Pushkar Kumbh 2025: माणा गांव में अनोखा कुंभ, केशव प्रयाग में उमड़े हजारों श्रद्धालु

Pushkar Kumbh 2025: माणा गांव में अनोखा कुंभ, केशव प्रयाग में उमड़े हजारों श्रद्धालु

Authored By: स्मिता

Published On: Monday, May 19, 2025

Last Updated On: Monday, May 19, 2025

Pushkar Kumbh 2025: माणा गांव के केशव प्रयाग में Pushkar Kumbh 2025 के अवसर पर घाट पर स्नान करते और पूजा करते हजारों श्रद्धालु.
Pushkar Kumbh 2025: माणा गांव के केशव प्रयाग में Pushkar Kumbh 2025 के अवसर पर घाट पर स्नान करते और पूजा करते हजारों श्रद्धालु.

Uttarakhand Pushkar Kumbh 2025: धार्मिक परंपरा के अनुसार 12 वर्ष में जब बृहस्पति मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तो अलकनंदा और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित केशव प्रयाग में पुष्कर कुंभ का आयोजन होता है. यह उत्तराखंड स्थित भारत के अंतिम गांव माणा में आयोजित होता है, जिसमें मुख्य रूप से दक्षिण भारत के वैष्णव अनुयायी भाग लेते हैं.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Monday, May 19, 2025

Pushkar Kumbh 2025: इन दिनों उत्तराखंड में समुद्र तल से करीब 10 हजार फीट ऊपर बसे देश के आखिरी गांव माणा में एक अनोखा कुंभ चल रहा है. आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना के वैष्णव संप्रदाय के लोग यहां आकर कुंभ में शामिल हो रहे हैं. हर 12 साल में अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम (केशव प्रयाग) पर यह पुष्कर कुंभ लगता है. ऐसा 12 वर्ष में एक बार होता है. इस समय बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश (Uttarakhand Pushkar Kumbh 2025) करता है.

दक्षिण भारतीय वैष्णव और भगवान बद्रीनाथ का संबंध (South Indian Vaishnav & Bhagwan Badrinath Connection)

मान्यता है कि भगवान बद्रीनाथ से दक्षिण भारतीय वैष्णव पौराणिक काल से ही जुड़े हैं. आदि गुरु शंकराचार्य केरल से थे. आदि शंकराचार्य हिंदू धर्म के चार पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक बद्रीनाथ से गहराई से जुड़े हुए हैं. उन्हें बद्रीनाथ को एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित करने और इसके अनुष्ठानों और पूजा प्रक्रियाओं की नींव रखने का श्रेय दिया जाता है. रामानुजाचार्य और माधवाचार्य वैष्णव संत थे. इन दोनों ने बद्रीनाथ को अपना ध्यान स्थल बनाया. इन्हें यहां ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इसलिए दक्षिण के वैष्णव लोग यहां आते हैं.

मोक्ष दिलाता है केशव प्रयाग (Keshav Prayag Significance)

मान्यता है कि ग्रह-राशि परिवर्तन के दौरान चमोली जिला के केशव प्रयाग में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है. इस मान्यता को दक्षिण भारतीय लोग पीढ़ी दर पीढ़ी निभा रहे हैं. पवित्र नदी अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम पर स्नान और प्रार्थना करने के लिए इसे एक शुभ अवसर माना जाता है. माना जाता है कि इससे लोगों को आध्यात्मिक पुण्य प्राप्त होता है. इससे उत्तर और दक्षिण भारतीय परंपराओं के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक बंधन मजबूत होते हैं.

केशव प्रयाग संगम (Keshav Prayag Confluence)

केशव प्रयाग भारत के उत्तराखंड में सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम है. हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाने वाली सरस्वती नदी के बारे में माना जाता है कि यह नदी यहीं से भूमिगत होकर अलकनंदा से मिलती है. यह स्थान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि मान्यता है कि यहीं पर सरस्वती का प्रवाह एक श्राप के कारण अवरुद्ध हो जाता है, लेकिन प्रयागराज संगम पर फिर से प्रकट होता है.

माणा गांव का आध्यात्मिक महत्व (Mana Village Spiritual Importance)

माणा गांव का गहरा आध्यात्मिक महत्व है. माना जाता है कि यह गांव महर्षि वेद व्यास से जुड़ा हुआ है. उन्होंने केशव प्रयाग में ध्यान करते हुए महाभारत की रचना की थी. यह भी माना जाता है कि दक्षिण भारतीय विद्वान रामानुजाचार्य और माधवाचार्य ने इस स्थान पर देवी सरस्वती से दिव्य ज्ञान प्राप्त किया था. माणा एक तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात है, जो विविध संस्कृतियों के बीच सेतु का काम करता है.

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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