लिव-इन में जाने की सोच रहे हैं? पहले डिस्कस करें ये 7 जरूरी बातें, वरना बिगड़ सकता है रिश्ता
Authored By: Galgotias Times Bureau
Published On: Saturday, December 20, 2025
Updated On: Saturday, December 20, 2025
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर अहम टिप्पणी की है. कोर्ट के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप गैरकानूनी नहीं है. ऐसे में जरूरी है कि कपल पहले समझ लें कि लिव-इन क्या होता है और साथ रहने से पहले खर्च, जिम्मेदारियां, भविष्य और आपसी सहमति जैसी बातों पर खुलकर चर्चा कर लें.
Authored By: Galgotias Times Bureau
Updated On: Saturday, December 20, 2025
Live In Relationship: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर एक अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने साफ कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप को गैरकानूनी नहीं माना जा सकता. यह फैसला उन कपल्स के लिए राहत भरा है, जो शादी किए बिना साथ रहना चाहते हैं. कोर्ट के अनुसार, संविधान हर नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है और राज्य का कर्तव्य है कि वह इसकी रक्षा करे. इसलिए लिव-इन में रह रहे लोगों को भी कानून की सुरक्षा मिलनी चाहिए.
हालांकि, लिव-इन रिलेशनशिप में आने से पहले कुछ बातों को समझना और पार्टनर से खुलकर चर्चा करना बहुत जरूरी है. जैसे, दोनों की आपसी सहमति, रिश्ते से उम्मीदें, जिम्मेदारियों का बंटवारा, खर्चों की व्यवस्था और भविष्य की योजना. इसके अलावा, यह भी तय होना चाहिए कि अगर रिश्ते में समस्या आए तो उसे कैसे संभालेंगे. साफ बातचीत और समझदारी से लिया गया फैसला ही लिव-इन रिलेशनशिप को मजबूत और तनावमुक्त बना सकता है.
लिव इन रिलेशनशिप क्या होता है?
लिव-इन रिलेशनशिप एक ऐसा रिश्ता होता है, जिसमें दो लोग शादी किए बिना एक साथ रहते हैं. इसमें कपल आपसी सहमति से घर साझा करता है और रोज़मर्रा की ज़िंदगी साथ बिताता है. रहन-सहन, जिम्मेदारियां, खर्च और एक-दूसरे की देखभाल लगभग उसी तरह होती है, जैसे शादी के बाद पति-पत्नी करते हैं. फर्क सिर्फ इतना होता है कि इस रिश्ते में शादी का कानूनी बंधन नहीं होता.
लिव-इन रिलेशनशिप का मतलब यह नहीं है कि रिश्ता हल्का या अस्थायी हो. कई कपल इसे एक-दूसरे को बेहतर समझने के लिए चुनते हैं. साथ रहकर लोगों को अपने पार्टनर की आदतें, सोच, पसंद-नापसंद और स्वभाव को करीब से जानने का मौका मिलता है. कुछ लोग शादी से पहले यह देखना चाहते हैं कि वे लंबे समय तक साथ रह सकते हैं या नहीं.
भारत में लिव-इन रिलेशनशिप कोई बिल्कुल नया विचार नहीं है. बदलते समय के साथ कई कपल्स ने इसे अपनाया है. हालांकि समाज में इसे लेकर अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन कानून इसे गैरकानूनी नहीं मानता. इस तरह के रिश्ते में सबसे जरूरी चीजें होती हैं, आपसी समझ, भरोसा, सम्मान और साफ बातचीत. अगर दोनों पार्टनर एक-दूसरे की भावनाओं और सीमाओं का ध्यान रखें, तो लिव-इन रिलेशनशिप भी एक संतुलित और शांत रिश्ता बन सकता है.
लिव-इन रिलेशनशिप से पहले पार्टनर से किन बातों पर बात करना जरूरी है
लिव-इन रिलेशनशिप में आने से पहले कुछ जरूरी बातों पर खुलकर चर्चा करना बहुत जरूरी होता है, ताकि बाद में गलतफहमी या तनाव न हो. सबसे पहले खर्चों को लेकर बात करें. घर का किराया कौन देगा, खाने-पीने और जरूरी सामान का खर्च कैसे बंटेगा और फर्नीचर या अन्य चीजें कौन खरीदेगा, इन सब पर पहले ही सहमति बना लें. इसी तरह घर के काम जैसे खाना बनाना, सफाई या अन्य जिम्मेदारियां किस तरह बांटी जाएंगी, यह भी साफ कर लें. आगे शादी को लेकर दोनों क्या सोचते हैं, इस पर ईमानदारी से बात करना जरूरी है. ऐसा न हो कि एक शादी की उम्मीद लगाए बैठे और दूसरा कभी शादी ही न करना चाहता हो.
बच्चों को लेकर सोच भी पहले से साझा करें. अगर भविष्य में बच्चा चाहिए या अनचाही प्रेग्नेंसी की स्थिति में क्या फैसला होगा, इस पर बात जरूरी है.पर्सनल स्पेस को लेकर भी स्पष्ट रहें. साथ रहने का मतलब यह नहीं कि हर वक्त साथ ही रहना जरूरी हो.इसके अलावा झगड़े की स्थिति, दोस्तों के घर आने और इमरजेंसी प्लान जैसी बातों पर भी चर्चा करना रिश्ते को मजबूत बनाता है.
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