Janmashtami 2025: व्रत रखने जा रहे हैं, तो रखें कुछ नियम का खयाल
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, August 13, 2025
Last Updated On: Wednesday, August 13, 2025
Janmashtami 2025: भक्तगण श्रीकृष्ण का आशीर्वाद पाने और ईश्वर के साथ गहरे संबंध का अनुभव करने के लिए जन्माष्टमी के अवसर पर उपवास रखते हैं. इस अवसर पर व्रत के अनुष्ठान और नियम का खयाल रखना चाहिए.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Wednesday, August 13, 2025
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन चारों ओर श्रीकृष्ण के भक्ति गीत और भजन गूंजते रहते हैं. (Janmashtami 2025) देश भर में भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य जन्म का उत्सव मनाने की तैयारी चल रही होती है. जन्माष्टमी का त्योहार वास्तव में आनंद, भक्ति और आध्यात्मिक चिंतन का समय है. इस शुभ अवसर पर भक्तगण भगवान का आशीर्वाद पाने और ईश्वर के साथ गहरे संबंध का अनुभव करने के लिए उपवास रखते हैं. इस अवसर पर व्रत के अनुष्ठान और नियम का खयाल रखना चाहिए. इनका (Janmashtami 2025) पालन हमें भक्ति और श्रद्धा के साथ करना चाहिए.
जन्माष्टमी का महत्व (Janmashtami Spiritual Importance )
जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का स्मरण कराती है. श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण अपने दिव्य गुणों और कर्मयोग की शिक्षा के लिए जाने जाते हैं. जन्माष्टमी केवल त्योहार नहीं है, बल्कि भगवान कृष्ण के शाश्वत प्रेम और ज्ञान का उत्सव है.
जन्माष्टमी पर किए जाने वाले अनुष्ठान (Janmashtami 2025 Rituals)
- सफाई और सजावट – पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें. उसे फूलों, रंगोली और घी या तेल के दीयों से सजाकर शुरुआत करें.
पवित्र स्थान पर श्रीकृष्ण विग्रह – कृष्ण की मूर्ति के लिए एक विशेष स्थान निर्धारित करें. सजे हुए झूले या पालने पर भी उनकी मूर्ति रखी जा सकती है. उसे फूलों, रिबन और रोशनी से सजा लें. - तैयार करें वेदी- झूले या पालने पर बाल कृष्ण की एक छोटी मूर्ति या चित्र रखें. उसके चारों ओर मक्खन, दही, दूध और तुलसी के पत्तों जैसे प्रसाद रखें.
- उपवास के अनुष्ठान- कुछ भक्त पूरे दिन उपवास (व्रत) रखते हैं. पूजा के बाद आधी रात के बाद ही इसे तोड़ते हैं.
- मध्यरात्रि पूजा – आधी रात को श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाने के लिए निशित पूजा करें. प्रार्थना करें. मंत्रों का जाप करें और भजन गाएं.
- आरती और प्रार्थना – मूर्ति के सामने दीया जलाकर आरती करें, प्रार्थना करें और घंटी बजा लें.
- भजन और मंत्रोच्चार – भजन करें और हरे कृष्ण मंत्र या भगवदगीता के श्लोकों जैसे मंत्रों का जाप करें.
- अभिषेक – भक्त श्रीकृष्ण की मूर्ति को दूध, शहद, दही और अन्य पवित्र पदार्थों से स्नान कराकर अभिषेक करते हैं.
- श्रीकृष्ण के साथ जुड़ना – परिवार के सदस्यों, विशेषकर बच्चों के साथ श्रीकृष्ण के जीवन की कथा और लीला साझा करें.
- नैवेद्य – कृष्ण के पसंदीदा व्यंजन जैसे मक्खन, दूध और मिठाई चढ़ायें. फूल, तुलसी के पत्ते और धूप भी चढ़ा लें.
- मूर्ति को वस्त्र पहनाना – श्रीकृष्ण की मूर्ति को नए वस्त्र पहनायें. उन्हें आभूषणों से सजा लें. यह श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है.
- श्रीकृष्ण स्मरण – श्रीकृष्ण का निरंतर स्मरण करते हुए उनकी लीलाओं का श्रवण करें.
श्रीकृष्ण उत्सव
दही हांडी – जन्माष्टमी के अवसर पर दही हांडी की रस्म मनाई जाती है. इसमें युवा पुरुष मानव पिरामिड बनाकर हवा में ऊंचे लटके दही और मक्खन के बर्तन को तोड़ते हैं.
रासलीला – भक्त कृष्ण और राधा के रूप में सजे बच्चों के साथ कृष्ण के चंचल नृत्य रासलीला का भी मंचन कर सकते हैं.
क्या हैं जन्माष्टमी व्रत के नियम (Janmashtami 2025 Vrat Rules)
जन्माष्टमी पर व्रत रखने पर मन, शरीर और आत्मा शुद्ध होती है. भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य ऊर्जा से जुड़ने का यह एक अवसर है. जन्माष्टमी के दौरान पालन किए जाने वाले कुछ सामान्य व्रत नियम इस प्रकार हैं:
- जन्माष्टमी के दिन आधी रात को या सूर्योदय से पहले व्रत शुरू करें.
- व्रत के दौरान अनाज, दाल और प्याज-लहसुन जैसी कुछ सब्जियों का सेवन निषिद्ध करें.
- ताजे फल, दूध, दही और हल्के शाकाहारी व्यंजनों से युक्त सात्विक आहार लें.
- पूरे दिन पानी, नारियल पानी और हर्बल चाय पीकर हाइड्रेटेड रहें. मांसाहारी भोजन, शराब और कैफीन का सेवन करने से बचें.
- भजन गाने, मंत्र जपने और धर्मग्रंथ पढ़ने जैसी धार्मिक गतिविधियों में शामिल हों.
- भगवान कृष्ण को समर्पित मंदिरों में जाएं और विशेष जन्माष्टमी समारोह में भाग लें.
- अपने परिवार या समाज के रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हुए सूर्यास्त के बाद उचित समय पर व्रत तोड़ें.
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