Air Pollution : दिल्ली का हाल है बुरा, पराली को लेकर जारी है सियासी बयानबाजी

Air Pollution : दिल्ली का हाल है बुरा, पराली को लेकर जारी है सियासी बयानबाजी

Authored By: सतीश झा

Published On: Tuesday, October 22, 2024

burning parali increasing pollution
burning parali increasing pollution

दिल्ली में वायु प्रदूषण (Air Pollution) का स्तर गंभीर रूप से बढ़ने के बावजूद, पराली जलाने का मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बना हुआ है। हर साल सर्दियों के मौसम में उत्तर भारत के राज्यों, खासकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं से दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है। इस साल भी पराली जलाने को लेकर सियासी बयानबाजी जारी है, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।

राजनीतिक बयानबाजी के बीच आम नागरिकों को गंभीर वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है, जिससे श्वसन रोग, एलर्जी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि स्थायी समाधान के लिए सरकारों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे।  कैथल (हरियाणा) उप निदेशक, कृषि विभाग डॉ. बाबू लाल ने पराली जलाने की घटनाओं पर बताया, “कैथल ज़िले में ऐसे 123 मामले सामने आए हैं। जिनमें से 63 पर जुर्माना लगाया गया है। 22 FIR दर्ज़ हुई हैं। ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पराली जलाने वाले 50 लोगों की रेड एंट्री कर दी हैं, ऐसे लोग 2 सीजन तक अपनी फसल नहीं बेच पाएगा। हमारी टीम गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं।”

दिल्ली सरकार का आरोप

दिल्ली सरकार का दावा है कि पराली जलाने के कारण दिल्ली की हवा खराब हो रही है, और इसका समाधान निकालने के लिए केंद्र और पड़ोसी राज्यों को मिलकर काम करना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कई बार पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार से मदद की मांग की है।

केंद्र और अन्य राज्यों का जवाब

दूसरी तरफ, केंद्र सरकार और पंजाब, हरियाणा की सरकारें इसे दिल्ली की अपनी नीतियों और कार्यान्वयन की कमी से जोड़ते हैं। उनका कहना है कि दिल्ली में ट्रैफिक, कंस्ट्रक्शन और औद्योगिक प्रदूषण भी एक बड़ी वजह है, जिसे नियंत्रित करने की जरूरत है।

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पराली समाधान की पहल

कुछ राज्य सरकारें किसानों को पराली जलाने के बजाय उसके निपटान के लिए मशीनरी और तकनीकी समर्थन दे रही हैं, लेकिन इसका प्रभाव सीमित है। किसानों का कहना है कि पराली के निपटान के लिए सस्ती और प्रभावी तकनीकों की आवश्यकता है।

pollution increasing in Delhi NCR due to burning of parali

डस्ट पॉल्यूशन को और कम करने की कोशिश : पर्यावरण मंत्री गोपाल राय

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, “CAQM(वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) ने GRAP के चार चरण बनाए हैं, जिसमें 200 से 300 के बीच में जब AQI होता है तो GRAP-I लागू होता है, जब AQI 300 से ऊपर बढ़ता है तो GRAP-II के नियम लागू होते हैं और क्योंकि AQI 300 से ऊपर बढ़ रहा है इसलिए पूरे दिल्ली-NCR में GRAP-II के नियम आज से लागू कर दिए गए हैं…GRAP-II में डस्ट पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए पानी के छिड़काव का काम किया जा रहा है…मेट्रो और बसों की फ्रीक्वेंसी को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं…पार्किंग शुल्क बढ़ाने के लिए कहा गया है ताकि लोग प्राइवेट गाड़ियां बाहर ज्यादा ना लाएं…इनका मकसद डस्ट पॉल्यूशन को और कम करने का है…

हर साल पराली की यही समस्या : सांसद मनीष तिवारी

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, “पराली जलाने पर हरियाणा और पंजाब में ज्यादातर छोटे किसान हैं। पंजाब में 86% किसानों के पास 2 एकड़ से कम भूमि है। जब तक आप उन्हें सीधे वित्तीय सहायता नहीं देंगे तब तक वे अपने पारंपरिक तरीकों से दूर नहीं होंगे। कई सरकारों ने कई कोशिश की हैं। लेकिन हर साल पराली की यही समस्या पैदा होती है।

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

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