरुषों की तुलना में अधिक टूटती है। इसका प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक रूप से पड़ता है। यह अध्ययन चूहों और मानव प्रतिभागियों के नींद के पैटर्न पर आधारित था और इसके निष्कर्ष जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं।

महिलाओं की नींद के पैटर्न और स्वास्थ्य पर प्रभाव

    1. नींद और हार्मोनल असंतुलन:
      • महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन और सर्केडियन रिदम (जैविक घड़ी) में गड़बड़ी के कारण नींद अधिक बार टूटती है।
      • हार्मोनल बदलाव, जैसे-मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति नींद पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
      • अपर्याप्त नींद से महिलाओं में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (पैरों में बेचैनी) का खतरा 40% तक बढ़ जाता है।
    2. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
      • डिप्रेशन और चिंता का खतरा महिलाओं में पुरुषों से दोगुना अधिक पाया गया है।
      • नींद की कमी तनाव के स्तर को बढ़ाती है, जिससे मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है।
    3. शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
      • अपर्याप्त नींद से महिलाओं में मधुमेह, मोटापा, और इम्यून सिस्टम की कमजोरी का जोखिम बढ़ता है।
      • रात की अच्छी नींद मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाती है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है।

अध्ययन की प्रक्रिया

    1. चूहों पर अध्ययन:
      • वैज्ञानिकों ने 300 चूहों पर अध्ययन किया। इसके लिए उन्हें अल्ट्रासेंसिटिव मूवमेंट सेंसर से युक्त पिंजरों में रखा गया।
      • नर चूहे औसतन 670 मिनट (11 घंटे) सोते पाए गए, जबकि मादा चूहों में यह अवधि एक घंटा कम (10 घंटे) थी।
    2. मानव प्रतिभागियों पर सर्वे:
      • करीब 500 वयस्कों पर ऑनलाइन सर्वे किया गया।
      • उनसे उनकी सोने की आदतों, नींद की अवधि, और रात में नींद टूटने के कारणों पर सवाल पूछे गए।
      • यह पाया गया कि महिलाओं की नींद अधिक बार टूटती है, और वे पुरुषों की तुलना में कम नींद लेती हैं।

नींद क्यों महत्वपूर्ण है ?

  • नींद केवल शारीरिक आराम का साधन नहीं है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक पुनर्निर्माण की प्रक्रिया है।
  • अच्छी नींद मस्तिष्क के न्यूरॉन्स को रीचार्ज करती है और स्मरण शक्ति को बढ़ाती है।
  • यह हृदय के स्वास्थ्य को बनाए रखने और तनाव हार्मोन (कॉर्टिसोल) को नियंत्रित करने में मदद करती है।

महिलाओं की नींद अधिक क्यों टूटती है ?

  1. जीवनशैली और सामाजिक भूमिका:
    महिलाएं घर और कार्यस्थल दोनों जगह की ज़िम्मेदारियां संभालती हैं। खासतौर पर बच्चों और परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी उनके आराम के समय को प्रभावित करती है।
  2. पर्यावरणीय संवेदनशीलता:
    महिलाएं शोर, रोशनी, और अन्य पर्यावरणीय कारकों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, जिससे उनकी नींद बार-बार टूटती है।
  3. तनाव और चिंता:
    महिलाओं में तनाव और चिंता अधिक होने की संभावना रहती है, जो नींद के पैटर्न को बाधित कर सकती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह

  1. रूटीन की आदत डालें: हर दिन एक निश्चित समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
  2. तनाव प्रबंधन: योग, ध्यान, और रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करें।
  3. स्मार्टफोन और स्क्रीन से बचाव: सोने से पहले मोबाइल फोन और लैपटॉप का उपयोग कम करें, क्योंकि इनसे नींद में बाधा आती है।
  4. संतुलित आहार और व्यायाम: सही खानपान और नियमित व्यायाम से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।

अध्ययन का महत्व

यह अध्ययन दर्शाता है कि पुरुषों और महिलाओं के नींद के पैटर्न में अंतर केवल जैविक नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारकों से भी प्रभावित होता है। महिलाओं को उनकी नींद की गुणवत्ता सुधारने के लिए खास ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह उनके समग्र स्वास्थ्य का आधार है।

अरुण श्रीवास्तव पिछले करीब 34 वर्ष से हिंदी पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। लगभग 20 वर्ष तक देश के नंबर वन हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण में फीचर संपादक के पद पर कार्य करने का अनुभव। इस दौरान जागरण के फीचर को जीवंत (Live) बनाने में प्रमुख योगदान दिया। दैनिक जागरण में करीब 15 वर्ष तक अनवरत करियर काउंसलर का कॉलम प्रकाशित। इसके तहत 30,000 से अधिक युवाओं को मार्गदर्शन। दैनिक जागरण से पहले सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल (हिंदी), चाणक्य सिविल सर्विसेज टुडे और कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू के संपादक रहे। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, करियर, मोटिवेशनल विषयों पर लेखन में रुचि। 1000 से अधिक आलेख प्रकाशित।

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