ड्यूक्स गेंद विवाद 2025: ENG vs IND टेस्ट में गुणवत्ता पर सवाल, खिलाड़ियों की नाराजगी और गेंद की साख पर उठते गंभीर खतरे

ड्यूक्स गेंद विवाद 2025: ENG vs IND टेस्ट में गुणवत्ता पर सवाल, खिलाड़ियों की नाराजगी और गेंद की साख पर उठते गंभीर खतरे

Authored By: Nishant Singh

Published On: Monday, July 14, 2025

Last Updated On: Monday, July 14, 2025

dukes ball controversy 2025 questions on quality in ENG vs IND test serious players
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इंग्लैंड-भारत टेस्ट सीरीज़ में ड्यूक्स गेंद एक बार फिर सुर्खियों में है. लेकिन इस बार उसकी गुणवत्ता सवालों के घेरे में है. लॉर्ड्स टेस्ट में बार-बार गेंद बदलना, बुमराह और गिल की नाराजगी, और सिराज की स्टंप माइक पर गूंजती आवाज़, क्या वाकई कुछ गड़बड़ है? इंग्लैंड के पूर्व कप्तान से लेकर भारतीय दिग्गजों तक, सभी की राय बंटी हुई है. गेंद निर्माता की सफाई और नियमों में बदलाव की मांग ने इस मुद्दे को और पेचीदा बना दिया है. क्या ड्यूक्स गेंद अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पाएगी, या क्रिकेट को एक नई गेंद की तलाश करनी पड़ेगी? जवाब अभी बाकी है.

Authored By: Nishant Singh

Last Updated On: Monday, July 14, 2025

Dukes Ball Controversy 2025: क्रिकेट में गेंद का महत्व उतना ही है जितना बल्ले का, और जब बात टेस्ट क्रिकेट की हो, तो ड्यूक्स गेंद को खास दर्जा हासिल है. दशकों से इंग्लैंड की पिचों पर अपनी मजबूती और स्विंग के लिए मशहूर यह गेंद अब विवादों के घेरे में है. भारत-इंग्लैंड 2025 टेस्ट सीरीज़ के दौरान, खासकर लॉर्ड्स टेस्ट में, ड्यूक्स गेंद की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं. मैच के दौरान दो बार गेंद बदलने की नौबत आई, जिससे खिलाड़ियों और विशेषज्ञों में असंतोष फैल गया. जसप्रीत बुमराह, शुभमन गिल, और मोहम्मद सिराज जैसे खिलाड़ियों की प्रतिक्रियाएं इस मुद्दे को और गरम कर गईं. क्या यह सिर्फ मौसम का असर है या ड्यूक्स गेंद की साख वाकई खतरे में है? 

लॉर्ड्स टेस्ट में गेंदों की अजीब हालत

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लॉर्ड्स टेस्ट के दौरान गेंद दो बार बदली गई. पहली बार 10.3 ओवर के बाद गेंद का आकार बिगड़ गया और वह रिंग टेस्ट में फेल हो गई. उस समय गेंद बुमराह के लिए काफी स्विंग कर रही थी और उन्होंने 14 गेंदों में तीन विकेट ले लिए थे. लेकिन जैसे ही गेंद बदली गई, भारतीय गेंदबाजों को वह स्विंग और मूवमेंट नहीं मिली. मज़ेदार बात यह रही कि दूसरी बदली गई गेंद भी महज़ आठ ओवर बाद बदलनी पड़ी, जिससे गेंदों के मौजूदा बैच की गुणवत्ता पर और भी सवाल उठे.

गिल-सिराज की नाराजगी और अंपायरों से बहस

यह विवाद चरम पर पहुंच गया, जब भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने महज़ 63 गेंदों के बाद दूसरी नई गेंद बदलने की मांग की. गेंद के आकार में गड़बड़ी के कारण अंपायरों ने रिंग टेस्ट किया और गेंद बदल दी, लेकिन इसके बाद भी भारतीय खिलाड़ी संतुष्ट नहीं दिखे. मोहम्मद सिराज की नाराजगी स्टंप माइक पर भी सुनाई दी, जब उन्होंने कहा, “यह सच में नई गेंद है?” इस घटनाक्रम ने न सिर्फ खेल की लय को बाधित किया, बल्कि दोनों टीमों के खिलाड़ियों और विशेषज्ञों के बीच बहस भी छेड़ दी.

बुमराह का अनुभव: 2018 बनाम 2025

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इस विवाद की शुरुआत दरअसल गेंद की गुणवत्ता को लेकर हुई. जसप्रीत बुमराह, जिन्होंने 2018 के इंग्लैंड दौरे में ड्यूक्स गेंद से शानदार गेंदबाज़ी की थी, ने इस बार गेंद की गुणवत्ता में स्पष्ट गिरावट बताई. बुमराह ने कहा कि 2018 में ड्यूक्स गेंद अपनी शेप बनाए रखती थी और लगातार स्विंग देती थी, लेकिन इस बार गेंद बहुत जल्दी नरम हो रही है और बल्लेबाज़ों के लिए खेलना आसान हो गया है. उन्होंने यह भी कहा कि वे इस मुद्दे पर कोई विवादास्पद बयान नहीं देना चाहते क्योंकि इससे उनकी मैच फीस कट सकती है, लेकिन उन्होंने यह जरूर माना कि मौजूदा गेंदें जल्दी खराब हो रही हैं, खासकर सूखे मौसम के कारण.

नासिर हुसैन का भारत पर तंज

शुभमन गिल की अंपायरों से बहस और बार-बार गेंद बदलने की मांग पर इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने भारतीय टीम की आलोचना की. हुसैन के मुताबिक, जब गेंद बुमराह के हाथों में थी, वह कमाल की स्विंग दे रही थी और विकेट भी गिर रहे थे, ऐसे में गेंद बदलने की कोई तुक नहीं थी. उन्होंने इसे ‘सबसे अजीब फैसलों’ में से एक बताया. कई इंग्लिश विशेषज्ञों ने भी भारत की इस मांग को खेल की लय बिगाड़ने वाला कदम बताया और कहा कि जब गेंद अच्छा प्रदर्शन कर रही थी, तब उसे बदलना समझ से परे है.

गावस्कर का पलटवार: भारतीय टीम का समर्थन

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दूसरी ओर, भारतीय दिग्गज सुनील गावस्कर ने शुभमन गिल और भारतीय टीम का बचाव किया. उन्होंने कहा कि गेंद महज़ 10 ओवर पुरानी नहीं लग रही थी, बल्कि 20 ओवर पुरानी जैसी दिख रही थी. गावस्कर ने इंग्लिश मीडिया पर भी तंज कसा कि अगर यही घटना भारत में होती, तो ब्रिटिश मीडिया इसे बहुत बड़ा मुद्दा बना देती. उन्होंने यह भी कहा कि गेंदों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं और अगर पर्याप्त समान गेंदें उपलब्ध नहीं हैं, तो यह आईसीसी और निर्माताओं की जिम्मेदारी है.

निर्माता की सफाई: “हम सुधार कर रहे हैं”

गेंद के निर्माता ड्यूक्स के मालिक दिलीप जाजोदिया ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि क्रिकेट गेंद बनाना आसान काम नहीं है, तभी तो पूरी दुनिया में सिर्फ तीन मान्यता प्राप्त निर्माता हैं. जाजोदिया के अनुसार, मौजूदा विवाद के पीछे मौसम की गर्मी, सूखा और बल्लेबाजों के भारी बल्ले भी जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा, “हम हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठे हैं, लगातार सुधार की कोशिश कर रहे हैं. अगर कहीं कोई गड़बड़ी है, तो हम उसकी समीक्षा करेंगे और सुधार लाएंगे”.

जो रूट का सुझाव: गेंद बदलने पर लिमिट लगाओ

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इंग्लैंड के बल्लेबाज जो रूट ने भी इस विवाद पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि बार-बार गेंद बदलने की मांग से खेल की गति प्रभावित होती है और नियमों में बदलाव की जरूरत है, ताकि गेंद बदलने की प्रक्रिया पर नियंत्रण रखा जा सके. रूट ने सुझाव दिया कि जैसे डीआरएस के लिए चैलेंज कैप होता है, वैसे ही गेंद बदलने की मांग के लिए भी सीमित चैलेंज दिए जाएं.

खेल की लय पर पड़ा असर

विवाद का असर सिर्फ खिलाड़ियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि दर्शकों और विशेषज्ञों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है. बार-बार गेंद बदलने से मैच की लय टूटती है, ओवर रेट पर असर पड़ता है और खिलाड़ियों की एकाग्रता भंग होती है. गेंदबाजों के लिए विकेट लेना मुश्किल हो जाता है, वहीं बल्लेबाजों को नरम गेंद से रन बनाना आसान हो जाता है. ऐसे में मैच का संतुलन बिगड़ सकता है और खेल की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े होते हैं.

विवाद या अवसर: क्रिकेट में बदलाव की ज़रूरत

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ड्यूक्स गेंद का यह विवाद क्रिकेट की परंपरा, तकनीक और खेल भावना से जुड़ा है. खिलाड़ियों, निर्माताओं और प्रशंसकों को मिलकर समाधान निकालना होगा, ताकि क्रिकेट का रोमांच और निष्पक्षता बनी रहे. यह विवाद क्रिकेट के विकास और नवाचार के लिए भी एक अवसर है. शायद आने वाले समय में गेंद की गुणवत्ता, निर्माण प्रक्रिया और नियमों में बदलाव देखने को मिलें.

फिलहाल, ड्यूक्स गेंद की प्रतिष्ठा पर सवाल उठे हैं, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह गेंद अपनी साख वापस पा सकेगी या फिर क्रिकेट को एक नई गेंद की तलाश करनी पड़ेगी. इंग्लैंड-भारत टेस्ट सीरीज़ के इस विवाद ने खेल को एक बार फिर याद दिलाया है कि क्रिकेट में छोटी-छोटी चीजें भी कितनी बड़ी बहस का कारण बन सकती हैं.

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निशांत कुमार सिंह एक पैसनेट कंटेंट राइटर और डिजिटल मार्केटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता और जनसंचार का गहरा अनुभव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए आकर्षक आर्टिकल लिखने और कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने में माहिर, निशांत हर लेख में क्रिएटिविटीऔर स्ट्रेटेजी लाते हैं। उनकी विशेषज्ञता SEO-फ्रेंडली और प्रभावशाली कंटेंट बनाने में है, जो दर्शकों से जुड़ता है।
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