Kailash Yatra 2025: चीन की नई शर्तें, बढ़ा किराया और बदला रूट

Kailash Yatra 2025: चीन की नई शर्तें, बढ़ा किराया और बदला रूट

Authored By: स्मिता

Published On: Monday, May 19, 2025

Last Updated On: Monday, May 19, 2025

Kailash Yatra 2025: कैलाश पर्वत के सामने खड़े यात्रियों का समूह, कैलाश यात्रा 2025 की तस्वीर जिसमें चीन की नई शर्तों के कारण बदला हुआ रूट दिखाया गया है.
Kailash Yatra 2025: कैलाश पर्वत के सामने खड़े यात्रियों का समूह, कैलाश यात्रा 2025 की तस्वीर जिसमें चीन की नई शर्तों के कारण बदला हुआ रूट दिखाया गया है.

Kailash Mansarovar Yatra 2025 : कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 30 जून को दिल्ली से शुरू हो जाएगी. विदेश मंत्रालय के अनुसार, 2019 के मुकाबले चीन ने इस साल प्रति व्यक्ति फीस 20 हजार रुपये तक बढ़ा दी है. लिपुलेख दर्रे के ज़रिए चीन में प्रवेश करने पर प्रति व्यक्ति 1.84 लाख रु. खर्च होंगे, जिसमें 95 हजार रुपए चीन की फीस रहेगी.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Monday, May 19, 2025

Kailash Yatra 2025: हिंदुओं, जैनियों और बौद्धों के लिए पवित्र तीर्थस्थल है कैलाश मानसरोवर (Kailash Mansarovar). कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल के अंतराल के बाद जून 2025 में भारत और चीन के बीच फिर से शुरू होने वाली है. महामारी और दोनों देशों के बीच सीमा तनाव के कारण यात्रा को स्थगित कर दिया गया था. विदेश मंत्रालय के अनुसार, यात्रा उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे और सिक्किम में नाथू ला से होकर आगे बढ़ेगी. कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 तीर्थयात्रा 30 जून को दिल्ली से शुरू हो जाएगी, जो अगस्त तक जारी( Kailash Mansarovar Yatra 2025) रहेगी.

लिपुलेख दर्रे और नाथूला दर्रे के ज़रिए यात्रा

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए विदेश मंत्रालय लिपुलेख दर्रे के ज़रिए 5 बैच और नाथूला दर्रे के ज़रिए 10 बैच आयोजित करेगा. इनमें से प्रत्येक में 50 तीर्थयात्री होंगे. पहला समूह 10 जुलाई को लिपुलेख दर्रे के ज़रिए चीन में प्रवेश करने वाला है, जबकि अंतिम समूह के 22 अगस्त को भारत लौटने की उम्मीद है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा का शुल्क बढ़ा( Kailash Mansarovar Yatra figure)

30 जून से शुरू होने जा रही कैलाश मानसरोवर यात्रा 2019 के मुकाबले ज्यादा खर्चीली रहेगी. दरअसल, चीन ने अपनी जमीन पर कैलाश यात्रा का शुल्क बढ़ा दिया है. इस बार चीन प्रति यात्री 17 से 20 हजार रुपए तक ज्यादा शुल्क ले रहा है. कैलाश यात्रा में तीन दिन ज्यादा समय लगेगा, इसलिए खर्च भी बढ़ गया.

यात्रा के लिए चीन लेगा लगभग एक लाख रुपये तक की रकम

भारत में दो रास्तों से कैलाश मानसरोवर यात्रा होती है. पहला- उत्तराखंड का लिपुलेख मार्ग और दूसरा- सिक्किम का नाथूला पास. चीन बॉर्डर तक पहली बार दोनों ही रास्तों से यात्रा गाड़ियों से होगी. लिपुलेख के रास्ते यात्रा पर प्रति व्यक्ति 1.84 लाख रु. खर्च होंगे. इनमें से 1100 डॉलर यानी करीब 95 हजार रुपए चीन की फीस रहेगी. 2019 में 1.30 लाख के खर्च में 900 डॉलर यानी करीब 77 हजार रुपए प्रति यात्री चीन ने लिए थे. नाथुला पास से चीन प्रति यात्री 2400 डॉलर( 2.05 लाख रु.) लेगा. इधर कुल यात्रा खर्च 2.84 लाख रु. है.

दोनों रूट पर ज्यादा समय लगेगा

दोनों रूट पर 200 से 300 डॉलर तक शुल्क बढ़ा है. चीन के अनुसार, 2019 और आज के डॉलर के रेट में काफी अंतर है. वीजा और अन्य दस्तावेजों पर पैसा खर्च करने के कारण रकम बढ़ी है. पहले लिपुलेख मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा में आने- जाने में 20- 21 दिन लगते थे, लेकिन अब 23 दिन लगेंगे. यात्रियों का समय दिल्ली में 12 दिन और तिब्बत में नौ दिन बीतता था.

तिब्बत में दस दिन ( Kailash Mansarovar Yatra at Tibbat)

कुछ समय पहले तक दिल्ली में एक दिन में दस्तावेजों की जांच हो जाती थी. पिथौरागढ़ पहुंचने के बाद धारचूला, पांगू, गुंजी में स्वास्थ्य जांच होती थी. इस बार विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में तीन दिन स्वास्थ्य, दस्तावेजों की जांच के लिए रखे हैं. फिर गुंजी में स्वास्थ्य जांच होगी. दिल्ली से नाथूला और कैलाश होकर फिर दिल्ली आने में 25 दिन लगेंगे. पहले 23 दिन लगते थे. इस बार यात्री 10 दिन तिब्बत, तो 15 दिन भारत में बिताएंगे. नाथूला से कैलाश पर्वत 210 किमी तो लिपुलेख दरें से 96 किमी दूर है.

पहला पड़ाव होगा टनकपुर( Kailash Mansarovar Yatra at Tanakpur)

पहले कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान हल्द्वानी पहला स्टॉप होता था. लिपुलेख मार्ग से यात्रा करने वाले यात्री पहली बार दिल्ली से बस से सीधे टनकपुर पहुंचेंगे. इस बार यही पहला स्टॉप होगा. टनकपुर उत्तराखंड का एक प्रमुख नगर है. चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित टनकपुर नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है. टनकपुर कैलाश यात्रा का पारंपरिक मार्ग है. इसका जिक्र मानस खंड के कुर्मांचलपर्व के अध्याय 11 में है. टनकपुर से अगले दिन यात्री धारचूला पहुंचेंगे. यहां रात भर रुकेंगे. अगले दिन गुंजी और इसके बाद 4500 मीटर ऊपर नाभीडांग में रात्रि विश्राम करेंगे.

चीन की सख्त गाइडलाइन( China Guideline)

यात्री मानसरोवर झील में पूजन सामग्री नहीं डाल सकेंगे. चीन ने इसके लिए सख्त गाइडलाइन बनाई है. यात्रियों को दिल्ली में कचरा निस्तारण की ट्रेनिंग दी जाएगी. लिपुलेख के रास्ते 250 तो नाथूला से 500 यात्री जाएंगे.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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