Jharkhand: संथाल परगना क्षेत्र में बढ़ रही है, मुस्लिमों और ईसाइयों की आबादी, खतरे में आदिवासी संस्कृति

Jharkhand: संथाल परगना क्षेत्र में बढ़ रही है, मुस्लिमों और ईसाइयों की आबादी, खतरे में आदिवासी संस्कृति

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Friday, September 13, 2024

population of muslim and christian increasing in jharkhand
population of muslim and christian increasing in jharkhand

रांची हाईकोर्ट (Ranchi High Court) में एक याचिका की सुनवाई के दौरान खुलासा हुआ है कि आदिवासी बहुल क्षेत्र संथाल परगना क्षेत्र में डेमोग्राफी चेंज (Demography Change) तेजी से हो रहा है। इससे आदिवासी संस्कृति खतरे में है।

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Updated On: Friday, September 13, 2024

आदिवासी बहुल राज्य झारखंड में तेजी से डेमोग्राफिक परिवर्तन हो रहा है। यह चिंता की बात है। इसकी जानकारी केंद्र सरकार ने रांची हाईकोर्ट (Ranchi Highcourt) को दी है। दरअसल, रांची हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए प्रदेश और केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।

हाईकोर्ट के नोटिस के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया है कि झारखंड का आदिवासी बहुल क्षेत्र (tribal dominated area) संथाल परगना में जनजातीय आबादी में लगातार गिरावट आ रही है। सरकार के जवाब के मुताबिक करीब 16 प्रतिशत आदिवासी आबादी कम हुई है। पहले इस क्षेत्र में करीब 44 प्रतिशत आदिवासी आबादी थी। अब इनकी आबादी सिर्फ 28 प्रतिशत रह गई है।

मुस्लिम (Muslim) और ईसाई (Christian) आबादी बढ़ी

केंद्र सरकार ने अपने जवाब में, आजादी के बाद पहली जनगणना (वर्ष 1951) और अभी की अंतिम जनगणना (वर्ष 2011) के आंकड़ें हाई कोर्ट में रखें हैं। इसके मुताबिक, 1951 की जनगणना में संथाल परगना क्षेत्र की कुल जनसंख्या 23,22,092 थी। इस आबादी में 90 प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा हिंदू थे। 10 प्रतिशत से कम मुस्लिम आबादी थी। जबकि केवल 0.18 प्रतिशत आबादी ईसाइयों की थी।

लेकिन अब 2011 की जनगणना को देखें तो इस क्षेत्र की कुल आबादी 69,69,097 हुई है। इसमें हिंदू 90 प्रतिशत से घटकर करीब 68 प्रतिशत रह गए हैं। इस बीच मुस्लिमों की आबादी जहां 1951 में 10 प्रतिशत से कम थी, वहीं अब ये 23 के करीब हो गए हैं। वहीं ईसाई की संख्या 0.18 से बढ़कर 4.21 प्रतिशत हो गई।

पलायन और धर्मांतरण कारण

रांची हाईकोर्ट ने केंद्र से हिंदू आबादी घटने का कारण पूछा। इस पर केंद्र सरकार ने जवाब दिया है कि इसके दो कारण हैं। केंद्र ने कहा है कि इस क्षेत्र से कुछ हद तक आदिवासियों का पलायन हुआ है। वहीं बहुत अधिक संख्या में धर्मांतरण भी हुआ है। संथाल परगना क्षेत्र में छह जिले आते हैं। इनमें पाकुड़, साहिबगंज, दुमका, गोड्डा, देवघर और जामताड़ा जिला शामिल है।

दानियल दानिश (Daniel Danish) ने दायर की थी याचिका

रांची हाईकोर्ट में दानियल दाश ने झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर एक याचिका दायर की थी। दाश ने अपनी याचिका में कहा था कि संथाल के छह जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठिए आ रहे हैं। इस कारण क्षेत्र की डेमोग्राफी चेंज हो रही है। यहां तेजी से मदरसे बढ़ रहे हैं। यह देश की सुरक्षा और आदिवासी संस्कृति के लिए चिंता की बात है। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा।

प्रदेश सरकार ने नकारा

याचिका पर प्रदेश सरकार की ओर से जवाब देने के लिए संथाल परगना के छह जिलों के डीसी (डिप्टी कमिशनर) कोर्ट में उपस्थित हुए थे। सभी छह जिलों के डीसी ने क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ को नकार दिया था। तब डीसी ने कहा था कि उनके जिले में कोई बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं हुई है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि क्षेत्र में एक भी घुसपैठ का मामला सामने आया तो उनके ऊपर कोर्ट की अवमानना का मामला चलेगा।

वहीं केंद्र सरकार के जवाब में रखे गए आंकड़ों से यथा स्थिति साफ हो गई है। आंकड़ें साफ-साफ कह रहे हैं कि संथाल क्षेत्र में घुसपैठ बढ़ें हैं। इसे रोकने की जरूरत है।

संसद में भी उठा था मामला

पीछे संसद सत्र के दौरान गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने भी इस मामले को संसद में उठाया रहा। उन्होंने भी सदन में कहा थी कि संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ बढ़ रहे है। प्रदेश सरकार इसे रोकने में नाकाम है या उसे प्रोत्साहन दे रही है।

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।

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