Air Pollution Causes Asthma: लंग डिजीज और अस्थमा की वजह बन सकता है वायु प्रदूषण

Air Pollution Causes Asthma: लंग डिजीज और अस्थमा की वजह बन सकता है वायु प्रदूषण

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, November 21, 2024

Updated On: Thursday, November 21, 2024

air pollution causes asthma
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दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण चरम पर है। इससे अस्थमा और फेफड़ों की अन्य बीमारियां हो सकती हैं। वायु प्रदूषण से अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं। समस्या गंभीर होने पर समय से पहले मृत्यु (Air Pollution causes Asthma) भी हो सकती है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Thursday, November 21, 2024

दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या सबसे अधिक देखी जा रही है। वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन और अन्य प्रदूषकों के कारण शहर और आस-पास के क्षेत्र टॉक्सिक हो गये हैं। प्रदूषण का सबसे बुरा प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। अस्थमा के साथ-साथ फेफड़े की कई बीमारी होने की संभावना बढ़ (Air Pollution causes Asthma) जाती है।

क्या है वायु प्रदूषण (Air Pollution)

सेन्ट्रल पोलुशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार, वायु प्रदूषण वायु का ऐसे पदार्थों से संदूषण है, जो मानव स्वास्थ्य या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रदूषण गैसें, केमिकल या हवा में मौजूद छोटे कण हो सकते हैं। वायु प्रदूषण से अस्थमा होने का जोखिम बढ़ सकता है या अगर आपको पहले से ही अस्थमा है, तो लक्षण और भी खराब हो सकते हैं।

एयरबोर्न पार्टिकल (Airborne Particle)

धुंध, धुआं, कालिख और हवा में मौजूद धूल में पाए जाने वाले छोटे वायुजनित कण वायु की गुणवत्ता से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
छोटे वायुजनित कणों को “पार्टिकुलेट मैटर” या PM कहा जाता है। सबसे छोटे कण (PM2.5) सबसे खतरनाक होते हैं। वे फेफड़ों या यहां तक कि ब्लड में भी गहराई तक पहुंच सकते हैं।
• PM10 के उदाहरण: धूल, पोलेन, फफूंद
• PM2.5 के उदाहरण: कम्ब्शिब्ल पार्टिकल, कंपाउंड, मेटल, स्मोक और कालिख उत्सर्जन

एयरवेज को परेशान कर सकता है (Air pollution effect on Airways)

हार्वर्ड हेल्थ में प्रकाशित शोध बताते हैं, ‘अस्थमा से पीड़ित लोगों को छोटे कणों और जलन पैदा करने वाली गैसों में सांस लेने से ज़्यादा जोखिम होता है। वे एयरवेज को परेशान कर सकते हैं और अस्थमा को बदतर बना सकते हैं। ओजोन अस्थमा को ट्रिगर करता है, क्योंकि यह फेफड़ों और एयरवेज को बहुत परेशान करता है।’ नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), मीथेन (CH4)

अस्थमा और स्वास्थ्य को प्रभावित करता है वायु प्रदूषण (Air pollution causes Asthma)

अमेरिकन लंग एसोसिएशन के अनुसार, हवा में मौजूद छोटे कण और गैसें आपकी नाक या मुंह से होकर आपके लंग और ब्लड में जा सकती हैं। वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक और अल्पकालिक संपर्क दोनों से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

वायु प्रदूषण में सांस लेने से ये हो सकता है (Air Pollution effect on Lungs)

  • सांस लेने में समस्या
  • अस्थमा के दौरे
  • गहरी सांस लेने में कठिनाई
  • अस्थमा के लक्षणों का बिगड़ना
  • फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी
  • अस्थमा की दवाओं की अधिक खुराक की आवश्यकता
  • अस्थमा के लिए आपातकालीन उपचार की आवश्यकता
  • हृदय और रक्त वाहिकाओं की बीमारियां
  • समय से पहले जन्म, कम वजन, मृत बच्चे पैदा होना भी एयर पोलुशन के कारण हो सकता है
  • समय से पहले मृत्यु

वायु गुणवत्ता का पता कैसे चलेगा (AQI)

अमेरिकन लंग एसोसिएशन के अनुसार, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का उपयोग करके वायु प्रदूषण स्तर का पता लगाया जा सकता है। AQI वातावरण में ओजोन, कण प्रदूषण, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड की रिपोर्ट करता है।

जब AQI 101 या उससे अधिक होता है, तो यह अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है। उन्हें अपनी गतिविधि और दवा को बदलना पड़ सकता है। अगर अस्थमा है, तो लक्षण तब भी बिगड़ सकते हैं जब AQI का स्तर मध्यम (AQI 51-100) हो।

प्रदूषण से कैसे करें बचाव (Air Pollution Prevention)

हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के अनुसार, जब वायु प्रदूषण अधिक होता है, तो अस्थमा से पीड़ित लोगों को घर से बाहर कम निकलना चाहिए। खासकर सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक। अच्छी तरह हवादार, वातानुकूलित बिल्डिंग में रहें। सबसे महत्वपूर्ण बात-जब AQI अनहेल्दी स्तर पर हो, तो एक्सरसाइज या कड़ी मेहनत न करें।

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।

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