World Population Day कब और क्यों मनाया जाता है, जानें इस साल की थीम, इतिहास और महत्व
World Population Day कब और क्यों मनाया जाता है, जानें इस साल की थीम, इतिहास और महत्व
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Thursday, July 10, 2025
Updated On: Thursday, July 10, 2025
World Population Day 2025: विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है. इस दिन का मुख्य उद्देश्य यह है कि हम इन चुनौतियों को समझें, उनसे निपटने के उपाय करें और जनसंख्या स्थिरीकरण की दिशा में ठोस कदम उठाएं. 1987 में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी. इस विशेष दिन पर आइए जानते हैं कि World Population Day क्यों मनाया जाता है, इसका इतिहास क्या है, किस उद्देश्य के साथ इस दिवस को मनाया जाता है. साथ ही हम ये भी जानेंगे कि इस साल के लिए विश्व जनसंख्या दिवस का थीम क्या है.
Authored By: Ranjan Gupta
Updated On: Thursday, July 10, 2025
जनसंख्या एक राष्ट्र की शक्ति भी हो सकती है और दुर्बलता भी. अगर जनसंख्या नियंत्रित और सुव्यवस्थित ढंग से बढ़े तो यह मानव संसाधन के रूप में विकास में सहायक बनती है, लेकिन जब यह बेलगाम होती है तो संसाधनों की कमी, बेरोजगारी, प्रदूषण, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली जैसी कई समस्याओं को जन्म देती है. ऐसे में 11 जुलाई को मनाया जाने वाला “विश्व जनसंख्या दिवस” हमें जागरूक करता है कि हम एक जिम्मेदार समाज के रूप में अपनी भूमिका निभाएं. 2025 में भी यह दिन नई चुनौतियों और जिम्मेदारियों के साथ सामने आया है. इस लेख में आपको इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी पढ़ने को मिलेंगी. World Population Day कब और क्यों मनाते हैं, इसका महत्व क्या है, बढ़ती जनसंख्या कैसे हमें नुकसान पहुंचा रही है.
विश्व जनसंख्या दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न हो रही समस्याओं के प्रति जागरूक करना है. जैसे-जैसे वैश्विक जनसंख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे संसाधनों पर बोझ, गरीबी, कुपोषण, बेरोजगारी, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ रही हैं. इस दिन का मुख्य उद्देश्य यह है कि हम इन चुनौतियों को समझें, उनसे निपटने के उपाय करें और जनसंख्या स्थिरीकरण की दिशा में ठोस कदम उठाएं. 11 जुलाई को ही यह दिन इसलिए चुना गया क्योंकि 1987 में इसी दिन वैश्विक जनसंख्या 5 अरब को पार कर गई थी. इस ऐतिहासिक मील के पत्थर को चिह्नित करने और इसके प्रभावों पर चिंतन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को “विश्व जनसंख्या दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की.
विश्व जनसंख्या दिवस 2025 की थीम | World Population Day 2025 theme

हर साल इस दिन की एक खास थीम होती है, जो जनसंख्या से जुड़े किसी विशेष पहलू पर ध्यान केंद्रित करती है. विश्व जनसंख्या दिवस 2025 की थीम है:
“Empowering Youth, Ensuring Sustainability”
(“युवाओं को सशक्त बनाएं, स्थिरता सुनिश्चित करें”)
इस थीम का उद्देश्य यह दर्शाना है कि यदि युवा पीढ़ी को शिक्षा, स्वास्थ्य और अवसरों की सही सुविधा दी जाए तो न केवल उनकी जिंदगी सुधरेगी बल्कि जनसंख्या वृद्धि पर भी प्रभाव पड़ेगा. जागरूक और सशक्त युवा ही आने वाले भविष्य में जनसंख्या संतुलन बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं.
विश्व जनसंख्या दिवस का अवलोकन | Overview of World Population Day
विषय | विवरण |
---|---|
दिवस | विश्व जनसंख्या दिवस |
कब मनाया जाता है | 11 जुलाई |
घोषणा | संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा 1989 में |
पहली बार मनाया गया | 11 जुलाई 1990 |
2025 की थीम | Empowering Youth, Ensuring Sustainability (युवाओं को सशक्त बनाएं, स्थिरता सुनिश्चित करें) |
महत्व | जनसंख्या वृद्धि से संबंधित समस्याओं पर वैश्विक जागरूकता फैलाना |
उद्देश्य | परिवार नियोजन, यौन स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, जनसंख्या नीति पर ध्यान केंद्रित करना |
विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास | History of World Population Day

विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा 1989 में की गई थी. 11 जुलाई 1987 को जब दुनिया की आबादी 5 अरब के आंकड़े को पार कर गई, तब इस तेजी से बढ़ती आबादी को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंता जताई गई. यह पहला मौका था जब मानव जाति को यह एहसास हुआ कि यदि जनसंख्या वृद्धि की गति इसी प्रकार बनी रही, तो पृथ्वी के संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ेगा.
इसलिए 1989 में संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव पारित किया कि हर साल 11 जुलाई को “World Population Day” के रूप में मनाया जाएगा. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, गरीबी उन्मूलन, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर जागरूक करना है.
विश्व जनसंख्या दिवस का महत्व और उद्देश्य | Significance and Purpose of World Population Day
विश्व जनसंख्या दिवस केवल आंकड़ों की बात नहीं करता, यह एक वैश्विक चेतावनी है. इसका उद्देश्य है कि दुनिया भर के लोग जनसंख्या नियंत्रण को लेकर गंभीरता से सोचें. यह दिन हमें यह सोचने के लिए प्रेरित करता है कि यदि हमने समय रहते जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया, तो आने वाली पीढ़ियों को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.
इस दिन का उद्देश्य होता है:
- जनसंख्या नियंत्रण के उपायों के प्रति जागरूकता फैलाना
- परिवार नियोजन के तरीकों को बढ़ावा देना
- महिलाओं के अधिकारों और स्वास्थ्य सेवाओं पर ज़ोर देना
- किशोरों में यौन शिक्षा और सुरक्षित संबंधों की जानकारी देना
- सरकारों को जनसंख्या नीति बनाने और लागू करने के लिए प्रेरित करना
विश्व जनसंख्या दिवस की पिछले 5 वर्षों की थीम
पिछले वर्षों की थीम (2019-2024)
वर्ष | थीम |
---|---|
2019 | 25 Years of ICPD: Accelerating the Promise |
2020 | Putting the brakes on COVID-19: How to safeguard the health and rights of women and girls now |
2021 | Rights and Choices are the Answer: Whether baby boom or bust, the solution lies in prioritizing the reproductive health and rights of all people |
2022 | A world of 8 billion: Towards a resilient future for all- Harnessing opportunities and ensuring rights and choices for all |
2023 | Unleashing the power of gender equality: Uplifting the voices of women and girls to unlock our world’s infinite possibilities |
2024 | Investing in teenage girls: Unleashing potential, transforming futures |
कैसे मनाते हैं विश्व जनसंख्या दिवस? | How is World Population Day celebrated?
विश्व जनसंख्या दिवस को विश्वभर में कई तरह की गतिविधियों और अभियानों के माध्यम से मनाया जाता है. सरकारी संस्थाएं, NGO, शैक्षणिक संस्थान और स्वास्थ्य संगठन मिलकर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. इनमें जनसंख्या नियंत्रण के उपायों, स्वास्थ्य सेवाओं, परिवार नियोजन, यौन शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों पर विशेष जोर दिया जाता है.
रेडियो, टेलीविजन, अखबारों और सोशल मीडिया के माध्यम से बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाए जाते हैं. स्कूलों और कॉलेजों में पोस्टर प्रतियोगिता, वाद-विवाद, भाषण और नुक्कड़ नाटक आयोजित किए जाते हैं. डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर परिवार नियोजन के तरीके सिखाए जाते हैं.
भारत में विशेष रूप से क्या किया जाता है?

भारत दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों में से एक है, इसलिए यहां विश्व जनसंख्या दिवस को गंभीरता से मनाया जाता है. केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस दिन विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित करती हैं. शहरी और ग्रामीण इलाकों में लोगों को मुफ्त गर्भनिरोधक साधन उपलब्ध कराए जाते हैं.
आशा कार्यकर्ताओं और ANM (Auxiliary Nurse Midwife) द्वारा घर-घर जाकर महिलाओं को जनसंख्या नियंत्रण के लाभ समझाए जाते हैं. स्कूलों में छात्र-छात्राओं को यौन शिक्षा दी जाती है और TV व रेडियो पर सरकार के द्वारा जनसंख्या नियंत्रण अभियान चलाए जाते हैं.
वर्ष 2025 में भारत सरकार “राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण अभियान” के तहत 11 जुलाई को 100 से अधिक जिलों में विशेष जागरूकता कार्यक्रम और मेगा हेल्थ कैंप्स आयोजित कर रही है.
बढ़ती जनसंख्या कैसे नुकसान पहुंचा रही है?

बढ़ती जनसंख्या सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, यह हर क्षेत्र में असंतुलन और अस्थिरता का कारण बनती जा रही है. भारत जैसे विकासशील देशों में जहां संसाधन पहले से ही सीमित हैं, वहां यह समस्या और भी जटिल हो जाती है.
बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणामों में शामिल हैं:
- बेरोजगारी: जब जनसंख्या तेजी से बढ़ती है, तो नौकरियों की मांग बढ़ती है लेकिन रोजगार के अवसर उतनी तेजी से नहीं बढ़ते. इससे युवा वर्ग में निराशा और अपराध की प्रवृत्ति बढ़ती है.
- प्रदूषण और पर्यावरण संकट: अधिक जनसंख्या का मतलब है अधिक वाहनों, उद्योगों और कचरे का उत्पादन, जिससे वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है.
- स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव: सीमित संख्या में अस्पतालों, डॉक्टरों और दवाओं के बीच बड़ी आबादी को संभालना मुश्किल हो जाता है.
- शिक्षा में गिरावट: स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात बिगड़ता है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है.
- आवास की समस्या: अधिक आबादी होने से झुग्गी-झोपड़ियों का फैलाव होता है, जिससे शहरी जीवन अव्यवस्थित होता है.
- खाद्यान्न संकट: जमीन की कमी और उपजाऊ भूमि पर दबाव के कारण भोजन की कमी और भूख की समस्या गंभीर हो जाती है.
इसको रोकने के लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है?
भारत सरकार जनसंख्या नियंत्रण को लेकर पिछले कई दशकों से सक्रिय है. कई योजनाएं और कार्यक्रमों के जरिए लोगों को छोटे परिवार के लाभ समझाने का प्रयास किया जा रहा है.
सरकार द्वारा किए गए प्रमुख प्रयास:
- मिशन परिवार विकास: 146 उच्च प्रजनन दर वाले जिलों में लागू यह कार्यक्रम परिवार नियोजन सेवाओं को बढ़ावा देता है.
- गर्भनिरोधक साधनों की मुफ्त आपूर्ति: महिलाओं को IUCD, कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियां इत्यादि मुफ्त में दी जाती हैं.
- ASHA कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन: गांवों में ASHA कार्यकर्ता जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरूकता फैलाने का कार्य करती हैं और उन्हें इसके लिए सरकार से प्रोत्साहन राशि भी मिलती है.
- जनसंख्या नीति 2000: भारत सरकार की यह नीति वर्ष 2045 तक जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य रखती है.
- डिजिटल प्रचार: मोबाइल ऐप्स, टीवी विज्ञापन और सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियानों के माध्यम से युवाओं को टार्गेट किया जा रहा है.
हम अपने स्तर पर क्या प्रयास कर सकते हैं?
जनसंख्या नियंत्रण केवल सरकारी दायित्व नहीं है, यह हमारी भी जिम्मेदारी है. यदि हर नागरिक अपने स्तर पर सजग हो जाए, तो बड़ा परिवर्तन संभव है.
व्यक्तिगत प्रयासों में हम यह कर सकते हैं:
- परिवार नियोजन अपनाना: दो बच्चों का संकल्प लेकर आगे की पीढ़ी को संतुलन की दिशा में ले जाना.
- यौन शिक्षा को महत्व देना: बच्चों को किशोरावस्था में ही यौन शिक्षा देकर उन्हें सही निर्णय लेने में सक्षम बनाना.
- महिलाओं को निर्णय लेने में सहयोग देना: उन्हें प्रजनन से जुड़े फैसले लेने का अधिकार और समर्थन देना.
- स्वास्थ्य और शिक्षा पर निवेश: बच्चों की संख्या कम रखकर उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य पर बेहतर ध्यान देना.
- समाज में जागरूकता फैलाना: लोगों से बात करना, उदाहरण बनना और दूसरों को प्रेरित करना.
निष्कर्ष
विश्व जनसंख्या दिवस केवल एक दिन का आयोजन नहीं है, यह आने वाले कल को बेहतर बनाने की दिशा में एक वैश्विक प्रयास है. 2025 में जब हम “Empowering Youth, Ensuring Sustainability” की थीम के साथ इस दिन को मना रहे हैं, तो यह जरूरी है कि हम युवाओं को केंद्र में रखकर भविष्य के लिए ठोस योजनाएं बनाएं. सरकार, समाज और प्रत्येक नागरिक को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि जनसंख्या नियंत्रण सिर्फ एक नारा नहीं, एक व्यवहार बन सके. जब संसाधनों और जनसंख्या में संतुलन होगा तभी विकास, समृद्धि और खुशहाली संभव हो सकेगी.
FAQ
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