Anant Chaturdashi 2025: सुख समृद्धि की कामना के लिए बांधें अनंत सूत्र
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, August 25, 2025
Last Updated On: Monday, August 25, 2025
Anant Chaturdashi 2025 का पर्व सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना के लिए मनाया जाता है. इस दिन अनंत सूत्र बांधने की परंपरा है, जो जीवन में खुशहाली और परिवार में शांति लाने वाला माना जाता है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Monday, August 25, 2025
Anant Chaturdashi 2025: दस दिवसीय गणेश चतुर्थी उत्सव के समापन के रूप में प्रसिद्ध है अनंत चतुर्दशी. इस अवसर पर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है और हाथ पर अनंत सूत्र बांधा जाता है. 6 सितंबर को देश भर में अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी.
अनंत चतुर्दशी देश भर में उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भक्तगण गणेश प्रतिमाओं को जलाशयों में विसर्जित करते हैं. भक्तगण जीवन की समृद्धि, सुख और व्याधियों से मुक्ति की कामना करते हुए अनंत चतुर्दशी व्रत रखते हैं. 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाने के साथ भक्तगण उपवास रखते हैं और कई अनुष्ठान (Anant Chaturdashi 2025) करते हैं.
अनंत चतुर्दशी 2025 की तिथि और पूजा मुहूर्त (Anant Chaturdashi 2025 Date & Time)
विवरण | समय / जानकारी |
तिथि | शनिवार, 6 सितंबर 2025 |
पूजा मुहूर्त | सुबह 6:00 बजे से 8:30 बजे तक (अनंत पूजा के लिए सबसे उपयुक्त) |
विसर्जन का समय | पूरे दिन, मूर्ति विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर होता है |
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ | शाम 6:22 बजे, 5 सितंबर 2025 |
चतुर्दशी तिथि समाप्त | शाम 4:45 बजे, 6 सितंबर 2025 |
अनंत चतुर्दशी का आध्यात्मिक महत्व (Anant Chaturdashi Spiritual Significance)
- अनंत व्रत के अवसर पर भगवान विष्णु की स्तुति की जाती है. भक्तगण अपनी कलाई पर एक पवित्र धागा अनंत सूत्र बांधते हैं. यह सूत्र भगवान विष्णु के अनंत आशीर्वाद, सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक है.
- गणेश विसर्जन – दस दिवसीय गणेश चतुर्थी उत्सव के बाद भगवान गणेश के प्रस्थान का यह प्रतीक है. भक्तगण मूर्तियों को संगीत, मंत्रोच्चार और नृत्य के साथ भव्य जुलूस में ले जाते हैं. फिर नदियों, झीलों या समुद्र में विसर्जित कर देते हैं.
क्या है अनुष्ठान (Anant Chaturdashi 2025 Rituals)
- प्रातः स्नान और संकल्प: भक्त दिन की शुरुआत पवित्र स्नान से करते हैं और व्रत रखने का संकल्प लेते हैं.
- प्रातः पूजा: लोग घर की सफाई करके, साफ कपड़े पहनकर और भगवान विष्णु की छवि या मूर्ति के साथ एक विशेष वेदी तैयार करते हैं और घर पर पूजा करते हैं.
- अनंत सूत्र बांधना: अनंत व्रत कथा पढ़ने के बाद आमतौर पर 14 गांठों वाला एक पवित्र धागा पुरुषों की दाहिनी कलाई और महिलाओं की बाईं कलाई पर बांधा जाता है.
- गणेश विसर्जन: “गणपति बप्पा मोरया, पुधच्या वर्षी लवकर या” (अगले वर्ष फिर आना) शब्दों के साथ गणेश जी को विदाई दी जाती है.
- दान और भेंट: दया और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में गरीबों को कपड़े, मिठाई और भोजन दिया जाता है.
क्या है अनंत चतुर्दशी व्रत कथा (Anant Chaturdashi Vrat Katha)
महाभारत में अनंत चतुर्दशी व्रत कथा मिलती है.
एक समय कौंडिन्य नाम का एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी सुशीला रहते थे. वे बहुत गरीब थे और उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. एक दिन सुशीला ने कुछ महिलाओं को नदी किनारे एक अनुष्ठान करते देखा. वे भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा कर रही थीं. उन्होंने बताया कि यह अनुष्ठान उन्हें समृद्धि प्रदान करेगा और उनके दुखों को दूर करेगा. सुशीला भी उनके साथ अनुष्ठान में शामिल हो गईं और भगवान अनंत का प्रतीक अपनी बांह पर 14 गांठों वाला एक पवित्र धागा बांध लिया.
कौंडिन्य इससे प्रसन्न नहीं हुए. उन्होंने इसे अंधविश्वास माना और क्रोध में आकर सुशीला की बांह से धागा निकालकर अग्नि में फेंक दिया. इस कृत्य से भगवान अनंत क्रोधित हो गए और कौंडिन्य को और अधिक कठिनाइयों और गरीबी का सामना करना पड़ा.
एक दिन वन में भटकते हुए कौंडिन्य थकावट के कारण मूर्छित हो गए. भगवान अनंत अपने अनंत रूप में उनके सामने प्रकट हुए और बताया कि उनका दुख अनंत व्रत का अनादर करने का परिणाम है. उन्होंने कौंडिन्य को पश्चाताप करने और अपने कष्टों को दूर करने के लिए 14 वर्षों तक भक्तिपूर्वक व्रत करने की सलाह दी.
कौंडिन्य पत्नी सुशीला के साथ 14 वर्षों तक पूरी श्रद्धा के साथ अनंत व्रत किया. परिणामस्वरूप, उनका भाग्य बदल गया और वे धनवान और समृद्ध हो गए. दंपत्ति सुखपूर्वक रहने लगे और सदैव भगवान अनंत की शक्ति और अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व को स्मरण करते रहे.
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