क्या है A-GPS जो आपकी हर हरकत पर रख रहा है नजर? विरोध में खड़ी हुईं Google और Apple जैसी कंपनियां
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Wednesday, December 10, 2025
Updated On: Wednesday, December 10, 2025
भारत सरकार स्मार्टफोन कंपनियों को A-GPS हमेशा सक्रिय रखने के लिए मजबूर करने पर विचार कर रही है. इससे सरकारी एजेंसियों को सटीक लोकेशन डेटा मिलेगा, लेकिन Google, Apple और Samsung ने इसे प्राइवेसी का बड़ा खतरा करार दिया है. जानिए क्या है A-GPS और क्यों हो सकता है यह भारतीय यूजर्स के लिए चिंता का विषय.
Authored By: Ranjan Gupta
Updated On: Wednesday, December 10, 2025
भारत में अब एक नया विवाद शुरू हो गया है. सरकार एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है जिसमें स्मार्टफोन कंपनियों को हमेशा सक्रिय A-GPS यानी सैटेलाइट लोकेशन ट्रैकिंग चालू रखने के लिए बाध्य किया जा सकता है. इस कदम का मकसद सरकारी जांच एजेंसियों की क्षमता बढ़ाना है, लेकिन तकनीकी दिग्गज Google, Apple और Samsung ने इसे गंभीर प्राइवेसी उल्लंघन करार दिया है. A-GPS तकनीक फोन की लोकेशन को मीटर स्तर तक सटीक बनाती है, और अगर यह अनिवार्य हो गया तो यूजर्स अपने फोन में लोकेशन सर्विस बंद भी नहीं कर पाएंगे. इस नई नीति से न केवल सरकारी एजेंसियां, बल्कि अनुमति प्राप्त ऐप्स भी आपके रियल-टाइम लोकेशन डेटा तक पहुंच सकते हैं. यह पहल भारतीय यूजर्स के लिए सुरक्षा और प्राइवेसी दोनों के लिहाज से कई सवाल खड़े करती है.
सरकार को सटीक लोकेशन की जरूरत क्यों है?
अभी तक जांच एजेंसियां केवल मोबाइल टावर की मदद से लोकेशन पता कर पाती हैं. ये लोकेशन अनुमानित होती है और कई बार सही नहीं होती. अपराधों की जांच में यह अधूरी जानकारी अक्सर बड़ी बाधा बन जाती है. इसी वजह से Cellular Operators Association of India ने सुझाव दिया है कि अगर सरकार स्मार्टफोन कंपनियों को A-GPS तकनीक अनिवार्य करने का आदेश दे, तभी सही लोकेशन मिल सकेगा. A-GPS सैटेलाइट सिग्नल और मोबाइल डेटा दोनों का इस्तेमाल करके लोकेशन को मीटर के अंतर तक सटीक बनाता है.
लोकेशन बंद करने का विकल्प खत्म हो सकता है
अगर यह नियम लागू हो गया, तो यूजर्स अपने फोन में लोकेशन सर्विस बंद नहीं कर पाएंगे. इसका मतलब है कि फोन हमेशा अपनी लोकेशन भेजता रहेगा, चाहे आप चाहें या नहीं. Google, Apple और Samsung का कहना है कि ऐसा नियम प्राइवेसी का गंभीर उल्लंघन होगा. उनका मानना है कि इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए.
A-GPS सर्विलांस क्या है?
A-GPS यानी Assisted Global Positioning System एक तकनीक है. यह आपके फोन को सैटेलाइट और मोबाइल नेटवर्क दोनों से मदद लेकर तेज और सटीक लोकेशन देती है. अगर सरकार इसे अनिवार्य कर देती है, तो आपका स्मार्टफोन हमेशा रियल-टाइम लोकेशन भेजने वाला डिवाइस बन जाएगा. इसका मतलब है कि न सिर्फ सरकारी एजेंसियां, बल्कि अनुमति प्राप्त ऐप्स भी आपकी गतिविधियों का पूरा लोकेशन पैटर्न बना सकती हैं. वह भी बिना आपकी जानकारी के.
भारतीय यूजर्स को चिंता क्यों करनी चाहिए?
सबसे बड़ा खतरा यह है कि लोकेशन बंद करने का विकल्प खत्म हो जाएगा. लोकेशन एक्सेस की चेतावनी भी गायब हो सकती है. ऐसे में भारत उन शुरुआती देशों में शामिल हो सकता है, जहां नागरिकों की लगातार निगरानी वैधानिक रूप से संभव हो जाएगी. अगर इतना सटीक लोकेशन डेटा गलत तरीके से इस्तेमाल हुआ, तो यह स्टॉकिंग, प्रोफाइलिंग, निजी आदतों की ट्रैकिंग और संवेदनशील पदों पर बैठे लोगों की निगरानी जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है.
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