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Basant Panchami 2025 : 3 फरवरी को है वसंत पंचमी, करें विद्या की देवी सरस्वती की पूजा
Basant Panchami 2025 : 3 फरवरी को है वसंत पंचमी, करें विद्या की देवी सरस्वती की पूजा
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, January 23, 2025
Updated On: Friday, January 31, 2025
Basant Panchami 2025 : हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा या वसंत पंचमी मनाई जाती है. इस वर्ष यह तिथि 2 फरवरी 2025 को है. वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती का प्राकट्य हुआ था.
Authored By: स्मिता
Updated On: Friday, January 31, 2025
Basant Panchami 2025: ज्ञान की देवी हैं सरस्वती (Saraswati), इनकी विशेष पूजा वसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन की जाती है. सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) वसंत के आगमन का भी प्रतीक है. माघ महीने के शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है, इसलिए इसे वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा का त्योहार कहते हैं. भारतीय धर्मों में क्षेत्र के आधार पर यह अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. वसंत पंचमी होलिका जलने और होली की तैयारी की शुरुआत का भी प्रतीक है, जो चालीस दिन बाद होती है. किसी भी मौसम का संक्रमण काल 40 दिनों का होता है और उसके बाद मौसम पूरी तरह खिल जाता है. माघ पंचमी पर वसंत उत्सव वसंत से चालीस दिन पहले मनाया जाता है। जानते हैं इस वर्ष वसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) किस दिन मनाई जाएगी.
2025 में कब है वसंत पंचमी ?
2025 में वसंत पंचमी 3 फरवरी को है। यह त्योहार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाएगा। इस दिन सरस्वती पूजा की जाती है और बसंत ऋतु का स्वागत किया जाता है। इस साल यह त्योहार सोमवार के दिन पड़ रहा है।
वसंत पंचमी 2025 की महत्वपूर्ण तिथियाँ:
- तिथि: माघ शुक्ल पंचमी
- दिनांक: 3 फरवरी 2025
- दिन: सोमवार
- पंचमी तिथि प्रारंभ: 3 फरवरी 2025 को सुबह 9:14 बजे
- पंचमी तिथि समाप्त: 4 फरवरी 2025 को सुबह 6:52 बजे
वसंत पंचमी का पौराणिक महत्व (Basant Panchami Mythological Story)
ज्योतिषशास्नत्री डॉ. अनिल शास्त्री बताते हैं, ज्ञान और कला की देवी को समर्पित सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) पूरे भारत में वेदी स्थापित करने, पीले कपड़े पहनने और पूजा करने जैसे अनुष्ठानों के साथ मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का प्राकट्य हुआ था. उदया तिथि को मान्यता देने के कारण यह मुख्य रूप से 3 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। इसका विशिष्ट मुहूर्त सुबह 07:09 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक है.’
रचनात्मक ऊर्जा और शक्ति की प्रतीक सरस्वती (Significance of Basant Panchami)
वसंत पंचमी (Basant Panchami) वसंत ऋतु की तैयारियों की शुरुआत का प्रतीक है. इसे लोग क्षेत्र के आधार पर विभिन्न तरीकों से मनाते हैं, वसंत पंचमी होली की तैयारी की शुरुआत का भी प्रतीक है. होली (Holi) सरस्वती पूजा के चालीस दिन बाद होती है. देवी सरस्वती ज्ञान, भाषा, संगीत और सभी कलाओं की देवी हैं, इसलिए वसंत पंचमी देवी सरस्वती को समर्पित दिवस कह जाता है. वह अपने सभी रूपों में रचनात्मक ऊर्जा और शक्ति की प्रतीक है. इसमें प्रेम और राग-द्वेष से रहित इच्छा भी शामिल है. सरसों की फसल के पीले फूलों के साथ कृषि क्षेत्रों के पकने का भी जश्न मनाते हैं. पीले फूल को मां सरस्वती और धरती के पसंदीदा रंग से जोड़ा जाता है. लोग पीली साड़ी या शर्ट या एक्सेसरीज़ पहनते हैं, पीले रंग के स्नैक्स और मिठाइयां बांटते हैं। कुछ लोग चावल में केसर मिलाते हैं और फिर विस्तृत भोज के हिस्से के रूप में पीले पके हुए चावल खाते हैं.
सरस्वती पूजा के अनुष्ठान (Saraswati Puja Rituals)
सरस्वती पूजा के अवसर पर पूजा कक्ष को साफ कर लें। उस स्थान को साफ़ करें जहां आपको पूजा करनी है.
- पूजा वेदी स्थापित करें.
- प्रसाद तैयार करें.
- शुद्धिकरण अनुष्ठान करें.
- पूजा करें और आरती भी करें.
- सरस्वती जी को बैर या कूल का प्रसाद चढ़ाएं, ये सरस्वती का पसंदीदा फल माना जाता है.
- देवी सरस्वती की पूजा चंपा या वन की ज्वाला पीले पलाश से करें, ताकि उनसे शाश्वत ज्ञान का आशीर्वाद मिल सके. पीला उनका पसंदीदा रंग है, इसलिए मां सरस्वती को सूरजमुखी, गुलाब और गेंदा जैसे फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं.
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