Yoga Day : आत्म-जागरूकता और मोक्ष प्राप्त करना है योग का अंतिम लक्ष्य
Yoga Day : आत्म-जागरूकता और मोक्ष प्राप्त करना है योग का अंतिम लक्ष्य
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, June 20, 2025
Updated On: Friday, June 20, 2025
International Yoga Day : श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि योग केवल अभ्यासों का समूह नहीं है. योग का अंतिम लक्ष्य आत्म-जागरूक होकर दुख से पार पाना और ईश्वर से जुड़कर मोक्ष प्राप्त करना है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Friday, June 20, 2025
International Yoga Day: श्रीकृष्ण रचित श्रीमद्भगवद्गीता में उल्लेख है कि योग मन, शरीर और आत्मा का एक ऐसा अभ्यास है, जिसका उपयोग सही अर्थों में किया जाए, तो इसकी संभावना और लाभ व्यापक है. हम आमतौर पर योग को एक व्यायाम के रूप में जानते हैं. योग केवल वजन कम करने, पीठ दर्द को ठीक करने या स्वस्थ होने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह अंतर्मन को शुद्ध करने और आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का काम करता है.
ईश्वर के साथ मिलन का मार्ग
श्रीमद्भगवद्गीता योग को आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर के साथ मिलन का मार्ग बनाती है. यह शारीरिक आसनों के अलावा, मानसिक अनुशासन, निस्वार्थ कर्म और भक्ति को भी शामिल करता है. गीता के अनुसार, योग के विभिन्न प्रकार हैं, जिसमें कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग भी शामिल हैं. सभी योग ईश्वर को प्राप्त करने के साधन बनते हैं.
गीता में योग का महत्व
श्रीमद्भगवद्गीता योग को आध्यात्मिक विकास के एक साधन के रूप में प्रस्तुत करती है. यह व्यक्तिगत स्वभाव और झुकाव के अनुरूप विभिन्न मार्ग प्रस्तुत करती है. यह इस बात पर जोर देता है कि योग का अंतिम लक्ष्य दुख से पार पाना और ईश्वर से जुड़कर मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त करना है. गीता इस बात पर प्रकाश डालती है कि योग केवल अभ्यासों का समूह नहीं है, बल्कि आत्म-जागरूकता, नैतिक आचरण और भक्ति को भी शामिल करता है. भगवान कृष्ण के अनुसार, योगाभ्यास से त्याग और समर्पण के भाव विकसित होते हैं. इसका अभ्यास व्यक्ति को ऊपर उठाता है और यह बेहतर इंसान बनने में मदद करता है.
लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है योग
श्रीकृष्ण योग के बारे में कहते हैं कि योग परम वास्तविक होने के साथ-साथ सबसे सीधा और तुरंत अपनाया जाने वाला तरीका है. योग जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है. पश्चिम के अलग-अलग दार्शनिक, लेखक और वैज्ञानिक ने भी भगवदगीता की शिक्षाओं का अध्ययन किया है और उनसे प्रेरित हुए हैं. यह हम भारतीयों पर निर्भर करता है कि हम स्वयं के खजाने को पूरी तरह से समझें.
जीवन के भ्रम से निकलने में मदद
कई दर्शनों को एकसाथ बताता है योग, जिनमें कर्म, पुनर्जन्म, माया, ब्रह्म और मोक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भगवदगीता इन सभी दर्शन को योग समझने में मदद करती है. गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन को कई तरह के भ्रम से निकलने में मदद करते हैं. वे अर्जुन का कई स्तरों पर मार्गदर्शन करते हैं और उपदेश देते हैं. ये उपदेश आम लोगों को भी जीवन के भ्रम से निकलने में मदद करते हैं. ये उपदेश आम लोगों को खुशी पाने में मदद करते हैं और उसे दुनिया के सभी दुखों से मुक्ति दिलाते हैं.
आत्मा की खोज में मदद करता है योग
वास्तव में योग आत्मा को मन के साथ जोड़ता है, ताकि संतुष्टि की भावना पैदा हो. यह योग सिद्धांतों का सार है. मूल रूप से गीता अध्यायों के इर्द-गिर्द घूमती है. इनमें से पहले छह कर्म योग, बीच के छह भक्ति योग और अंतिम छह ज्ञान योग से संबंधित हैं. सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए तीनों प्रारूप आवश्यक हैं. योग ध्यान रूप में खुद को शांत करने और आत्मा की खोज करने में मदद करता है.
ध्यान योग (Dhyan Yoga)
गीता के अध्याय 6 में ध्यान योग का वर्णन है. श्रीकृष्ण इस अध्याय में कर्म योग यानी सांसारिक कर्तव्यों का पालन करते हुए आध्यात्मिकता का अभ्यास और कर्म संन्यास यानी त्याग की स्थिति में आध्यात्मिकता का अभ्यास करते हैं. श्रीकृष्ण दोहराते हैं कि कर्म योग संन्यास की तुलना में अधिक व्यावहारिक मार्ग है.
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