Jammu Kashmir Assembly Election 2024 : अफजल गुरु के नाम पर वोट मांगने की क्या मजबूरी है उमर अब्दुला की, भाजपा नेता हुए नेशनल कांफ्रेस पर हमलावर

Jammu Kashmir Assembly Election 2024 : अफजल गुरु के नाम पर वोट मांगने की क्या मजबूरी है उमर अब्दुला की, भाजपा नेता हुए नेशनल कांफ्रेस पर हमलावर

Omar abdullah said afzal guru
Omar abdullah said afzal guru

उमर अब्दुला ने स्पष्ट किया कि अगर निर्णय राज्य सरकार के हाथ में होता, तो फांसी का आदेश कभी नहीं दिया जाता। उमर ने जोर देकर कहा, "मुझे नहीं लगता कि अफजल गुरु को फांसी देने से कोई उद्देश्य हासिल हुआ। यह कदम केवल भावनाओं को भड़काने का काम कर गया और इससे राज्य में कोई सकारात्मक बदलाव नहीं आया।"

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir Assembly Election 2024) में सियासी पारा गर्म है और इस बार विवाद का केंद्र नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) बने हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें नहीं लगता कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु (Afzal Guru) को फांसी देने से कोई उद्देश्य पूरा हुआ है। उन्होंने फांसी को लेकर केंद्र सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार का इस फैसले से कोई लेना-देना नहीं था। उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा, “दुर्भाग्य की बात यह थी कि अफजल गुरु की फांसी में जम्मू-कश्मीर सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। यदि फांसी के लिए राज्य सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती, तो हम उसे कभी अनुमति नहीं देते।”

भाजपा नेताओं ने उमर अब्दुल्ला पर अफजल गुरु (Afzal Guru) के नाम पर वोट मांगने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला है। भाजपा नेताओं का कहना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस अपनी राजनीति चमकाने के लिए आतंकवादियों के नाम का सहारा ले रही है, जो कि बेहद निंदनीय है।

भाजपा (BJP) के प्रवक्ता ने कहा, “उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) को यह बताना चाहिए कि अफजल गुरु (Afzal Guru) , जिसे देश के खिलाफ साजिश रचने का दोषी पाया गया था, के नाम पर वोट मांगने की क्या मजबूरी है? यह वही अफजल गुरु है, जिसे संसद हमले के मामले में दोषी ठहराया गया था। क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास विकास और शांति की कोई नीति नहीं है जो अब वो आतंकवादियों के नाम पर सियासत कर रहे हैं?”

अमित शाह ने कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस पर किया तीखा हमला

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार, सात सितंबर को जम्मू के पलौरा में अपनी पहली चुनावी रैली की। अमित शाह ने कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा, “ये लोग नियंत्रण रेखा पर फिर से व्यापार शुरू करना चाहते हैं, जिसका पैसा आतंकियों और उनके समर्थकों तक पहुंचेगा और राज्य में दोबारा अशांति फैल जाएगी। लेकिन भाजपा सरकार के रहते यह कभी संभव नहीं होगा।”

उन्होंने साफ कहा कि जब तक जम्मू-कश्मीर में शांति नहीं आएगी, तब तक पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं होगी। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह जेल में बंद पत्थरबाजों और आतंकवादियों को रिहा करना चाहती है ताकि राज्य में फिर से आतंकवाद पनप सके। अमित शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने की मांग पर तंज कसते हुए कहा, “अब्दुल्ला साहब और राहुल बाबा, आप जनता को मूर्ख बना रहे हैं। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा तो सिर्फ भारत सरकार ही दे सकती है।”

उन्होंने विपक्षी पार्टियों के ‘पहले जैसी व्यवस्था’ की बहाली की बात को खारिज करते हुए कहा, “जिस ऑटोनॉमी की बात करते हुए जम्मू-कश्मीर को आग में झोंका गया और हजारों लोगों की जान गई, अब कोई ताकत उस ऑटोनॉमी की बात नहीं कर सकती।”

केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने उमर अब्दुला को आड़े हाथों लिया

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि जो लोग मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला करते हैं उन्हें इस लोकतांत्रिक अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता। शनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच गठबंधन ‘‘सिर्फ सत्ता के लिए’’ है और इसका ‘‘राष्ट्रीय हित’’ से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसी अलगाववादी ने चुनाव लड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया है तो क्या उसे इस लोकतांत्रिक अवसर से वंचित किया जाना चाहिए?’’ सिंह ने अलगाववादियों के चुनाव लड़ने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, ‘‘(नेकां संस्थापक शेख) अब्दुल्ला 12 साल जेल में बिताने के बाद इसी तरह बाहर आए और मुख्यमंत्री बने। हमारे पास दो अलग-अलग पैमाने नहीं हो सकते।

इस बयान के बाद दोनों पार्टियों के बीच सियासी खींचतान और बढ़ गई है। उमर अब्दुल्ला और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अभी तक भाजपा (BJP) के इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। आगामी चुनावों को देखते हुए इस मुद्दे पर विवाद और भी गहरा सकता है, जिससे कश्मीर की सियासत में नया मोड़ आ सकता है।

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

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