मनोज झा की जीवनी: संसद की आवाज़, समाज का दर्पण

Authored By: Nishant Singh

Published On: Wednesday, August 13, 2025

Updated On: Wednesday, August 13, 2025

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Manoj Kumar Jha Biography in Hindi: अगर आपने कभी संसद की बहस में कोई ऐसा नेता देखा है जो सधी हुई आवाज़ में ठोस तर्कों के साथ पूरे सदन को सोचने पर मजबूर कर दे, तो वो शायद प्रोफेसर मनोज झा ही होंगे. पढ़ाई में प्रोफेसर, विचारों में समाजवादी और बोलचाल में आम आदमी की बात करने वाले मनोज झा आज के दौर के उन चंद नेताओं में हैं जो शब्दों से जनता का दिल जीतते हैं. इस लेख में हम जानेंगे उनके जीवन का सफर (Manoj Jha Biography) - गांव की गलियों से संसद की गूंज तक, और कैसे उन्होंने शिक्षा से राजनीति तक की एक प्रेरणादायक उड़ान भरी.



Authored By: Nishant Singh

Updated On: Wednesday, August 13, 2025

इस लेख में:

मनोज कुमार झा (Manoj Kumar Jha) भारतीय राजनीति के एक प्रमुख और प्रखर वक्ता हैं, जो राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद के रूप में जाने जाते हैं. वे समाजशास्त्र के प्राध्यापक, सामाजिक कार्यकर्ता और संवैधानिक मूल्यों के प्रबल समर्थक हैं. बिहार के सहरसा जिले में जन्मे मनोज झा ने शिक्षा, राजनीति और समाज सेवा, तीनों क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी है.

प्रारंभिक जीवन एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि

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मनोज कुमार झा का जन्म 5 अगस्त 1967 को बिहार के सहरसा जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम जवाहर झा और माता का नाम माधुरी झा है. वे एक शिक्षित और सामाजिक चेतना से संपन्न परिवार से आते हैं, जिसमें शिक्षा और राजनीति दोनों का गहरा प्रभाव रहा है.

मनोज झा का व्यक्तिगत विवरण

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विवरण सूचना
पूरा नाम मनोज कुमार झा
जन्म तिथि 5 अगस्त 1967
जन्म स्थान सहारसा, बिहार
पिता का नाम जवाहर झा
माता का नाम मधुरी झा
वैवाहिक स्थिति विवाहित (26 फरवरी 1996)
पत्नी का नाम नम्रता झा
बच्चे दो पुत्रियां
राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
पद राज्यसभा सांसद (बिहार), राष्ट्रीय प्रवक्ता – RJD
राज्यसभा में कार्यकाल प्रारंभ 3 अप्रैल 2018 (पहला कार्यकाल), पुनः निर्विरोध पुनर्निर्वाचन 2024
शैक्षणिक योग्यता M.A. (Social Work) – दिल्ली विश्वविद्यालय, Ph.D. – 2000 में प्राप्त

शिक्षा

मनोज झा की प्रारंभिक शिक्षा बिहार में हुई. उच्च शिक्षा के लिए वे दिल्ली विश्वविद्यालय आए, जहां से उन्होंने 1992 में सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर (M.A.) और 2000 में पीएचडी (Ph.D.) की डिग्री प्राप्त की. उनका शोध “भागलपुर दंगा 1989” पर केंद्रित था, जिससे उनकी सामाजिक और राजनीतिक समझ और भी गहरी हुई.

डिग्री वर्ष संस्थान विषय
स्नातकोत्तर (M.A.) 1992 दिल्ली विश्वविद्यालय सामाजिक कार्य
पीएचडी (Ph.D.) 2000 दिल्ली विश्वविद्यालय भागलपुर दंगा 1989

शैक्षणिक और पेशेवर जीवन

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मनोज झा ने अपने करियर की शुरुआत 1994 में जामिया मिलिया इस्लामिया के सामाजिक कार्य विभाग में व्याख्याता के रूप में की. 2002 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर बने और 2014 से 2017 तक विभागाध्यक्ष भी रहे. वे स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, दिल्ली में विजिटिंग फैकल्टी भी रहे हैं.

  • जामिया मिलिया इस्लामिया में 1994-2002 तक व्याख्याता.
  • दिल्ली विश्वविद्यालय में 2002 से एसोसिएट प्रोफेसर.
  • 2014-2017: विभागाध्यक्ष, सामाजिक कार्य विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय.
  • स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर में विजिटिंग फैकल्टी.
  • समाज, राजनीति, सामाजिक आंदोलनों, बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक संबंध, और शांति-अशांति अध्ययन में गहरी रुचि.

राजनीतिक जीवन

राजनीतिक जीवन की शुरुआत मनोज झा ने एक बुद्धिजीवी और सामाजिक चिंतक के रूप में की, लेकिन जल्द ही उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रवक्ता के रूप में अपनी मजबूत पहचान बना ली. तर्क, संवेदनशीलता और तथ्यात्मक भाषणों की वजह से वे पार्टी के एक प्रमुख चेहरे बन गए. 2018 में वे राज्यसभा पहुंचे और तब से वे संसद में सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की मुखर आवाज बने हुए हैं.

राजनीति में प्रवेश

मनोज झा ने 2012 में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और जल्द ही पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बन गए. वे पार्टी की विचारधारा और सामाजिक न्याय के मुद्दों को मुखरता से उठाते हैं.

राज्यसभा सदस्यता

15 मार्च 2018 को वे बिहार से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए. संसद में उनके भाषण और मुद्दों पर स्पष्ट राय के कारण वे विपक्ष के एक मजबूत और लोकप्रिय चेहरे के रूप में उभरे हैं.

प्रमुख जिम्मेदारियां

  • राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता.
  • तेजस्वी यादव के प्रमुख राजनीतिक सलाहकार.
  • कई संसदीय समितियों के सदस्य जैसे: नियम समिति, कोयला और इस्पात समिति, रेलवे समिति, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की सलाहकार समिति, व्यवसाय सलाहकार समिति, श्रम, कपड़ा और कौशल विकास समिति4.

संसद में प्रदर्शन

मनोज झा के संसद में उपस्थिति और सक्रियता उल्लेखनीय रही है. उनकी उपस्थिति औसतन 95% रही है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है. उन्होंने 665 से अधिक बहसों में हिस्सा लिया और 440 प्रश्न पूछे हैं, साथ ही 9 प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किए हैं.

संसदीय गतिविधियां (2024-2025 तक)

पैरामीटर मनोज झा राष्ट्रीय औसत बिहार औसत
उपस्थिति (%) 95% 80% 82%
बहसों में भागीदारी 665 154.5 112.7
पूछे गए प्रश्न 440 312.34 192.41
प्राइवेट मेंबर बिल 9 1.7 1.6

विचारधारा एवं प्रमुख मुद्दे

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मनोज झा समाज के वंचित, गरीब और कमजोर वर्गों के अधिकारों के प्रबल पक्षधर हैं. वे संविधान की मूल भावना, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए हमेशा मुखर रहे हैं. संसद में उनके भाषण कई बार वायरल हुए हैं, जिनमें उन्होंने संविधान, सामाजिक न्याय, किसानों, मजदूरों, युवाओं और अल्पसंख्यकों के मुद्दे उठाए हैं.

प्रमुख मुद्दे

  • सामाजिक न्याय और आरक्षण
  • किसानों और मजदूरों के अधिकार
  • शिक्षा और स्वास्थ्य
  • संविधान की रक्षा
  • अल्पसंख्यकों के अधिकार
  • बेरोजगारी और युवाओं के मुद्दे

लेखन एवं अकादमिक योगदान

मनोज झा एक प्रखर लेखक भी हैं. वे ‘द हिंदू’ और ‘इंडियन एक्सप्रेस’ जैसे प्रमुख अखबारों में सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर नियमित रूप से लेख लिखते हैं. उनकी अकादमिक रुचि में सामाजिक आंदोलन, बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक संबंध, और शांति-अशांति अध्ययन शामिल हैं.

पुरस्कार, सम्मान एवं सदस्यता

  • दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क सोसाइटी के सदस्य.
  • एसोसिएशन ऑफ स्कूल्स ऑफ सोशल वर्क इन इंडिया के सदस्य.
  • टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के रिसर्च काउंसिल के सदस्य.
  • दिल्ली विश्वविद्यालय के UDA-SAHYATI प्रोजेक्ट के मानद निदेशक.
  • कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सक्रिय भागीदारी.

प्रेरणा और व्यक्तित्व

मनोज झा के जीवन में समाजवादी विचारधारा और शिक्षा का गहरा प्रभाव है. वे छात्र जीवन में ही सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे और हमेशा समाज के कमजोर वर्गों की आवाज बने. उनके भाषणों में संवेदनशीलता, तार्किकता और संविधान के प्रति गहरी आस्था झलकती है.

प्रमुख उपलब्धियां और योगदान

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  • बिहार से राज्यसभा के लिए दो बार निर्वाचित.
  • संसद में 95% से अधिक उपस्थिति.
  • सामाजिक न्याय, संविधान और गरीबों के अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष.
  • शिक्षा और सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान.
  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक मुद्दों पर लेखन और व्याख्यान.

मनोज कुमार झा भारतीय राजनीति में एक सशक्त, संवेदनशील और प्रखर आवाज हैं. उन्होंने शिक्षा, समाज सेवा और राजनीति – तीनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है. उनकी विचारधारा, भाषण शैली और सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाता है. वे आज भी संसद और समाज में गरीब, वंचित और अल्पसंख्यक वर्गों की आवाज बने हुए हैं.

FAQ

मनोज कुमार झा जमीनी स्तर से उठे एक शिक्षाविद, समाज-न्याय के समर्थक और राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. वे बिहार से राज्यसभा सांसद हैं और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर मुखर आवाज रखने वाले नेता हैं. 

उन्हें 15 मार्च 2018 को बिहार से निर्विरोध रूप से राज्यसभा सांसद चुना गया.

उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से सोशल वर्क में M.A. (1992) और Ph.D. (2000) की उपाधियां प्राप्त की हैं.

2021 में उन्होंने कोरोना (COVID‑2) पर राज्यसभा में “मूक माफी” विषय पर आठ मिनट का भावुक भाषण दिया. उन्होंने मॉनसून सत्र में प्रश्नकाल न होने पर भी सरकार को तीखे सवाल उठाए और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े मुद्दों की बात की.

उन्होंने चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए कहा कि उनका काम “केवल शेरो-शायरी करना” नहीं है और उन्होंने वोटर लिस्ट, EPIC कार्ड व वोट डिलीशन जैसे मुद्दों की जांच की मांग की.

उन्होंने कहा कि देश में 2021 तक जाति-जनगणना हो जानी चाहिए थी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा भेजे गए संदेश पर सवाल उठाए. उन्होंने उन पर “कब उचित समय है?” जैसे तर्कपूर्ण सवाल भी दागे.

हां, 2023 में उन्होंने कहा कि “पेगासस हो या न हो, फोन टैपिंग हो रही है” और इस पर जांच की मांग की, साथ ही कहा कि भाजपा के कई नेता बातचीत में सावधान रहते हैं. 



About the Author: Nishant Singh
निशांत कुमार सिंह एक पैसनेट कंटेंट राइटर और डिजिटल मार्केटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता और जनसंचार का गहरा अनुभव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए आकर्षक आर्टिकल लिखने और कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने में माहिर, निशांत हर लेख में क्रिएटिविटीऔर स्ट्रेटेजी लाते हैं। उनकी विशेषज्ञता SEO-फ्रेंडली और प्रभावशाली कंटेंट बनाने में है, जो दर्शकों से जुड़ता है।
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