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अब झारखंड में भी ‘नाम’ की सियासत! अटल मोहल्ला क्लीनिक बना मदर टेरेसा एडवांस्ड हेल्थ क्लीनिक
Authored By: सतीश झा
Published On: Saturday, July 26, 2025
Last Updated On: Saturday, July 26, 2025
झारखंड की राजनीति में अब 'विकास' के नाम पर 'नामकरण' की जंग ने तूल पकड़ लिया है. राज्य में बने ‘अटल मोहल्ला क्लीनिक’ का नाम बदलकर अब ‘मदर टेरेसा एडवांस्ड हेल्थ क्लीनिक’ कर दिया गया है. इस निर्णय के बाद भाजपा ने झारखंड सरकार पर तीखा हमला बोला है और इसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अपमान के रूप में देखा जा रहा है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Saturday, July 26, 2025
Jharkhand Clinic Name Politics: झारखंड सरकार द्वारा अटल मोहल्ला क्लीनिक का नाम बदलकर मदर टेरेसा एडवांस्ड हेल्थ क्लीनिक रखने के फैसले के बाद प्रदेश में राजनीतिक घमासान मच गया है. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने इस फैसले को लेकर झारखंड की हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) सरकार पर तीखा हमला बोला है.
इस फैसले को लेकर विपक्ष खासा नाराज़ है. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि यह कदम केवल राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “अटल जी भारतीय राजनीति के आदर्श पुरुष थे. उनके नाम पर शुरू की गई जनसेवा योजनाओं को इस तरह बदनाम करना शर्मनाक है. झारखंड सरकार को बताना चाहिए कि क्या वह अब हर चीज़ का राजनीतिकरण करेगी?”
लगभग 140 अटल मोहल्ला क्लीनिकों का नाम बदलने का निर्णय
झारखंड सरकार ने राज्य में संचालित लगभग 140 अटल मोहल्ला क्लीनिकों का नाम बदलने का निर्णय लिया है. अब ये क्लीनिक ‘मदर टेरेसा एडवांस्ड हेल्थ क्लिनिक’ के नाम से जाने जाएंगे. यह फैसला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया, जिसकी जानकारी कैबिनेट सचिव वंदना दादेल ने दी.
गौरतलब है कि ये क्लीनिक पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में शुरू किए गए थे और इनका उद्देश्य शहरी और दूरस्थ क्षेत्रों में मुफ्त प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना था. लेकिन अब झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन सरकार द्वारा इनका नाम बदलने पर सियासत गरमा गई है.
मदर टेरेसा विदेशी थीं और उनका योगदान अलग
निशिकांत दुबे ने कहा कि उन्हें मदर टेरेसा से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मदर टेरेसा विदेशी थीं और उनका योगदान अलग है. उन्होंने कहा, “इस राज्य का निर्माण अटल बिहारी वाजपेयी जी ने किया था. अगर सरकार को मदर टेरेसा के नाम पर कुछ करना ही है तो नए संस्थान बनाए, लेकिन किसी के नाम को मिटाकर किसी और का नाम स्थापित करना न तो उचित है और न ही इससे मदर टेरेसा की आत्मा को शांति मिलेगी.” भाजपा नेता का आरोप है कि यह कदम तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा है और इससे जनभावनाओं को ठेस पहुंची है.
सरकार ने दी सफाई
वहीं झारखंड सरकार ने अपने बचाव में कहा है कि मदर टेरेसा न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में मानव सेवा की प्रतीक हैं और स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी योजनाओं में उनके नाम का उपयोग करना जनभावनाओं को सम्मान देना है. एक मंत्री ने बयान दिया, “हम अटल जी का सम्मान करते हैं, लेकिन इस क्लीनिक का नाम हमने मानव सेवा के प्रतीक के तौर पर बदला है, किसी को अपमानित करने के लिए नहीं.”
‘नामकरण की राजनीति’ या नई पहचान?
विश्लेषकों का मानना है कि झारखंड में यह पहला मौका नहीं है जब किसी परियोजना के नाम को लेकर राजनीतिक घमासान हुआ हो. विपक्ष इसे आगामी चुनावों से जोड़कर देख रहा है, वहीं सत्ता पक्ष इसे ‘सांकेतिक बदलाव’ करार दे रहा है.
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों में भी इस बदलाव को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है. कुछ का मानना है कि नाम से ज़्यादा ज़रूरी है स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, जबकि अन्य लोगों ने कहा कि राजनीतिक कारणों से नाम बदलना अनावश्यक विवाद को जन्म देता है. झारखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास की बजाय नामों की लड़ाई ने मुख्य मुद्दों से ध्यान भटका दिया है. अटल बनाम टेरेसा की यह नामकरण सियासत सिर्फ राजनीतिक दलों के एजेंडे को दर्शाती है — असली सवाल यह है कि आम जनता को क्या मिल रहा है: बेहतर इलाज या केवल नामों की राजनीति?