Sanyas Deeksha : जूना अखाड़ा में स्त्रियों को भी दी गई संन्यास दीक्षा, क्या है संन्यास का सही अर्थ

Sanyas Deeksha : जूना अखाड़ा में स्त्रियों को भी दी गई संन्यास दीक्षा, क्या है संन्यास का सही अर्थ

Sanyas Deeksha: Women receive sannyas initiation at Juna Akhara, meaning explained
Sanyas Deeksha: Women receive sannyas initiation at Juna Akhara, meaning explained

प्रयागराज कुंभ में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा में बड़ी संख्या में साधु और साध्वियों को संन्यास दीक्षा (Sanyas Deeksha) दी गई। संन्यास का अर्थ सब कुछ त्यागना ही है या कुछ और भी है? मोक्ष मिलने के बाद उनके शरीर का क्या होता है? जानते हैं ये सब कुछ इस आलेख में।

Sanyas Deeksha: जिस व्यक्ति को दुनियादारी से बहुत अधिक मतलब नहीं रहता है, उसके लिए अकसर हम संन्यासी शब्द इस्तेमाल कर लेते हैं। यह सच है कि संन्यास में व्यक्ति को घर-बार, परिवार और गृहस्थ धर्म से कोई मोह-माया नहीं रह पाता है। सनातन हिंदू धर्म संस्कृति के प्रचार-प्रसार एवं संवधर्न के लिए भी यह प्रक्रिया अपनाई जाती है। भारत की वैदिक सनातनी संस्कृति का हिस्सा रहा है संन्यास धर्म, जिसकी दीक्षा आज भी ली जा रही है। महाकुंभ नगर प्रयागराज में महाकुंभ के पावन अवसर पर अलग-अलग अखाड़ों में बड़ी संख्या में नागा संन्यासियों को संन्यास दीक्षा (Sanyas Deeksha) प्रदान की जा रही है।

हिंदू धर्म संस्कृति का प्रचार-प्रसार है लक्ष्य (Hindu religion and culture)

सनातन हिंदू धर्म की सेना कहे जाते हैं नागा संन्यासी। सनातन संस्कृति की रक्षा करने वाले संत एवं नागा संन्यासियों का जीवन अलग माना जाता है। इस जीवन में प्रवेश करने से पूर्व कई संस्कार कराए जाते हैं। इसी क्रम में महाकुंभ प्रयागराज में श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के नागा संन्यासियों को बड़ी संख्या में संन्यास दीक्षा दी गई। सनातन हिंदू धर्म संस्कृति के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन के लिए जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने मध्य रात्रि में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के साधुओं को बड़ी संख्या में “संन्यास दीक्षा” प्रदान किया।

साध्वियां पहनती हैं गत्ती (Sadhvi Gatti)

जून अखाड़े ने 150 से अधिक महिलाओं को भी दीक्षा दी। चौबीस घंटे निर्जला उपवास रखने के बाद गुरुओं की देखरेख में मुंडन, गंगा स्नान के बाद साध्वियों ने अपना-अपना पिंडदान किया। संन्यास दीक्षा से पहले इन्हें अवधूतानी कहा जाता है। संन्यास दीक्षा लेने के बाद स्त्रियां बिना सिला कपड़ा पहनती हैं, जिसे गत्ती कहा जाता है। संन्यासिनी अखाड़े में सभी साध्वियां गत्ती पहनकर ही रहती हैं।

क्या है संन्यास का सही अर्थ (Meaning of Sanyas)

संस्कृत में संन्यास का अर्थ है शुद्धिकरण, संन्यास का अर्थ है “सब कुछ शुद्ध होना”। यह सं- का संयुक्त शब्द है, जिसका अर्थ है “एक साथ, सब”, नि- जिसका अर्थ है “नीचे” और आस मूल शब्द अस से है, जिसका अर्थ है फेंकना या रखना। इस प्रकार संन्यास का शाब्दिक अनुवाद है “सब कुछ, सब कुछ नीचे रख देना”।

त्याग का है एक अनुष्ठान (Sacrifice Ritual)

प्राचीन सूत्र ग्रंथों में संन्यास शब्द त्याग के एक अनुष्ठान के रूप में विकसित हुआ। तीसरी और चौथी शताब्दी के आसपास यह जीवन का एक मान्यता प्राप्त चरण या आश्रम बन गया। हिंदू ग्रंथों में संन्यासियों को भिक्षु, प्रव्रजित, प्रव्रजिता, श्रमण, यति और परिव्राजक भी कहा जाता है।
संन्यास का अर्थ – कामनाओं के सम्यक न्यास से भी है। सम्यक न्यास का अर्थ सही दृष्टि स्थापित करना हो सकता है। अतः संन्यास होना अर्थात अग्नि, वायु, जल और प्रकाश के साथ एकाकार हो जाना है। संन्यास के जीवन का प्रत्येक क्षण परमार्थ को समर्पित होता है।

मोक्ष मिलने पर समाधिस्थ होते हैं संन्यासी (Sanyas Smadhi)

हिंदू धर्म में संन्यासी एक धार्मिक तपस्वी है, जो अपना अंतिम संस्कार कर सामाजिक या पारिवारिक प्रतिष्ठा के सभी दावों को त्यागकर संसार का त्याग कर देता है। अन्य साधुओं या पवित्र पुरुषों की तरह संन्यासियों का दाह संस्कार नहीं किया जाता है, बल्कि आम तौर पर ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए उन्हें समाधिस्थ (Samadhi) किया जाता है। उन्हें मिट्टी को सौंप दिया जाता है।

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