ध्यान और अध्यात्म पथ पर चलने के लिए सात्विक दिनचर्या का पालन: अम्मा अमृतानंदमयी

Authored By: स्मिता

Published On: Monday, August 25, 2025

Last Updated On: Monday, August 25, 2025

Amma Amritanandamayi Spiritual Routine सात्विक दिनचर्या और ध्यान.
Amma Amritanandamayi Spiritual Routine सात्विक दिनचर्या और ध्यान.

Amma Amritanandamayi Spiritual Routine सात्विक दिनचर्या और ध्यान पर आधारित है. अम्मा का संदेश है कि संतुलित और सात्विक जीवनशैली अपनाकर मन की शांति, आत्मिक शक्ति और अध्यात्म पथ पर प्रगति प्राप्त की जा सकती है.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Monday, August 25, 2025

आध्यात्मिक गुरु अम्मा अमृतानंदमयी के अनुसार, (Amma Amritanandamayi Spiritual Routine) अध्यात्म कोई पार्ट टाइम जॉब नहीं है या सिर्फ ध्यान लगाने बैठ जाना नहीं है. ध्यान सतत प्रयास से लगता है. सात्विक दिनचर्या का अनुसरण करने से ध्यान और अध्यात्म दोनों सधते हैं.

आध्यात्मिक गुरु अम्मा अमृतानंदमयी ने बताया है कि अध्यात्म कोई पार्ट टाइम काम नहीं है. अध्यात्म सही जीवन जीने का विज्ञान है. इसलिए आध्यात्मिक सिद्धांतों को नकारना या उनकी उपेक्षा करना उचित नहीं है. यदि आपके दिन के अधिकांश कार्य बेचैनी और अशांति का कारण बनते हैं, तो आप अपने जीवन में शांति और आनंद की आशा नहीं कर सकते हैं. यदि आप हर समय शांति और आनंद चाहते हैं, तो आपको अपने जीवन को इसी लक्ष्य की ओर उन्मुख करना होगा. यह एक असंभव कार्य लग सकता है, लेकिन एक-एक कदम उठाकर आध्यात्मिक आनंद की ऊंचाइयों को पाया जा सकता है.

ब्रह्म मुहूर्त में प्रकृति में सात्विक गुण प्रबल

  • सभी को सुबह पांच बजे से पहले उठने का प्रयास करना चाहिए. ध्यान और जप जैसे आध्यात्मिक अभ्यासों के लिए आदर्श समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह साढ़े तीन से छह बजे के बीच का समय) है.
  • इस समय प्रकृति में सात्विक गुण प्रबल होते हैं. मन निर्मल और शरीर ऊर्जावान होता है. सूर्योदय के बाद भी सोते रहना कभी भी अच्छा नहीं होता है. जागने के बाद बिस्तर पर न रहें, क्योंकि इससे आलस्य और सुस्ती बढ़ती है. जो लोग तुरंत अपनी नींद के घंटे कम नहीं कर सकते, वे समय के साथ धीरे-धीरे ऐसा कर सकते हैं.

प्रत्येक व्यक्ति का अपना धर्म या कर्तव्य

शास्त्रों में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति का अपना धर्म या कर्तव्य होता है. यदि सभी अपने धर्म का पालन करें, तो संसार में सद्भाव और शांति बनी रहेगी. इसलिए नियोक्ता या कंपनी के लिए नहीं, बल्कि ईश्वर के लिए काम करें. यदि आप काम में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं और अपने परिश्रम का फल ईश्वर को समर्पित करते हैं, तो वह कार्य पूजा बन जाएगा.

गरीबों और पीड़ितों को दान करें

अम्मा कहती हैं कि हमें अपनी संपत्ति का एक हिस्सा गरीबों और पीड़ितों की मदद के लिए देना चाहिए. आपको लग सकता है कि आपके पास अतिरिक्त कुछ नहीं है. यदि आप दिन में आठ घंटे काम करते हैं, और उन आठ घंटों में आप अपने परिवार की जरूरतें पूरी कर पाते हैं, तो प्रतिदिन आधा घंटा या एक घंटा अतिरिक्त काम करने का प्रयास करें. उस अतिरिक्त समय की कमाई दान में दी जा सकती है.

ईश्वर का स्मरण

अपना काम करते समय हमेशा ईश्वर का स्मरण बनाए रखने का प्रयास करें. यदि यह आपके लिए संभव नहीं है, तो आप अपना काम शुरू करने से पहले और समाप्त करने के बाद अपने दिन के काम को ईश्वर को समर्पित कर सकते हैं. रात को सोने से ठीक पहले अपने बिस्तर पर बैठकर कम से कम पांच मिनट ध्यान करें. फिर अपने प्रिय देवता या गुरु को प्रणाम करें. ऐसा करते समय आप कल्पना कर सकते हैं कि आप अपने प्रिय देवता के चरणों को कसकर पकड़े हुए हैं. पूरे दिल से प्रार्थना करें: “हे भगवान, आज मैंने जानबूझकर या अनजाने में जो भी गलतियां की हैं, उनके लिए कृपया मुझे क्षमा करें. मुझे उन्हें दोहराने से बचने की शक्ति दें.”

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।


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