Prayagraj Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में होगें हठयोगियों के दर्शन

Prayagraj Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में होगें हठयोगियों के दर्शन

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, December 19, 2024

Prayagraj Mahakumbh 2025: Hathyogi to Participate in Mahakumbh
Prayagraj Mahakumbh 2025: Hathyogi to Participate in Mahakumbh

प्रयागराज महाकुंभ में संतों-महात्माओं के साथ -साथ हठयोगी भी शामिल होंगे। हठ योग शारीरिक अभ्यासों के विचार को इंगित करता है। भारत में हठ योग नाथ संप्रदाय के योगियों से जुड़ा हुआ है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Thursday, December 19, 2024

प्रयागराज में महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh 2025) का आयोजन हो रहा है। संगम की रेती पर विश्व में सनातन धर्म के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में बारह वर्ष बाद हठयोगियों के दर्शन हो पाएंगे। देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले हठयोगी माघ मास की कड़ाके ठंड में तपस्या करने के लिए यहां आ रहे हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि ईश्वर प्राप्ति के लिए संत परंपरा में तीन मार्ग है। ज्ञान योग, हठयोग एवं अध्यात्म योग है। जिस संत को जिसमें आनंद आता है, वे उसी मार्ग को चुनकर आजीवन तपस्या करते हैं।

क्या है हठ योग (Hatha yoga)

हठ योग योग का ही एक विभाग है। संस्कृत शब्द हठ का शाब्दिक अर्थ है “ऊर्जा”। इस प्रकार यह शारीरिक अभ्यासों के विचार को इंगित करता है। भारत में हठ योग नाथ संप्रदाय के योगियों से जुड़ा हुआ है। यह योग की एक अधिक आरामदेह, धीमी गति वाली शैली है, जो नौसिखियों सहित सभी स्तरों के अभ्यासियों के लिए उपयुक्त है। हठ योग में प्रत्येक आसन को अक्सर लंबे समय तक बनाए रखा जाता है, जिससे आसन की अधिक गहराई से जांच और बेहतर लचीलेपन की अनुमति मिलती है।

गंगा जल वाले घड़े से स्नान (Ganga Pot)

संत परंपरा में सभी अखाड़ों में इश्वर का ध्यान करने वाले सभी तरह के संत हैं। रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि महाकुंभ में इनमें से एक हठ योगी ऐसे होंगे, जो कड़ाके की ठंड में 108 घड़े से ठंडे पानी से स्नान करेंगे। उनके भक्त एक घड़े में गंगा जल डालेंगे, जिसमें नीचे एक छिद्र बना होगा। इसी छिद्र के नीचे बैठकर संत स्नान करेंगे।

दोनों पैर नहीं मोड़ने वाले हठयोगी

एक हठयोगी ऐसे आएंगे जो बीते 25 वर्ष से दोनों पैर नहीं मोड़ा। वे खड़े होकर ईश्वर की प्राप्ति के लिए तपस्या कर रहे हैं। वे शम्भू पुरी महाराज हैं। इसी योग की वजह से उनके दोनों गांठों का आपरेशन भी हो चुका है। वह स्वस्थ होने के बाद पुनः अपनी साधना में लग गए।

दाहिना हाथ खड़े किए हुए योगी

इसी तरह मध्य प्रदेश के उर्दू बाहू महाराज है, वह लगभग 15 वर्ष से अपना दाहिना हाथ खड़े किए हुए हैं। उनका दाहिना हाथ सूख गया है। हठयोग एक कठिन तपस्या है। ऐसे बहुत ही कम साधना करने वाले संत मिलते हैं। सभी प्रार्थना-पूजा में सबसे कठोर तपस्या हठ योग है, इसे हर कोई नहीं पूरा कर सकता है।

अष्टांग सबसे कठिन योग शैली 

अष्टांग को सबसे कठिन योग शैली माना जाता है, क्योंकि इसमें व्यक्ति  को बहुत धैर्य और अनुशासन की आवश्यकता होती है।  महीनों या सालों तक एक ही श्रृंखला पर काम करना पूरी तरह से सामान्य है। बार-बार असफलता और इच्छाशक्ति अष्टांग योग का हिस्सा हैं।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ) 

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।

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