यो-यो के बाद आया ब्रोंको टेस्ट, अब गेंदबाजों की बढ़ेगी परेशानी; 6 मिनट में करना होगा पास
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Thursday, August 21, 2025
Last Updated On: Thursday, August 21, 2025
भारतीय क्रिकेटरों की फिटनेस जांचने के लिए अब बीसीसीआई ने नया मानक "ब्रोंको टेस्ट" पेश किया है. रग्बी से जुड़ा यह टेस्ट खिलाड़ियों की सहनशक्ति और स्टैमिना बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है, जिसमें गेंदबाजों को 6 मिनट में लगातार 1200 मीटर दौड़ना होगा.
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Thursday, August 21, 2025
क्रिकेट के खेल में फिटनेस का महत्व लगातार बढ़ रहा है (Bronco Test for Bowlers 2025) और इसी कड़ी में भारतीय टीम के खिलाड़ियों के लिए नया फिटनेस चैलेंज सामने आया है. यो-यो टेस्ट के बाद अब बीसीसीआई ने ब्रोंको टेस्ट को भी फिटनेस मानकों में शामिल किया है. स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रूक्स की देखरेख में लाया गया यह टेस्ट मुख्य रूप से तेज गेंदबाजों की सहनशक्ति और ऊर्जा को परखने के लिए डिजाइन किया गया है.
इसमें खिलाड़ी को 20, 40 और 60 मीटर की दौड़ को मिलाकर पांच सेट पूरे करने होते हैं, यानी कुल 1200 मीटर की दौड़ महज 6 मिनट में पूरी करनी होती है. यह टेस्ट गेंदबाजों की फिटनेस को मैदान पर मजबूत बनाएगा ताकि वे लंबे स्पेल तक अपनी गति और लय बरकरार रख सकें. आइए जानते हैं कि ब्रोंको टेस्ट क्या है और यह भारतीय क्रिकेटरों को किस तरह से मजबूत और फिट रखेगा.
क्या है यह Bronco Test ?
ब्रोंको टेस्ट रग्बी खेल से जुड़ा हुआ है. इसे खिलाड़ियों के फिटनेस स्तर और सहनशक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से लागू किया गया है. ब्रोंको टेस्ट में खिलाड़ी को लगातार दौड़ना होता है. पहले 20 मीटर, फिर 40 मीटर और फिर 60 मीटर की दौड़ लगानी होती है. तीनों दौड़ को मिलाकर एक सेट बनाया गया है. टेस्ट के दौरान खिलाड़ियों को ऐसे पांच सेट पूरे करने होते हैं और कुल 1200 मीटर की दौड़ लगानी होती है. सभी पांच सेट 6 मिनट के अंदर पूरे करने होते हैं. कम समय में लगातार दौड़ ही इस टेस्ट को मुश्किल बनाता है.
मैदान पर फिटनेस पर ज्यादा जोर
ब्रोंको टेस्ट खासतौर पर तेज गेंदबाजों को ध्यान में रखकर लाया गया है. टीम प्रबंधन का मानना है कि खिलाड़ी जिम पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जबकि असली फिटनेस का अंदाज़ा मैदान पर दौड़ने से ही लगता है. यह टेस्ट दिखाएगा कि गेंदबाज लंबे स्पेल तक बिना थके अपनी रफ्तार और लय बनाए रख सकते हैं या नहीं.
हाल के दौरों पर भारतीय पेसर्स को दिक्कतें हुई थीं. ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दौरे पर जसप्रीत बुमराह जैसे बड़े गेंदबाज पूरे समय अपनी गति और फिटनेस को कायम नहीं रख पाए. वहीं इंग्लैंड दौरे पर मोहम्मद सिराज ही ऐसे तेज गेंदबाज थे जिन्होंने सभी पांच टेस्ट खेले. इसी अनुभव के बाद यह तय हुआ कि टेस्ट मैचों में गेंदबाजों की फिटनेस और निरंतरता बनाए रखने के लिए ब्रोंको टेस्ट जरूरी है.
यो-यो टेस्ट के साथ अब ब्रोंको टेस्ट भी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ भारतीय खिलाड़ियों ने बेंगलुरु स्थित बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में ब्रोंको टेस्ट पहले ही दे दिया है. बीसीसीआई अब तक यो-यो टेस्ट और 2 किलोमीटर टाइम ट्रायल के जरिए खिलाड़ियों की फिटनेस परखती रही है. अब इसमें ब्रोंको टेस्ट को भी जोड़ा गया है. यानी खिलाड़ियों को अब दोनों टेस्ट पास करने होंगे, तभी उनकी फिटनेस पूरी मानी जाएगी.
ब्रोंको टेस्ट भारत में लाने वाले ले रूक्स इस समय टीम इंडिया के स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच हैं. वह जून में इस पद पर दोबारा जुड़े. इससे पहले भी जनवरी 2002 से मई 2003 तक उन्होंने भारतीय टीम के साथ काम किया था. ले रूक्स का अनुभव काफी बड़ा है. वह दक्षिण अफ्रीका टीम के साथ भी रह चुके हैं और आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स व पंजाब किंग्स जैसी फ्रेंचाइजियों को ट्रेनिंग दे चुके हैं.
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