Wildfires List: दुनिया की 5 बड़ी आग, जापान तक पहुंच गया था रूस की आग का धुआं; चौंका देगा मौत का आंकड़ा

Wildfires List: दुनिया की 5 बड़ी आग, जापान तक पहुंच गया था रूस की आग का धुआं; चौंका देगा मौत का आंकड़ा

Authored By: JP Yadav

Published On: Saturday, January 11, 2025

Wildfires List: The 5 biggest wildfires and the shocking death toll
Wildfires List: The 5 biggest wildfires and the shocking death toll

Wildfires List: अमेरिका के लॉस एंजेलिस (Los Angeles Wildfires) के जंगलों में लगी भीषण आग ने 2 लाख से अधिक लोगों को बेघर कर दिया है. हॉलीवुड सेलिब्रिटी भी परेशान हैं.

Authored By: JP Yadav

Updated On: Saturday, January 11, 2025

Introduction

Top 5 Wildfires In Human History मानव सभ्यता के विकास में आग का बहुत बड़ा योगदान है. खाना बनाने से लेकर वाहन में भी आग की ही प्रमुख भूमिका निभाती है. आग का आविष्कार कब और किसने किया? इसकी ठीक-ठीक जानकारी तो किसी के पास नहीं, लेकिन आग की खोज आदिमानव ने की थी, इस पर अधिकतर वैज्ञानिकों की राय एक है. यह भी माना जाता है कि आग का आविष्कार पुरापाषाण काल में हुआ था. कुछ शोधकर्ताओं का दावा है कि आग की खोज 1.5 मिलियन (15 लाख) साल पहले हुई थी, जबकि कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि आग का इस्तेमाल मानव 1.7 मिलियन साल पहले से कर रहा है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि आग की खोज के बाद ही मनुष्य ने खाना पकाना शुरू किया था और इसका मानव विकास में खासा योगदान है. खाना बनाने से लेकर ट्रेन, बस और विमान की उड़ान में ईंधन यानी असल योगदान आग का ही है. आग की सकारात्मक के साथ नकारात्मक भूमिका भी है. यही आग अगर कहीं लग जाए तो सबकुछ स्वाहा कर देती है. अमेरिका के लॉस एंजेलिस के कुछ हिस्सों में जंगल में लगी आग इन दिनों दुनियाभर में चर्चा में है. इस आग ने बहुत नुकसान पहुंचाया है. कई लोगों की जान चली गई है, जबकि हजारों इमारतों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. लोग घर खाली करने को मजबूर हो गए हैं. कुल मिलाकर 2 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, इनमें हॉलीवुड के कई सेलिब्रिटी भी शामिल हैं. इस स्टोरी में हम जानेंगे मानव इतिहास की 5 बड़ी जंगल की आग के बारे में, जिसकी चर्चा सालों बाद भी होती है.

Siberia Wildfire: साइबेरिया के जंगलों में लगी आग, जापान तक पहुंचा था धुंआ

ऐसा माना जाता है कि आग का आविष्कार आदिमानव काल में हुआ होगा, क्योंकि जंगलों में रहने वाले लोग जंगली जानवरों से बचने के लिए आग इस्तेमाल करते थे. कहा जाता है कि आदिमानव ने आग की खोज पत्थरों को रगड़कर की होगी. इसके बाद आग का इस्तेमाल खाना पकाने के अलावा अन्य कामों में किया जाने लगा. जंगलों में लगने वाली सबसे बड़ी आग की बात करें तो साल 2003 में रूस के साइबेरिया में भीषण आग लगी थी. इस आग ने करीब 55 मिलियन एकड़ जंगल को जलाकर पूरी तरह से राख कर दिया था. यह जानकर हैरत होगी कि यह आग धीरे-धीरे रूस से लेकर चीन और फिर मंगोलिया तक फैल गई थी. तब इसका धुआं जापान तक देख गया था और जापान के कुछ हिस्सों में यह पहुंच भी गया था. इसके धुएं की वजह से रूस, चीन और जापान के लाखों लोग प्रभावित हुए थे. लोगों ने कई दिनों तक सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की थी. इसमें लोगों की जान भी चली गई थी. कितने लोगों की जान गई थी, इसका पुष्ट आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. रूस ने उस दौरान कबूल किया था कि इस आग ने लाखों जानवरों की जान ली, जिसमें हाथी जैसे बड़े जानवर भी शामिल थे. दुखद यह है कि दम घुटने से ज्यादा जानवर जल कर बेबसी में मरे थे. इतना ही नहीं, यह आग इतनी भीषण थी कि इसने लाखों जानवरों के साथ लाखों पड़ों को भी अपनी लपटों में घेर लिया था, इससे पेड़ जलकर राख हो गए थे. इसे मानव इतिहास की सबसे भयावह आग माना जाता है.

Australia Wildfire: मारे गए थे 3 अरब जानवर, 60 हजार से अधिक कोआला भी थे

वैज्ञानिकों का भी मानना है कि जंगल और आग का बहुत गहरा नाता है. जंगल की आग की तुलना सीधे-सीधे तबाही से की जाती है, क्योंकि इससे न केवल जंगल खत्म होते हैं, बल्कि बेजुबान जानवर भी मारे जाते हैं. हजारों-लाखों पेड़ भी इसकी बलि चढ़ जाते हैं और वनस्पति-खनिज का भी नुकसान होता है. इसके बाद जमीन को उपजाऊं बनने में सालों-दशकों लग जाते हैं. मानव इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी आग ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड में लगी आग को माना जाता है. यह आग 2019-2020 के दौरान लगी थी. ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड में बुश फायर की वजह से 40 मिलियन एकड़ से ज्यादा जंगल जलकर खत्म हो गए. यह आग इतनी भीषण थी कि करीब 3 अरब जानवर जलकर मर गए. इन जानवरों में 61,000 कोआला भी शामिल थे. कोआला दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला एक शाकाहारी जानवर है. यह जंगल में पेड़ों पर ही रहते हैं. कोआला को अक्सर ‘कोआला भालू’ भी कहा जाता है. बावजूद इसके यह भालू नहीं है. यह एक स्तनधारी प्राणी है जिसे मार्सुपियल कहा जाता है. खैर, न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड में लगी आग इतनी भयानक थी कि इसके चलते आस्ट्रेलिया समेत दुनिया भर में एक जबरदस्त तबाही मच गई थी. इससे आसपास के देश भी प्रभावित हुए थे. कई महीनों तक इसका धुआं आसमान में रहा था. सांस लेने में लोगों ने अपनी परेशानी जाहिर की थी. कई लोगों ने अपनी जान तक गंवा दी थी.

Canada Wildfire: अमेरिका और यूरोप की हवा हुई थी प्रदूषित

आग लगने के पीछे केवल मानवीय कारण ही नहीं होते हैं, बल्कि इसके पीछे प्राकृतिक वजहें भी सकती हैं. जंगल की आग के सबसे आम प्राकृतिक कारणों में से एक बिजली का गिरना है. बिजली गिरने की गर्मी से पेड़ की नमी वाष्पित होती है और चिंगारी से आग लगती है. इसके बाद हालात ऐसे बन जाते हैं कि यह पूरे जंगल में चपेट में ले लेती है. इसके अलावा, जंगल में आग लगने की वजहों में मानवीय गतिविधियां भी शामिल हैं. कई बार लोग जलती हुई सिगरेट की बट या फिर बीड़ी फेंक देते हैं. इसके अलावा कई बार लोग जश्न मनाने के दौरान कैंप फायर का आयोजन करते हैं. यह आग कभी-कभार नहीं बुझती है और इसकी चिन्गारी पूरे जंगल को राख कर देती है. मानव इतिहास की तीसरी सबसे बड़ी आग कनाडा में लगी थी, जिसमें 8.5 मिलियन एकड़ जंगल स्वाहा हो गया था. इसमें बड़ी संख्या में जानवर भी मारे गए थे. यह आग वर्ष 2014 में लगी थी. कनाडा (Canada) के उत्तर पश्चिमी इलाकों में आग ने 8.5 मिलियन एकड़ जंगल को जलाकर राख कर दिया। इस आग से उठे धुएं ने कनाडा के साथ-साथ पड़ोसी देश अमेरिका और यूरोप तक हवा में वायु प्रदूषण घोल दिया था.

America Wildfire: अगस्त से सितंबर तक जलता रहा जंगल

मानव इतिहास की चौथी बड़ी आग अमेरिका के अलास्का राज्य में लगी आग को माना जाता है. अलास्का के जंगल में लगी इस आग ने कई और राज्यों को अपने धुएं में घेर लिया था. इस आग से 6.6 मिलियन एकड़ जंगल जल गए थे. लाखों पेड़ राख हुए तो जानवरों की जानें भी गईं. 2004 के अगस्त महीने में लगी आग सितंबर तक जलती रही. इस आग को बुझाने का सारे प्रयास नाकाम रहे. जानकारों ने इस आग के पीछे मानव गतिविधियों को जिम्मेदार बताया था. वहीं, कुछ वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि यह आग बिजली गिरने के चलते लगी थी. खैर इस आग ने धीरे-धीरे पूरा जंगल चपेट में ले लिया. एक महीने तक जले जंगल ने अलास्का राज्य को धुआं-धुआं कर दिया था. अलास्का से सटे राज्यों में भी धुएं की वजह से लोगों को परेशानी हुई थी.

Victoria State Fire: महीनों तक जलता रहा जंगल

दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलियाई राज्य विक्टोरिया के जंगलों में अक्सर भीषण लगती रहती है. कभी-कभी जंगल की आग पर काबू पाने में महीने से अधिक का समय तक लग जाता है. साल 1939 में विक्टोरिया राज्य में लगी आग ने 5 मिलियन एकड़ से ज्यादा जंगलों को जलाकर राख कर दिया था. उस दौरान गर्मी और सूखा भी था. उस पर तेज हवाओं ने इसे और भी भीषण बना दिया था. मानव इतिहास की इस भीषण आग को Black Friday के नाम से जाना जाता है. विक्टोरिया राज्य में लगातार लगती ये आग न केवल जंगलों और जानवरों को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि पर्यावरण पर भी गहरा असर डालती हैं.

भारत के कई जंगल भी हैं संंवेदनशील

यहां पर बता दें कि भारत में जंगलों में आग लगती रहती है, लेकिन यूरोप, अमेरिका और आस्ट्रेलिया की तुलना में बहुत कम आग लगती है. वर्ष 2016 में उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग लगी थ. 2016 में अप्रैल और मई के दौरान करीब 1600 आग की घटनाएं दर्ज की गई थीं. इस आग ने 4538 हेक्टेयर यानी 11213 एकड़ जंगल जलकर राख हो गया था. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक भारत के वन क्षेत्र का करीब 36 प्रतिशत हिस्सा आग के लिहाज से बेहद संवेदनशील है. ऐसे में यहां आग लगना पर्यावरण के लिहाज से भी खतरनाक है.

यूरोप में क्यों फैलती है तेजी से जंगल की आग

यूं तो यूरोप और आस्ट्रेलिया के जंगलों में आग लगना सामान्य घटना, लेकिन कई बार ये आग विकराल रूप ले लेती हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका में जंगलों की आग के फैलने की सबसे बड़ी और ठोस वजह ‘सेंटा एना’ हवाएं हैं. ये हवाएं जमीन से समुद्र तट की ओर बहती हैं. कभी-कभार इनकी गति 100 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक हो जाती है. ऐसे में जंगल की आग में सेंटा एना हवाएं आग में घी का काम करती हैं. बताया जाता है कि सेंटा एना हवाएं अधिकतर सितंबर के अंत से और फिर मई तक चलती हैं. सेंटा एना हवाओं की वजह से लॉस एंजेलिस और दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया के कुछ हिस्सों में लोगों का बहुत दिक्कत पेश आती है.

About the Author: JP Yadav
जेपी यादव डेढ़ दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। वह प्रिंट और डिजिटल मीडिया, दोनों में समान रूप से पकड़ रखते हैं। अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान, लाइव टाइम्स, ज़ी न्यूज और भारत 24 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवाएं दी हैं। कई बाल कहानियां भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं. मनोरंजन, साहित्य और राजनीति से संबंधित मुद्दों पर कलम अधिक चलती है। टीवी और थिएटर के प्रति गहरी रुचि रखते हुए जेपी यादव ने दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक 'गागर में सागर' और 'जज्बा' में सहायक लेखक के तौर पर योगदान दिया है. इसके अलावा, उन्होंने शॉर्ट फिल्म 'चिराग' में अभिनय भी किया है।
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