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एक बार फिर अपने भतीजे को दूर क्यों रखा बसपा सुप्रीमो मायावती ने
एक बार फिर अपने भतीजे को दूर क्यों रखा बसपा सुप्रीमो मायावती ने
Authored By: सतीश झा
Published On: Sunday, March 2, 2025
Updated On: Monday, March 3, 2025
भारतीय राजनीति में परिवारवाद का घुन ऐसा लगा हुआ है कि कई क्षेत्रीय राजनीतिक दल इसके कारण कमजोर हुए जा रहे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में कभी सत्ता में रही बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती (Mayawati) ने एक बार फिर अपने भतीजे आकाश आनंद को संगठन में कोई भी खास पद देने से साफ इंकार कर दिया है. इसके बाद जो लोग आकाश आनंद (Akash Anand) को मायावती का स्वाभाविक उम्मीदवार मान रहे थे, उनकी सोच को झटका लगा है. आखिर यह क्यों और कैसे हुआ ?
Authored By: सतीश झा
Updated On: Monday, March 3, 2025
मायावती (Mayawati) ने हमेशा खुद को परिवारवाद से अलग रखने की कोशिश की है. पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता मानते हैं कि बसपा (BSP) का ढांचा कड़े अनुशासन और संस्थागत नेतृत्व पर आधारित है. मायावती (Mayawati) नहीं चाहतीं कि पार्टी का भविष्य परिवारवादी राजनीति के हवाले हो. मायावती ने ऐलान किया कि आकाश आनंद को सभी पदों से हटा दिया गया है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “जीते जी मैं किसी को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करूंगी.” बसपा सुप्रीमो ने संगठन में दो नए राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किए हैं, जिनमें आनंद कुमार (आकाश आनंद के पिता) और रामजी गौतम शामिल हैं.
मंच पर पहले ही मिल गया था संकेत
आमतौर पर क्षेत्रीय दलों का जब बड़ा कार्यक्रम होता है, तो एक ही परिवार के महत्वपूर्ण लोगों को विशेष तरजीह दी जाती है. मगर बसपा में वही होता है, जो मायावती (Mayawati) चाहती है. इस बार भी वही हुआ.पहले मंच पर दो कुर्सियां लगाई गई थीं, लेकिन बाद में एक कुर्सी हटा दी गई और मायावती (Mayawati) अकेली मंच पर बैठीं. मायावती ने दो टूक कहा, “मेरे लिए पार्टी और आंदोलन पहले हैं, जबकि परिवार और रिश्ते बाद में आते हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि “जीवन के अंतिम समय तक मैं पार्टी का नेतृत्व करूंगी और किसी को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाऊंगी.”
आकाश आनंद के भविष्य पर सवाल
एक साल के भीतर यह दूसरी बार है जब मायावती (Mayawati)ने आकाश आनंद (Akash Anand) को उत्तराधिकारी नियुक्त करने के बाद पद से हटा दिया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि आकाश को हटाने का निर्णय उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ की वजह से लिया गया है. अब सवाल यह उठता है कि क्या आकाश आनंद (Akash Anand) को बसपा में कभी बड़ी भूमिका मिलेगी? या फिरमायावती (Mayawati)उन्हें पार्टी से पूरी तरह दूर ही रखेंगी? यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल बसपा सुप्रीमो ने परिवारवाद से दूरी बनाकर अपने पुराने स्टैंड को बरकरार रखा है. मायावती ने बताया कि कांशीराम के सिद्धांतों पर चलते हुए अशोक सिद्धार्थ, जो आकाश आनंद के ससुर भी हैं, को पार्टी और आंदोलन के हित में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. उन्होंने उत्तर प्रदेश समेत देशभर में पार्टी को गुटों में बांटकर कमजोर करने की साजिश रची थी, इसलिए यह सख्त फैसला लिया गया.
पहले भी किनारा कर चुकी हैं
इससे पहले भी मायावती ने आकाश आनंद को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देने से परहेज किया था. हालांकि, उन्होंने चुनावी सभाओं में उनका परिचय जरूर कराया था, लेकिन कोई अहम पद देने से बचती रही हैं. मायावती (Mayawati)ने स्पष्ट किया कि बदले हुए राजनीतिक हालात को देखते हुए अब पार्टी से जुड़े लोगों के रिश्ते गैर-राजनीतिक परिवारों में ही करने का फैसला लिया गया है. इसका मकसद यह है कि भविष्य में पार्टी को किसी भी तरह का नुकसान न हो, जैसा कि अशोक सिद्धार्थ के मामले में हुआ था. मायावती (Mayawati) ने दो टूक कहा, “मेरे लिए पार्टी और आंदोलन पहले हैं, जबकि परिवार और रिश्ते बाद में आते हैं.” मायावती ने बताया कि कांशीराम के सिद्धांतों पर चलते हुए अशोक सिद्धार्थ, जो आकाश आनंद के ससुर भी हैं, को पार्टी और आंदोलन के हित में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. उन्होंने उत्तर प्रदेश समेत देशभर में पार्टी को गुटों में बांटकर कमजोर करने की साजिश रची थी, इसलिए यह सख्त फैसला लिया गया.
राजनीतिक समीकरण और भविष्य की रणनीति
बसपा यूपी की राजनीति में खुद को दलित और पिछड़े वर्ग की मजबूत पार्टी के रूप में स्थापित रखना चाहती है. ऐसे में मायावती चाहती हैं कि संगठन में कोई भी नियुक्ति योग्यता और जनाधार के आधार पर हो, न कि पारिवारिक संबंधों के आधार पर.
क्या यह बसपा की रणनीति का हिस्सा है?
यह फैसला बसपा की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है. मायावती शायद आकाश आनंद को अभी सार्वजनिक जीवन में पूरी तरह सक्रिय करने के बजाय धीरे-धीरे आगे लाने की योजना बना रही हैं.