Boon of Immortality: हनुमानजी के अलावा और किसने पाया अमरता का वरदान
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, September 8, 2025
Last Updated On: Monday, September 8, 2025
Boon of Immortality: अमरता का वरदान ईश्वर से मिला दिव्य आशीर्वाद है. हनुमानजी के अलावा अन्य कई हैं, जिन्हें ईश्वर से अमरता का वरदान मिला.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Monday, September 8, 2025
Boon of Immortality: हम सभी जानते हैं कि जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है. हिंदू धर्म में अमरता का वरदान ईश्वर से मिले दिव्य आशीर्वाद के प्रतीक रूप में देखा जाता है. यह इच्छा और परिणाम दोनों लाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमरता का वरदान प्रेम, भक्ति और अनन्त जीवन की खोज की सार्थकता को दर्शाता है. हम सभी जानते हैं कि हनुमानजी को अमरता का वरदान मिला है. उनके अलावा और भी कई ईश्वर भक्त हैं, जिन्हें अमर होने का वरदान (Boon of Immortality) मिला हुआ है.
जीवन और मृत्यु की प्रकृति
पुराणों में अमरता का वरदान इच्छा और दैवीय आशीर्वाद से जुड़ा हुआ है. इससे कई कथा जुड़ी हुई है. एक कछुआ जिसकी अतिशयता असफलता का कारण बनती है, महादेव से अनंत जीवन की कामना करने वाला वन और एक ब्राह्मण की पत्नी जो अपने पति के लिए अमरता का वरदान चाहती है. इसके अलावा, ब्रह्माजी द्वारा असुरराज महिष की अमरता के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया जाता है. यह जीवन और मृत्यु की प्रकृति पर बल देता है. समुद्र मंथन भी अमरता पाने के लिए ही किया गया था.
पुराण और महाकाव्य में अमरता का उल्लेख
- महाभारत – कौरव भाइयों ने एक ब्राह्मण से अनन्त जीवन का अप्राप्य उपहार मांगा, लेकिन अंततः अस्वीकार कर दिया गया. यह दैवीय सीमाओं का संकेत देता है.
- योग वशिष्ठ – एक ब्राह्मण की पत्नी अपने पति के लिए अमरता का वरदान प्राप्त करना चाहती है. इसमें उसका प्रेम और भक्ति उजागर होती है.
- देवी भागवत पुराण – ब्रह्मा जी असुर महिष की अमर होने की इच्छा जाहिर करने पर स्पष्ट कहते हैं कि जीवन और मृत्यु की प्रकृति के कारण यह पूरी नहीं हो सकती है.
- हरिवंश पुराण – एक वन महादेव से मृत्यु से मुक्त और शाश्वत जीवन की कामना करता है.हरिवंश पुराण संस्कृत साहित्य के बारे में बताता है, जो प्राचीन भारत के विशाल सांस्कृतिक इतिहास को संरक्षित करता है. इसमें ऐतिहासिक किंवदंतियां, धार्मिक अनुष्ठान, विभिन्न कला और विज्ञान को शामिल किया गया है. अठारह महापुराणों में कुल मिलाकर 400,000 से अधिक श्लोक (छंद) हैं और ये कम से कम कई शताब्दी ईसा पूर्व के हैं.
किन्हें मिला अमरता का वरदान
हनुमानजी के अलावा अमरता का वरदान पाने वाले अन्य चिरंजीवियों में अश्वत्थामा, वेदव्यास, विभीषण, मार्कंडेय ऋषि, राजा महाबली, परशुराम और कृपाचार्य शामिल हैं. मान्यता है कि ये आठ व्यक्ति आज भी पृथ्वी पर रहते हैं. इन सभी को विभिन्न देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त है. ये सभी विभिन्न ब्रह्मांडीय युगों से गुजर रहे हैं.
ये हैं आठ चिरंजीवी
Name | Description |
---|---|
अश्वत्थामा | द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा अपने युद्ध कौशल के लिए जाने जाते हैं. |
वेदव्यास | ऋषि वेदव्यास ने वेदों का संकलन किया और महाभारत की रचना की. |
विभीषण | असुर राजा रावण के धर्मात्मा भाई थे विभीषण. |
मार्कंडेय ऋषि | मार्कंडेय ऋषि अपनी अपार भक्ति और दीर्घायु के लिए जाने जाते हैं. |
महाबली | केरल के दयालु असुर राजा. |
परशुराम | भगवान विष्णु के एक अवतार हैं परशुराम. उन्हें योद्धा ऋषि के रूप में भी जाना जाता है. |
कृपाचार्य | कौरवों और पांडवों के गुरु थे कृपाचार्य |
हनुमानजी | भगवान राम के परम भक्त हैं हनुमानजी. |
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