हनुमान जयंती 2025: कब है इस साल यह तिथि? क्या है इतिहास? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि!

हनुमान जयंती 2025: कब है इस साल यह तिथि? क्या है इतिहास? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि!

Authored By: Nishant Singh

Published On: Friday, April 11, 2025

Updated On: Thursday, April 10, 2025

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हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2025) पर जानिए कब है यह पावन तिथि और क्या है इसका धार्मिक महत्व? साथ ही जानिए बजरंगबली हनुमान जी के प्रेरणादायक संदेश, उनसे जुड़ी परंपराएं और कई रोचक तथ्य! रामभक्ति, साहस और निस्वार्थ सेवा के प्रतीक श्री हनुमान जी का जन्म इस दिन हुआ था, जो हमें शक्ति, भक्ति और विनम्रता का पाठ सिखाते हैं. आइए, इस विशेष अवसर पर उनके जीवन, इतिहास और उनसे जुड़ी परंपराओं को और गहराई से जानें!

Authored By: Nishant Singh

Updated On: Thursday, April 10, 2025

हर साल हनुमान जयंती का पर्व आते ही भक्तों के हृदय में अपार श्रद्धा और भक्ति की लहर दौड़ पड़ती है. यह केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भगवान हनुमान की असीम शक्ति, निष्ठा और भक्ति का प्रतीक है. इस दिन भक्त संकटमोचन के जन्मोत्सव को बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाते हैं. कहा जाता है कि इस दिन हनुमान जी की आराधना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. उनकी अपार शक्ति, अद्वितीय पराक्रम और श्रीराम के प्रति उनकी अटूट भक्ति, हर किसी को प्रेरित करती है. तो आइए, इस खास मौके पर जानें हनुमान जयंती का महत्व, इसकी परंपराएं और इससे जुड़ी रोचक पौराणिक कथाएं, जो आपके मन में भी भक्ति और आस्था का संचार कर देंगी!

हनुमान जयंती का महत्व: शक्ति, साहस और भक्ति का प्रतीक

हनुमान जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, शक्ति और अटूट भक्ति का उत्सव है. यह दिन पवनपुत्र हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो अपनी अपार शक्ति, निस्वार्थ सेवा और श्रीराम के प्रति अद्वितीय समर्पण के लिए जाने जाते हैं. हिंदू धर्म में हनुमान जी को संकटमोचन, अजर-अमर और सबसे बड़े भक्त के रूप में पूजा जाता है. उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति और साहस से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है.

रामायण में उनकी भूमिका अद्वितीय है—चाहे वह सीता माता की खोज में लंका पहुंचना हो, संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण का जीवन बचाना हो, या फिर भगवान राम के प्रति उनकी निःस्वार्थ भक्ति. उनकी कथा हमें यह सीख देती है कि जब मन में श्रद्धा और समर्पण हो, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती. हनुमान जयंती का यह पर्व हमें न केवल उनके जीवन से प्रेरणा लेने की सीख देता है, बल्कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों का साहस और धैर्य के साथ सामना करने की प्रेरणा भी देता है.

हनुमान जयंती की तिथि और समय

हनुमान जयंती हर वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को बड़े ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है. यह दिन पवनपुत्र हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में प्रसिद्ध है, जिन्हें शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, 2025 में हनुमान जयंती 12 अप्रैल, शनिवार को मनाई जाएगी. चैत्र पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 12 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 21 मिनट पर होगी और इसका समापन 13 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, हनुमान जयंती 12 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा, व्रत और हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है.

हालांकि, भारत के विभिन्न हिस्सों में हनुमान जयंती को अलग-अलग तिथियों पर मनाने की परंपरा है. उत्तरी भारत में यह पर्व चैत्र पूर्णिमा को मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में इसे मार्गशीर्ष या कार्तिक महीने में भी मनाया जाता है. कुछ क्षेत्रों में दीपावली के बाद कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भी हनुमान जयंती मनाने की परंपरा है.

इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं, मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और हनुमान जी से शक्ति, साहस और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं. ज्योतिषीय दृष्टि से, इस दिन चंद्रमा और सूर्य की विशेष स्थिति आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है, जिससे यह दिन और अधिक शुभ बन जाता है.

हनुमान जी की पूजा विधि: श्रद्धा और भक्ति से भरपूर अनुष्ठान

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हनुमान जयंती के दिन भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ बजरंगबली की पूजा-अर्चना करते हैं. इस दिन मंदिरों में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, भजन-कीर्तन होते हैं और भक्त हनुमान जी के जयकारे लगाते हैं. हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना इस दिन विशेष फलदायी माना जाता है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन से सभी तरह के भय और नकारात्मकता दूर हो जाती है. माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई प्रार्थना से सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं.

हनुमान जयंती पर प्रमुख पूजा विधि:

  • हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ
  • सिंदूर और चमेली के तेल से हनुमान जी का अभिषेक
  • मंदिर जाकर हनुमान जी के दर्शन और आरती
  • गुड़-चने, लड्डू और पान का भोग अर्पण
  • “ॐ हं हनुमते नमः” और अन्य विशेष मंत्रों का जाप
  • व्रत और ब्रह्मचर्य का पालन
  • जरूरतमंदों को भोजन और दान करना

इस दिन किए गए भक्ति भाव से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शक्ति, साहस और सफलता का संचार होता है.

हनुमान जी का जीवन और उनके अद्भुत कार्य

हनुमान जी केवल एक देवता नहीं, बल्कि शक्ति, भक्ति और पराक्रम की सजीव मूर्ति हैं. उनका जन्म वानर राज केसरी और माता अंजना के घर हुआ था, इसीलिए उन्हें अंजनेय भी कहा जाता है. पवन देव के आशीर्वाद से जन्मे हनुमान जी में अपार शक्ति थी. बचपन में ही उन्होंने सूर्य को फल समझकर निगल लिया था, जिससे पूरे ब्रह्मांड में अंधकार छा गया था.

रामायण में उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही. जब माता सीता का पता लगाने के लिए उन्हें लंका भेजा गया, तो उन्होंने समुद्र लांघकर वहां प्रवेश किया और माता सीता को भगवान राम का संदेश दिया. रावण के दरबार में उन्होंने अपनी शक्ति का परिचय देते हुए अपनी पूंछ से पूरी लंका को अग्नि में भस्म कर दिया. सबसे प्रसिद्ध प्रसंग तब आता है जब लक्ष्मण के मूर्छित होने पर वे संजीवनी बूटी लाने के लिए पूरे पर्वत को उठा लाए.

हनुमान जी का जीवन हमें सिखाता है कि भक्ति में कितनी शक्ति होती है. उनके साहस, निष्ठा और सेवा-भाव को देखकर ही उन्हें ‘राम भक्त हनुमान’ कहा जाता है. वे आज भी अमर हैं और अपने भक्तों की हर विपदा में सहायता करते हैं.

भारत में हनुमान जयंती की विशेषताएँ

भारत में हनुमान जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति, आस्था और उल्लास का महोत्सव है. यह पर्व पूरे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. उत्तर भारत में यह दिन विशेष रूप से मंदिरों में भव्य हनुमान चालीसा पाठ, सुंदरकांड के आयोजन और विशाल भंडारों के साथ मनाया जाता है. इस दिन श्रद्धालु हनुमान जी के मंदिरों में जाकर उन्हें सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाते हैं और उनकी आरती करते हैं.

महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में हनुमान जयंती का आयोजन कई दिनों तक चलता है, जिसमें भजन-कीर्तन और नगर कीर्तन निकाले जाते हैं. कर्नाटक और तमिलनाडु में इसे मार्गशीर्ष या कार्तिक महीने में मनाया जाता है, जहां भक्त विशेष उपवास रखते हैं और हनुमान जी की प्रतिमा को फूलों से सजाते हैं. उत्तर प्रदेश के काशी और प्रयागराज जैसे स्थानों में हनुमान जयंती पर भव्य शोभायात्राएँ निकलती हैं, जिनमें हनुमान जी की झांकियां आकर्षण का केंद्र होती हैं.

यह पर्व न केवल हनुमान जी की भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हमें शक्ति, निस्वार्थ सेवा और सच्चे समर्पण का संदेश भी देता है. देशभर में यह दिन भक्तों को उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा देता है.

हनुमान जी के प्रतीक और उनके आशीर्वाद

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हनुमान जी केवल शक्ति और भक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, निडरता और निस्वार्थ सेवा का भी उदाहरण हैं. उनके विभिन्न प्रतीक हमें जीवन में साहस, संकल्प और सच्ची भक्ति का मार्ग दिखाते हैं.

हनुमान जी के प्रमुख प्रतीक और उनका महत्व:

  • गदा (मेस) – हनुमान जी की गदा शक्ति और न्याय का प्रतीक है. यह दर्शाती है कि सच्चे भक्त को कभी अन्याय से डरना नहीं चाहिए.
  • पर्वत उठाते हुए रूप – संजीवनी बूटी लाने वाला यह स्वरूप निस्वार्थ सेवा, कर्तव्यपरायणता और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता का प्रतीक है.
  • झुके हुए हनुमान जी – भगवान राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति को दर्शाता है. यह हमें सिखाता है कि सच्ची सेवा ही सबसे बड़ी शक्ति है.
  • लाल रंग और सिंदूर – साहस, ऊर्जा और भक्त के प्रति उनकी कृपा का प्रतीक है. मान्यता है कि हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

हनुमान जी के आशीर्वाद:

शक्ति और साहस – हनुमान जी की कृपा से भक्त निर्भय और बलशाली बनता है.
रक्षा और संकटमोचन – वे अपने भक्तों को हर संकट से बचाते हैं.
आत्मविश्वास और विजय – जो सच्चे मन से उनकी आराधना करता है, उसे हर कार्य में सफलता मिलती है.
स्वास्थ्य और समृद्धि – हनुमान जी की भक्ति करने से शारीरिक और मानसिक बल की प्राप्ति होती है.

हनुमान जी के प्रतीक और उनके आशीर्वाद हर भक्त को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं और सच्ची भक्ति का महत्व समझाते हैं.

हनुमान जयंती और भारतीय समाज में उसकी भूमिका

हनुमान जी भारतीय संस्कृति में केवल एक आराध्य देवता नहीं, बल्कि भक्ति, निष्ठा और अदम्य साहस के प्रतीक हैं. उनका चरित्र हर युग में लोगों को प्रेरित करता आया है. हनुमान जयंती के माध्यम से समाज में उनके आदर्शों का प्रचार होता है और लोग उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं.

भारतीय समाज में हनुमान जी की भूमिका:

हनुमान जी भारतीय संस्कृति में केवल एक आराध्य देवता नहीं, बल्कि भक्ति, निष्ठा और अदम्य साहस के प्रतीक हैं. उनका चरित्र हर युग में लोगों को प्रेरित करता आया है. हनुमान जयंती के माध्यम से समाज में उनके आदर्शों का प्रचार होता है और लोग उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं.

भारतीय समाज में हनुमान जी की भूमिका:

भक्ति और निष्ठा का प्रतीक – हनुमान जी की भगवान राम के प्रति अटूट भक्ति हमें सिखाती है कि सच्ची निष्ठा ही जीवन में सफलता की कुंजी है.
साहस और पराक्रम – लंका दहन और संजीवनी पर्वत लाने जैसे कार्य हमें सिखाते हैं कि किसी भी मुश्किल परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए.
संघर्ष में सहायक – आज के समय में भी लोग हनुमान जी की पूजा संकटों से उबरने और आत्मबल प्राप्त करने के लिए करते हैं.
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा – उनकी जीवन गाथा नए युवाओं को मेहनत, अनुशासन और कर्तव्य के प्रति समर्पण की सीख देती है.
न्याय और धर्म का संदेश – हनुमान जी हमेशा धर्म और सत्य के मार्ग पर चले, जिससे हमें भी यह प्रेरणा मिलती है कि हम सही रास्ते पर रहें.

आज के दौर में हनुमान जी की उपासना सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि वे मानसिक और शारीरिक बल के प्रेरणास्रोत भी हैं. हनुमान जयंती के अवसर पर हमें उनके गुणों को आत्मसात कर समाज में सकारात्मकता और निडरता का प्रसार करना चाहिए.

हनुमान चालीसा का महत्व

हनुमान चालीसा केवल एक भजन नहीं, बल्कि भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता का स्रोत है. गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह चालीसा हनुमान जी की महिमा का गान करती है और उनके अद्भुत पराक्रम, भक्ति और कृपा को दर्शाती है. हनुमान जयंती के दिन इसका पाठ विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन भक्त हनुमान जी की आराधना कर उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं.

हनुमान चालीसा के लाभ:

संकटमोचन का वरदान – इसका नियमित पाठ करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है.
निडरता और आत्मबल – हनुमान चालीसा हमें हर भय से मुक्त कर आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करती है.
नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा – माना जाता है कि चालीसा का पाठ बुरी शक्तियों और नकारात्मक विचारों को दूर भगाने में सहायक होता है.
मानसिक शांति और एकाग्रता – हनुमान चालीसा का जप करने से मन शांत होता है और ध्यान केंद्रित करने की शक्ति बढ़ती है.
स्वास्थ्य और समृद्धि – इसे पढ़ने से मानसिक और शारीरिक ऊर्जा बनी रहती है और जीवन में समृद्धि आती है.

हनुमान जयंती के अवसर पर भक्त हनुमान चालीसा का पाठ कर अपनी भक्ति प्रकट करते हैं और हनुमान जी से शक्ति, साहस और कृपा की प्रार्थना करते हैं. यह चालीसा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता और प्रेरणा देने वाली एक अमूल्य कृति है.

हनुमान जयंती के संदेश और शिक्षाएँ

हनुमान जयंती न केवल हनुमान जी की जयंती का पर्व है, बल्कि यह उनके जीवन से मिलने वाली अनमोल शिक्षाओं को आत्मसात करने का भी अवसर है. हनुमान जी का जीवन निःस्वार्थ सेवा, अटूट भक्ति और असीम शक्ति का उदाहरण है, जो हर इंसान को सच्ची भक्ति और कर्मयोग की राह पर चलने की प्रेरणा देता है.

हनुमान जी की शिक्षाएँ:

निःस्वार्थ सेवा – हनुमान जी ने बिना किसी स्वार्थ के भगवान राम की सेवा की, जिससे हमें सिखने को मिलता है कि सच्चा सुख निस्वार्थ भाव से किए गए कार्यों में ही है.
अटूट भक्ति – उन्होंने जीवनभर भगवान राम को समर्पित होकर यह सिद्ध कर दिया कि श्रद्धा और भक्ति से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है.
परिश्रम और संकल्प – चाहे समुद्र पार करना हो या संजीवनी बूटी लाना, हनुमान जी ने कभी भी हार नहीं मानी. यह हमें जीवन में हर चुनौती का सामना साहस और धैर्य से करने की सीख देता है.
विनम्रता और समर्पण – अपार शक्ति के बावजूद हनुमान जी अहंकार से कोसों दूर रहे. उन्होंने हमेशा विनम्रता और गुरु भक्ति का उदाहरण पेश किया.
साहस और न्याय – हनुमान जी का चरित्र हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म की राह पर चलते हुए हर संकट से निडर होकर सामना करना चाहिए.

हनुमान जयंती हमें यह याद दिलाती है कि सच्ची भक्ति केवल पूजा तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह हमारे कर्मों और आचरण में भी दिखनी चाहिए. यदि हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएँ, तो हर कठिनाई से लड़ने की शक्ति हमें स्वयं मिल जाएगी.

वर्तमान समय में हनुमान जयंती का महत्व

आज के आधुनिक और व्यस्त जीवन में हनुमान जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मबल, धैर्य और सकारात्मकता को अपनाने का अवसर भी है. हनुमान जी की भक्ति, निस्वार्थ सेवा और अटूट विश्वास हमें सिखाता है कि कठिनाइयों से घबराने के बजाय उनका सामना कैसे किया जाए. वर्तमान समय में लोग मानसिक तनाव, भय और अस्थिरता से जूझ रहे हैं, ऐसे में हनुमान जी के आदर्श हमें आंतरिक शक्ति और साहस प्रदान करते हैं.

आज के दौर में हनुमान जयंती क्यों महत्वपूर्ण है?

मानसिक शांति और आत्मविश्वास – हनुमान चालीसा और उनके भजनों का पाठ मानसिक शांति और आत्मविश्वास को बढ़ाता है.
संकटों से लड़ने की प्रेरणा – जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना हनुमान जी की तरह धैर्य और निडरता से करना सीख सकते हैं.
नकारात्मकता से मुक्ति – हनुमान जी की पूजा हमें भय, तनाव और नकारात्मक विचारों से मुक्त कर सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है.
कर्तव्य और भक्ति का संतुलन – हनुमान जी ने दिखाया कि भक्ति और कर्म दोनों का सही संतुलन जीवन में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
युवाओं के लिए प्रेरणा – आज के युवाओं को परिश्रम, अनुशासन और निष्ठा का महत्व समझाने के लिए हनुमान जी का जीवन सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है.

हनुमान जयंती हमें याद दिलाती है कि चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, सच्ची भक्ति, निष्ठा और साहस से हर कठिनाई पर विजय प्राप्त की जा सकती है. यदि हम हनुमान जी के गुणों को अपने जीवन में अपनाएँ, तो हम भी मजबूत, धैर्यवान और सफल बन सकते हैं.

FAQ

हनुमान जयंती भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है. हनुमान जी को भगवान राम के परम भक्त, शक्ति, भक्ति और साहस के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है. इस दिन भक्त उनकी आराधना करके बल, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और जीवन में आने वाली कठिनाइयों से उबरने की प्रार्थना करते हैं.

वर्ष 2025 में हनुमान जयंती 12 अप्रैल को मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल को सुबह 3:21 बजे शुरू होगी और 13 अप्रैल को सुबह 5:51 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, यह पर्व 12 अप्रैल को मनाया जाएगा, जब भक्त मंदिरों में जाकर हनुमान जी की पूजा-अर्चना करेंगे.

हनुमान जयंती पर भक्त प्रातः स्नान कर शुद्ध मन से हनुमान जी की पूजा करते हैं. इस दिन हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामचरितमानस का पाठ किया जाता है. मंदिरों में विशेष आरती और भंडारे का आयोजन किया जाता है. कई भक्त उपवास रखते हैं और हनुमान जी को चोला चढ़ाकर, गुड़-चने या बूंदी का प्रसाद अर्पित करते हैं.

हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन में आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है. यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और भय व तनाव से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है. हनुमान जी की कृपा से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और भक्तों को शक्ति और बुद्धि प्राप्त होती है. संकटमोचन हनुमान जी की कृपा पाने के लिए इसका नियमित पाठ बहुत ही फलदायी माना जाता है.

भारत के विभिन्न राज्यों में हनुमान जयंती को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. उत्तर भारत में भव्य शोभायात्राएँ निकाली जाती हैं, दक्षिण भारत में यह पर्व मार्गशीर्ष माह में मनाया जाता है. महाराष्ट्र में यह चैत्र पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया जाता है. कई स्थानों पर हनुमान मंदिरों में भंडारे और धार्मिक प्रवचन का आयोजन किया जाता है.

About the Author: Nishant Singh
निशांत कुमार सिंह एक पैसनेट कंटेंट राइटर और डिजिटल मार्केटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता और जनसंचार का गहरा अनुभव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए आकर्षक आर्टिकल लिखने और कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने में माहिर, निशांत हर लेख में क्रिएटिविटीऔर स्ट्रेटेजी लाते हैं। उनकी विशेषज्ञता SEO-फ्रेंडली और प्रभावशाली कंटेंट बनाने में है, जो दर्शकों से जुड़ता है।
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