अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव: डोनाल्ड ट्रंप ने रचा इतिहास, बने 47 वें राष्ट्रपति
Authored By: Gunjan Shandilya
Published On: Thursday, November 7, 2024
Updated On: Thursday, November 7, 2024
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 136 वर्ष पुराने इतिहास को दोहराया है। जब कोई पूर्व राष्ट्रपति एक चुनाव हारने के बाद दोबारा चुनाव जीतने में कामयाब हुआ है।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के लिए 538 इलेक्टोरल वोट में से 270 की जरुरत होती है। डोनाल्ड ट्रंप को अब तक 277 इलेक्टोरल वोट मिल गया है। वहीं कमला हैरिस को 224 वोट मिले हैं। अभी 501 वोटों की गिनती हुई है। गिनती अभी चल रही है। थोड़ी देर पहले ट्रंप ने खुद अपनी जीत का ऐलान कर दिया है। वे रुझानों में तेजी से आगे बढ़ने के बाद अपना गृहक्षेत्र फ्लोरिडा पहुंचे। वहां उन्होंने अपने समर्थकों को संबोधित भी किया। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समर्थकों से कहा कि अब कोई युद्ध नहीं होगा। हम अमेरिका के पुराने गौरव को फिर से वापस लाएंगे। यह जीत अमेरिका की जीत है। अमेरिका ने हमें एक अभूतपूर्व और शक्तिशाली जनादेश दिया है।’
ट्रंप का संघर्ष
वर्ष 2020 का चुनाव हारने के बाद डोनाल्ड ट्रंप को काफी संघर्ष करना पड़ा। न केवल अमेरिका में बल्कि अपनी पार्टी (रिपब्लिकन) के अन्दर भी। बीस का चुनाव हारने के बाद ट्रंप का राजनीतिक करियर खत्म हो गया था। हार के बाद उनके समर्थकों ने यूएस कैपिटल पर धावा बोलकर काफी हंगामा मचाया था। क्योंकि तब ट्रंप का मानना था कि चुनाव में धांधली कर उन्हें हराया गया। इसके बाद इन्हें अपनी पार्टी के अन्दर भी चुनौती मिलने लगी थी। उन्होंने अपनी सुझबुझ और सटीक रणनीति से पार्टी के अंदर चुनौती देने वालों को हरा दिया। और वे पार्टी की ओर से फिर से राष्ट्रपति के उम्मीदवार घोषित हुए। फिर अमेरिका की गिरती अर्थव्यवस्था और अवैध आव्रजन पर मतदाताओं की चिंताओं का लाभ उठाकर डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को हरा दिया।
सीनेट में ट्रंप की पार्टी को बहुमत
डोनाल्ड ट्रंप ने बेहद सलीके से अवैध आव्रजन को मुद्दा बनाया और प्रचार के दौरान मतदाताओं को समझाने में कामयाब हुए कि अवैध आव्रजन के कारण ही यहां अपराध में वृद्धि हो रही है। उन्होंने दावा किया किया कि यदि वे राष्ट्रपति बनते हैं तो अवैध आव्रजन को रोकेंगे। अवैध आव्रजन के कारण अमेरिका में बेरोजगारी दर में भी वृद्धि हुई है।
ट्रंप द्वारा इस मुद्दे को उछालने का नतीजा यह हुआ कि उनके चुनाव जीतने के साथ-साथ उनकी रिपब्लिकन पार्टी (Republican Party) ने अमेरिकी सीनेट में भी बहुमत हासिल कर लिया। हालांकि प्रतिनिधि सभा में अभी उनकी पार्टी को बहुमत नहीं है।
हैरिस से ज्यादा ट्रंप पर भरोसा
अमेरका के मतदाताओं ने नौकरियों और अर्थव्यवस्था को देश की सबसे बड़ी समस्या के रूप में माना। चुनाव में यहां महंगाई भी बड़ा मुद्दा था। हैरिस की डेमोक्रेटिक पार्टी सत्ता में थी। वह खुद उपराष्ट्रपति थी। इस कारण हैरिस को एंटी इंकम्बेंसी का भारी नुकसान हुआ।
यहां चुनाव के दौरान मतदाताओं ने कहा भी कि वे इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए हैरिस की तुलना में ट्रंप पर अधिक भरोसा करते हैं। मतदाताओं का मानना था कि अर्थव्यवस्था, महंगाई आदि से ट्रंप ही निपट सकते हैं। महंगाई से सबसे अधिक प्रभावित निम्न आय वाले परिवारों ने ट्रंप की चुनावी जीत में मदद की। ऐसे मतदाता बढ़-चढ़कर वोटिंग करने घरों से बाहर निकले।
पिछड़ गईं हैरिस
उपराष्ट्रपति हैरिस अपने 15-सप्ताह के चुनावी अभियान में ट्रंप से पिछड़ गईं। हैरिस की हार का राजनीतिक विश्लेषक कई मुद्दों में से एक सबसे बड़ा कारण यह मानते हैं कि डेमोक्रटिक पार्टी (Democratic Party) ने उन्हें बहुत देर से उम्मीदवार बनाया। राष्ट्रपति चुनाव के अभियान शुरूआती समय में जो बाइडेन को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था। लेकिन उनकी बढ़ती उम्र, भूलने की बीमारी आदि के कारण उन्हें वापस बुलाया गया और फिर कमला हैरिस को उम्मीदवार बनाया गया। इसके बावजूद कमला हैरिस अमेरिका में इतिहास नहीं रच पाई। अमेरिका में अभी तक कोई महिला राष्ट्रपति की कुर्सी पर नहीं बैठीं हैं। इसलिए इस बार उनके पास मौका था लेकिन वह पिछड़ गईं।
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