सहस्त्रताल उत्तराखंड (Sahastratal Uttarakhand): खराब मौसम में फंसे ट्रेकर्स का रेस्क्यू ऑपरेशन , 9 की दर्दनाक मौत

सहस्त्रताल उत्तराखंड (Sahastratal Uttarakhand): खराब मौसम में फंसे ट्रेकर्स का रेस्क्यू ऑपरेशन , 9 की दर्दनाक मौत

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Saturday, June 8, 2024

sahastratal uttarakhand rescue operation
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सिल्ला-कुशकल्याण-सहस्त्रताल ट्रैक पर फंसे ट्रेकर्स की खोज एवं बचाव अभियान संपन्न हो गया है। इस बचाव अभियान में तेरह ट्रेकर्स को सुरक्षित निकाला गया है जबकि नौ ट्रेकर्स की दुखद मौत हुई है।

ट्रैकिंग दल का विवरण

  • 22 सदस्यीय ट्रैकिंग दल 29 मई को सहस्त्रताल के ट्रैकिंग अभियान पर निकला था।
  • इसमें कर्नाटक के 18 सदस्य और महाराष्ट्र का एक सदस्य शामिल थे।
  • साथ में तीन स्थानीय गाइड भी शामिल थे।
  • यह दल 7 जून तक वापस लौटना था।

बचाव अभियान की शुरुआत

  • 4 जून को मौसम खराब हो गया और ट्रैकर्स का दल रास्ता भटक गया।
  • संबंधित एजेंसी को दल के चार सदस्यों की मौत और अन्य के लापता होने की जानकारी मिली।
  • एजेंसी ने स्थानीय प्रशासन और उत्तराखंड सरकार से शीघ्र रेस्क्यू का अनुरोध किया।

सरकार और प्रशासन की भूमिका

  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बचाव अभियान में हर संभव विकल्प और संसाधन का प्रयोग करने की हिदायत दी।
  • उत्तराखंड प्रशासन ने कई विभागों के कर्मियों को बचाव अभियान में लगाया।

बचाव अभियान (Rescue Operation) की विस्तृत जानकारी

रेस्क्यू अभियान की शुरुआत

उत्तरकाशी प्रशासन के अनुसार, इस रेस्क्यू अभियान में तेरह ट्रैकर्स को सुरक्षित निकाल लिया गया था। नौ ट्रैकर्स को नहीं बचाया जा सका। बचाव अभियान की शुरुआत करते हुए वायुसेना के दो चीता हेलीकॉप्टर्स के जरिए घटनास्थल से चार शवों को निकाल कर नटिण हेलीपैड लाया गया। इस प्रकार हादसे में मरने वाले ट्रैकर्स की संख्या नौ हो गई।

बचाव दलों की तैनाती

उत्तरकाशी जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि घटनास्थल के लिए वन विभाग के 10 सदस्य, 2 राजस्व उपनिरीक्षक और 2 होमगार्ड सहित ग्राम सिल्ला के कुछ लोगों को भेजा गया था। उत्तरकाशी से एसडीआरएफ के 6 जवानों को टिहरी जिले के पिनस्वाड ग्राम से घटनास्थल पर भेजा गया था। घनसाली से वन विभाग के 3 एवं 1 स्थानीय निवासी के साथ एक अन्य टीम को भी घटनास्थल पर भेजा गया था।

हेलीकॉप्टर का प्रयोग

इस अभियान में सेना के दो चीता हेलीकॉप्टर ने जिले के मातली एवं नटिण हेलीपैड को बेस बनाकर बचाव अभियान को पूरा किया। 2 सिविल हेलीकॉप्टर द्वारा रेस्क्यू किए गए ट्रैकर्स को नटिण से सहस्त्रधारा देहरादून भेजा गया। सेना का एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर भी कार्रवाई के लिए तैयार रखा गया था।

अन्य सहायक दल

हेली सेवाओं के संचालन के लिए मातली हेलीपैड में आईटीबीपी एवं हर्षिल में सेना का सहयोग लिया गया। आईटीबीपी मातली से भी एक डॉक्टर एवं सीओ के नेतृत्व में 14 जवान घटना स्थल के लिए भेजा गया था। साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, भटवाड़ी को बचाव अभियान के बेस अस्पताल के रूप में एक्टिव किया गया था और लाटा गांव में भी चिकित्सक टीम तैनात की गई थी।

नियंत्रण कक्ष की भूमिका

उत्तरकाशी जिले के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने बताया कि जिला मुख्यालय में नियंत्रण कक्ष बनाया गया था। वे लोग नियंत्रण कक्ष से निगरानी कर रहे थे और बचाव दल को सुझाव और निर्देश तत्काल दिए जा रहे थे। इस तरह से 13 लोगों की जान बचाई जा सकी।

उत्तराखंड पर्यटन आंकड़े और ट्रैकिंग दुर्घटनाएं (Tracking Accidents)

  • उत्तराखंड में हर साल औसतन 100 से अधिक ट्रैकिंग दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें कई लोग घायल या लापता हो जाते हैं।
  • 2022 में, उत्तराखंड में कम से कम 237 लोग हिमालयी इलाकों में लापता हुए या मारे गए। इनमें से केवल 149 लोगों को ही बचाया जा सका।
  • पिछले 5 वर्षों (2018-2022) में, उत्तराखंड में ट्रैकिंग दुर्घटनाओं में कुल 428 लोगों की जान गई है।
  • सबसे अधिक दुर्घटनाएं उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों में होती हैं, जहां अधिकांश प्रमुख ट्रैकिंग मार्ग स्थित हैं।
  • उत्तराखंड सरकार के अनुसार, हर साल औसतन 100 से अधिक बचाव और खोज अभियान चलाए जाते हैं।
गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।
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