Shreekrishna Janmashtami 2025 : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर क्यों लगाया जाता है धनिया पंजीरी का भोग
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, August 6, 2025
Last Updated On: Wednesday, August 6, 2025
Shreekrishna Janmashtami 2025 : जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान को विशेष रूप से धनिया पंजीरी का भोग लगाया जाता है. प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक धनिया आध्यात्मिक शांति लाने का भी कारण बनता है. क्या है वजह?
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Wednesday, August 6, 2025
Shreekrishna Janmashtami 2025: भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भारत भर में खूब धूमधाम से मनाया जाता है. यह सबसे प्रिय त्योहारों में से एक है. भक्त इस दिन उपवास, प्रार्थना करते हैं और श्रीकृष्ण जी को पसंद आने वाले भोग तैयार करते हैं. इस अवसर पर श्रीकृष्ण जी के भक्तगण धनिया पंजीरी जरूर बनाते हैं. माना जाता है कि धनिया पंजीरी श्रीकृष्ण को विशेष प्रिय है. यह सुस्वादु और बेहद पौष्टिक भोग धनिया के चूरा, घी, गुड़ और विभिन्न प्रकार के मेवों और बीजों से बनाया जाता है. जानते हैं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shreekrishna Janmashtami) के अवसर पर धनिया पंजीरी विशेष रूप से क्यों बनाई जाती है?
कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 शनिवार दिन, 16 अगस्त 2025 को है.
श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण का प्रतीक है धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri Prasad)
धनिया पंजीरी पारंपरिक रूप से भगवान कृष्ण को प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है. इसे भगवान को समर्पित सबसे पवित्र भोग माना जाता है. इस व्यंजन का महत्व केवल इसके स्वाद में ही नहीं, बल्कि इसके प्रतीकात्मक और पौष्टिक मूल्य में भी मौजूद है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनिया पंजीरी भगवान कृष्ण को प्रिय मानी जाती है. धनिया कहीं भी उगाया जा सकता है और इसके पौधों को बहुत अधिक देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती है. श्रीकृष्ण अपने प्रिय प्रसाद के माध्यम से बताना चाहते हैं कि आप साधारन पृष्ठभूमि के होकर भी असाधारण कर सकते हैं. यह व्यंजन पवित्रता और सरलता का भी प्रतीक है. ऐसे गुण जो आध्यात्मिक साधना में अत्यधिक मूल्यवान माने जाते हैं. पंजीरी का भोग भक्त के शुद्ध हृदय और कृष्ण के प्रति समर्पण का प्रतीक है.
प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक धनिया (Coriander Spiritual Significance)
- धनिया प्रेम, शुद्धि, आरोग्य और सौभाग्य का प्रतीक है. हिंदू परंपरा में धनिया समृद्धि लाने वाले माना जाता है. दिवाली की प्रार्थना में धन और कल्याण के प्रतीकस्वरुप धनिया का उपयोग किया जाता है. विभिन्न संस्कृतियों में इसे सुरक्षा, भावनात्मक संतुलन और यहां तक कि कामोत्तेजक गुणों से भी जोड़ा जाता है.
- पंचजीरक शब्द मूलतः संस्कृत के पंच (पांच) और जीरक (जीरा या हर्बल सामग्री) से बना है. पंजीरी बनाने के लिए गेहूं के आटे को घी में भूनकर उसमें सूखे मेवे और मसाले जैसे जीरा, धनिया, सौंठ और सौंफ मिलायें.
कैसे बनाएं धनिया पंजीरी प्रसाद (How to make Dhaniya Panjiri Prasad)
मखाने को बेलन या किसी भारी चीज से मसल लें, काजू और बादाम को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. भुने हुए धनिये के पाउडर, दरदरे मखाने, कद्दूकस किया हुआ नारियल, भूरा और सूखे मेवे मिलाकर पंजीरी बना लें.
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