‘प्री-इंस्टॉल्ड ऐप’ को क्यों नहीं कर सकते डिलीट, भारत में इसको लेकर क्या है नियम?
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Saturday, December 6, 2025
Updated On: Saturday, December 6, 2025
भारत में प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स को लेकर संसद में बहस तेज है. विपक्ष का दावा है कि संचार साथी जैसे ऐप्स यूजर्स की निजता पर हमला हैं, जबकि सरकार का कहना है कि ये सुरक्षा के लिए जरूरी हैं. लेकिन सवाल बड़ा है, क्या भारत में ऐसे ऐप्स को हटाने का कोई कानून है? दुनिया के बड़े देशों में इसके क्या नियम हैं? यही पूरी कहानी यहां सरल शब्दों में पढ़ें.
Authored By: Ranjan Gupta
Updated On: Saturday, December 6, 2025
Preinstalled Apps India: नया फोन खरीदते ही आप देखते हैं कि कई ऐप पहले से मौजूद होते हैं- गूगल, यूट्यूब, क्रोम, प्ले स्टोर और न जाने कितने. इन्हें तकनीकी भाषा में प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स कहा जाता है. बीते दिनों संसद के शीतकालीन सत्र में इन्हीं ऐप्स को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया. संचार साथी ऐप को फोन में प्री-इंस्टॉल करने के सरकारी आदेश पर विपक्ष ने तीखा सवाल उठाया और दावा किया कि इससे यूजर्स की निजता खतरे में पड़ सकती है.
लेकिन असल सवाल यह है कि भारत में प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स को लेकर कानून क्या कहता है? क्या यूजर को इन्हें हटाने का अधिकार है? क्या इन ऐप्स के जरिए डेटा चोरी हो सकता है? और दुनिया के देशों ने इस मामले में क्या नियम बनाए हुए हैं? यह रिपोर्ट आपको आसान शब्दों में बताती है कि प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स का असली सच क्या है, भारत में क्या नियम हैं, 2023 में क्या प्रस्ताव आया था और यूरोप-अमेरिका में यह सिस्टम कैसे चलता है.
‘प्री-इंस्टॉल्ड ऐप’ को हटाने का प्रस्ताव
2023 में केंद्र सरकार ने एक प्रस्ताव रखा था. इसमें कहा गया था कि यूजर्स को फोन में मौजूद ‘प्री-इंस्टॉल्ड ऐप’ हटाने का विकल्प मिलना चाहिए. अभी हालात अलग हैं. कई ऐसे ऐप फोन में पहले से होते हैं, जिन्हें लोग चाहकर भी डिलीट नहीं कर पाते. लेकिन यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ा. इसी वजह से नया नियम लागू नहीं हो सका.
भारत में क्या है नियम?
भारत में इस समय ‘प्री-इंस्टॉल्ड ऐप’ को हटाने को लेकर कोई साफ कानून नहीं है. कंपनियां मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में ऐप पहले से डालकर बेचती हैं. यूजर्स के पास इन्हें हटाने का कानूनी अधिकार भी नहीं है. यही कारण है कि कई ऐप फोन में हमेशा फंसे रहते हैं और उन्हें हटाना आसान नहीं होता.
दूसरे देशों में क्या स्थिति है?
यूरोपीय यूनियन इस मामले में सबसे सख्त है. वहां यह नियम है कि फोन कंपनियों को हर ऐप हटाने का विकल्प देना ही होगा. यह नियम ऐप्पल और गूगल जैसी कंपनियों पर भी लागू है. वहां यूजर चाहे तो किसी भी ऐप को एक क्लिक में डिलीट कर सकता है और अपनी पसंद का ऐप इंस्टॉल कर सकता है.
अमेरिका में ऐसा कोई खास कानून नहीं है. वहां भी डिवाइस में ‘प्री-इंस्टॉल्ड ऐप’ डाले जाते हैं. लेकिन फर्क ये है कि अगर किसी कंपनी को इस प्रैक्टिस से समस्या है, तो वह एंटी-ट्रस्ट कानून के तहत शिकायत कर सकती है.
यह भी पढ़ें :- दिसंबर में लॉन्च होने वाले हैं ये 5 धांसू स्मार्टफोन, पढ़ें डिटेल्स
यह भी पढ़ें
news via inbox
समाचार जगत की हर खबर, सीधे आपके इनबॉक्स में - आज ही हमारे न्यूजलेटर को सब्सक्राइब करें।















