समृद्धि का प्रतीक महुआ का पेड़ हर मनोकामना कर सकता है पूर्ण, इसलिए इसका संरक्षण है जरूरी

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, August 30, 2024

Last Updated On: Friday, August 30, 2024

mahua tree
mahua tree

महुआ के पेड़ को ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा ने मानव जाति को दिए जाने वाले अप्रतिम उपहार के रूप में बनाया था। इस पेड़ में उपचार करने की शक्ति होती है। पेड़ के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए महुआ के पेड़ के संरक्षण में मदद करना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Friday, August 30, 2024

महुआ के पेड़ का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में आदिवासी अंचल के लिए महुआ का पेड़ विशेष महत्व रखता है। महुआ के मौसम में यहां के गांव की गलियां खाली रहती हैं। सभी ग्रामीण महुआ के फूल बीनने में व्यस्त रहते हैं। महुआ का पेड़ प्रकृति का बहुमूल्य उपहार है। यह पेड़ आदिवासियों के लिए आर्थिक, धार्मिक और सामाजिक रूप से महत्व रखता है। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी यह पेड़ बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। इसके अनगिनत फायदों को देखते हुए भारतीय संस्कृति में महुआ के पेड़ को संरक्षित करने पर जोर दिया गया है। इसलिए यह पेड़ पूजनीय भी है।

कल्पवृक्ष है महुआ का पेड़ 

भारत में महुआ को कल्पवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। महुआ का पेड़ भारत के उत्तर, दक्षिण और मध्य के 13 राज्यों में पाया जाता है। महुआ के फूल, फल, बीज, छाल और पत्ती सभी उपयोगी हैं। यह आदिवासियों की आय का एक प्रमुख स्त्रोत है। पिछले कुछ समय से महुआ के उत्पादन में गिरावट आयी है। महुआ के नए पेड़ नहीं उग रहे हैं। जंगल में तो महुआ पर्याप्त है। आदिवासियो के द्वारा अधिकतर महुआ का संग्रहण गांव की ख़ाली पड़ी ज़मीन और खेत की मेड़ो पर लगे महुआ से होती है।

 महुआ का संरक्षण (Conservation of Mahua) समय की मांग

अगर बस्तर और सरगुज़ा के किसी गांव में जाएं तो उनके खेतों के पार और ख़ाली ज़मीन में सिर्फ़ बड़े महुआ के पेड़ ही बचे दिखते हैं। छोटे और मध्यम आयु के पेड़ों की संख्या लगभग नगण्य होती है। महुआ संग्रहण से पहले ज़मीन साफ़ करने के लिए आग लगाई जाती है। इस कारण महुआ के पौधे जीवित नहीं रह पाते। महुआ पेड़ की औसत आयु 60 वर्ष है। अगर जंगल के बाहर इनके पुनरुत्पादन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो ये जल्द ही ख़त्म हो जायेंगे।इसलिए महुआ का संरक्षण जरूरी है।

महुआ के पेड़ की पौराणिक कथा

महुआ का उल्लेख लोक कविता, गीतों और कहानियों में मिलता है। सही मायने में इसे देवताओं का उपहार कहा जाता है। बिहार के कुछ इलाकों में किसी भी विवाह समारोह से पहले आम-महुआ पेड़ का विवाह कराया जाता है। इसके माध्यम से आम जीवन में आम और महुआ के पेड़ और फल-फूल की महत्ता को दर्शाया जाता है। गर्मी में विशेष रूप से मार्च और अप्रैल के दौरान फूल खिलते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, महुआ के पेड़ को ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा ने मानव जाति को दिए जाने वाले अप्रतिम उपहार के रूप में बनाया था। इस पेड़ में उपचार करने की शक्ति होती है। इसे कई समुदाय पवित्र मानते हैं।

महुआ के पेड़ की पूजा (Worship of Mahua tree)

भारत के कुछ हिस्सों में यह मान्यता है कि महुआ के पेड़ में महुआ देवी वास करती हैं। भारतीय जनजातियों में महुआ के अस्तित्व और प्रकृति से गहरे जुड़ाव की कहानी कही जाती है। गोंड, भील, संथाल और बैगा जैसी कई जनजातियों के लिए महुआ का पेड़ समृद्धि का प्रतीक है। इसके फूल गुच्छों में लगते हैं और फूलों के मौसम में काटे जाते हैं। झारखंड के छोटानागपुर क्षेत्र के मुंडा और संथाल महुआ और कदंब के पेड़ों की पूजा करते हैं। छोटानागपुर पठार पूर्वी भारत का एक पठार है, जो झारखंड राज्य के अधिकांश हिस्से के साथ-साथ छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और बिहार को भी कवर करता है।

क्या है मान्यता

माना जाता है कि महुआ के पेड़ में आशीर्वाद देने, इच्छाएं पूरी करने और लोगों को बुरी शक्तियों से बचाने की शक्ति होती है। इसे आध्यात्मिक मार्गदर्शन, ज्ञान और अपनेपन की भावना प्रदान करने वाला संरक्षक और मार्गदर्शक माना जाता है। महुआ के बीजों की गुठली से एक तैलीय पदार्थ निकाला जाता है, जिसे आगे संसाधित और परिष्कृत किया जाता है। इसे महुआ मक्खन कहा जाता है। स्थानीय आदिवासी इस पेड़ को पवित्र मानते हैं। इसलिए यह उनके कई अनुष्ठानों का हिस्सा है।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)



About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।


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