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ईश्वर और मानव की अंतर-सांस्कृतिक धारणाओं का उत्सव है ‘क्रिसमस’
ईश्वर और मानव की अंतर-सांस्कृतिक धारणाओं का उत्सव है ‘क्रिसमस’
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, December 20, 2024
Updated On: Friday, December 20, 2024
ईसा मसीह या यीशु (Jesus Christ) का शाब्दिक अर्थ है ईश्वर हमारे साथ हैं। क्रिसमस का आध्यात्मिक अर्थ ईश्वर के पुत्र ईसा मसीह के जन्म का उत्सव मनाना है। यह दिन दुनिया भर में प्रेम, आशा, खुशी और भाईचारा का संदेश देने का है। 25 दिसंबर (Christmas 2024) के अवसर पर इंस्टिट्यूट ऑफ़ हार्मनी एंड पीस स्टडीज, नई दिल्ली के संस्थापक और निदेशक डॉ. एम डी थॉमस के विचार जानते हैं।
Authored By: स्मिता
Updated On: Friday, December 20, 2024
क्रिसमस ईसा मसीह के दुनिया में अवतार लेने के लिए कृतज्ञता प्रकट करने का दिन है। प्रभू यीशु ने हमें प्रेम दिया और प्रेम बांटना सिखाया। ये आशा के रूप में हमेशा हमारे साथ रहते हैं। विपरीत परिस्थितियों में यीशु के संदेश हमें सांत्वना देते हैं और प्रोत्साहित करते हैं। यह प्रेम, उदारता और सेवा के माध्यम से अपने विश्वास को मूर्त रूप देने का समय है। 25 दिसंबर को हम समाज में प्रेम बांटे और दूसरों के साथ खुशी के पल को साझा करें। क्रिसमस यह याद रखने का भी समय है कि यीशु हमारे लिए मरे और फिर से जीवित हो गए। “क्रिसमस (Christmas 2024) ” क्राइस्ट या जीसस से आया है।
क्रिसमस की आध्यात्मिक तैयारी (Christmas Spiritual Meaning)
इंस्टिट्यूट ऑफ़ हार्मनी एंड पीस स्टडीज, नई दिल्ली के संस्थापक और निदेशक डॉ. एम डी थॉमस ने बताया, ‘25 दिसंबर दुनिया भर के लोगों के दिलो-दिमाग को सबसे बड़े त्योहार के रूप में याद करने के लिए प्रेरित करता है। यह सभी पृष्ठभूमि के लोगों के लिए एक सुखद ‘फ्लैश बैक’ भी लाता है, जिन्होंने यीशु से प्रेरणा प्राप्त की। उन्होंने किसी न किसी तरह से अपने जीवन को अलग पाया। साल के अंत वाले महीने में 24 दिन तक यीशु के भक्त उनका नए सिरे से स्वागत करने और उनके द्वारा जीए गए महान मूल्यों को एक बार फिर से दिल में उतारने के लिए आध्यात्मिक तैयारी करते हैं । 24 दिसंबर की मध्यरात्रि के आसपास यीशु के जन्म के दृश्यों को देखना और उन क्षणों को फिर से जीना ईसा मसीह के आगमन की प्रतीक्षा का भव्य समापन है।’
जीवन की नई शुरुआत का प्रतीक (Life Lessons)
डॉ. एम डी थॉमस के अनुसार, यीशु के जन्म का जश्न मनाने में कई तरह की गतिविधियां शामिल हैं। उत्सव का मुख्य हिस्सा चर्च में विशेष प्रार्थनाओं में भाग लेना है। न केवल ईसाइयों के लिए बल्कि देश और दुनिया भर के सभी नागरिकों के लिए आशीर्वाद मांगने का विचार ही प्रार्थना में मुख्य रूप से शामिल होता है। एक दूसरे को बधाई देना और क्रिसमस की खुशियां बांटना इस उत्सव का सामाजिक पहलू है। सभी समुदायों के प्रियजनों के साथ क्रिसमस केक शेयर करना सद्भावना, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। मानवीय भावनाओं से ओतप्रोत यह मिलन समारोह पूरे सप्ताह चलता है। इसके बाद नए साल की शुरुआत होती है, जो वास्तव में जीवन की नई शुरुआत का प्रतीक है।
क्रिसमस ट्री की कहानी (Christmas Tree)
यह त्योहार उंच-नीच, अमीर-गरीब, गोरा-काला का भेद मिटा देता है। क्रिसमस ईश्वर और मानव की अंतर-सांस्कृतिक धारणाओं का उत्सव है। क्रिसमस के अवसर पर बच्चों को उपहार बांटने वाले ‘सांता क्लॉज’ और सभी को सरप्राइज गिफ्ट देने वाले शुभ ‘क्रिसमस ट्री’ की कहानी सभी धर्मों के लोगों को आकर्षित करती है। क्रिसमस न केवल भारत के बाहर बल्कि भारत में भी सबसे ज़्यादा लोगों को एक साथ लाता है।
ईश्वर हमारे साथ हैं (Jesus Christ quote)
डॉ. एम डी थॉमस बताते हैं, ‘‘जीसस’ नाम का अर्थ सार्वभौमिक है। ‘जीसस’ शब्द ‘याहोशुआ’ या ‘जोशुआ’ से निकला है, जिसका अर्थ है ‘ईश्वर ध्यान रखता है’ या ‘ईश्वर बचाता है’। ‘जीसस’ शब्द का एक और स्रोत ‘इमैनुएल’ है, जिसका अर्थ है ‘ईश्वर हमारे साथ है’। जीसस ने ईश्वर को न केवल मनुष्य के करीब लाया, बल्कि उसे एक इटरनल फ्रेंड (Eternal Friend) के रूप में बताया, जो उसके भीतर रहता है। उन्होंने ईश्वर को ‘पिता’ के समान बताया, जिसके पास मनुष्य पुत्र या पुत्री की तरह संतानोचित स्वतंत्रता की भावना से जा सकता है। ‘यीशु’ नाम इस तथ्य का प्रतीक है कि ‘ईश्वर मनुष्य के जितना करीब है, उतना ही वह खुद के भी करीब है।’ ईश्वर एक आध्यात्मिक धागा के समान है, जो पिता और ईश्वर के बच्चों को एक दूसरे से जोड़ता है।’
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