एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंजेज का भविष्य बनते ‘मॉडल करियर सेंटर्स ’, बेरोजगारी से लड़ रहे युवाओं का कर रहे मार्गदर्शन

Authored By: अंशु सिंह (वरिष्ठ लेखिका और पत्रकार)

Published On: Tuesday, August 20, 2024

Updated On: Tuesday, August 20, 2024

Model Career Centres

देश में एक ओर बेरोजगारी की समस्या मुंह बाए खड़ी है। दूसरी तरफ, उद्योगों को कुशल यानी स्किल्ड युवा नहीं मिल रहे हैं। एआइ, मशीन लर्निंग के आने से वैश्विक जॉब मार्केट काफी बदल चुका है। इससे प्राइवेट से लेकर गवर्नमेंट सेक्टर में नौकरी को लेकर संघर्ष दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। सवाल है कि आखिर एक बेरोजगार युवा कहां और किससे मदद ले? देश भर में फैले एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंजेज की सक्रियता विगत वर्षों में घटती जा रही है। ऐसे में अब सारी उम्मीदें एवं आस राष्ट्रीय करियर सेवा एवं मॉडल करियर सेंटर्स पर टिकी हैं, जिन्हें एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंजेज का भविष्य भी कहा जा रहा...।

हाइलाइट

  • स्वतंत्र थिंक टैंक, ‘सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ (सीएमआइई) का ताजा आंकड़ा कहता है कि जून 2024 में देश में बेरोजगारी दर करीब 9.2 फीसदी थी, जो मई में सिर्फ 7 फीसदी थी।
  • महिला बेरोजगारों की संख्या करीब 18.5 फीसद थी, जो एक साल पहले तक 15.1 फीसद के आसपास थी।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की बात करें, तो जून 2024 में वह करीब 9.3 फीसदी थी, जबकि शहरी क्षेत्र में 8.9 फीसदी।

एक समय था जब सरकारी नौकरी के इच्छुक युवाओं की दौड़ एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज की ओर लगा करती थी। फिर चाहे वह मैट्रिक पास हों या ग्रेजुएट। कागजी कार्यवाही एवं पंजीकरण कराने के बाद उम्मीद बंधती थी कि कहीं न कहीं नौकरी लग ही जाएगी। लेकिन आज इन रोजगार एक्सचेंज के अस्तित्व को लेकर सवाल किए जाने लगे हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022 में देश में 1005 एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज ही सक्रिय थे। इसके अलावा, अगर एक्सचेंज में पंजीकृत शिक्षित उम्मीदवारों की संख्या की बात करें, तो वह करीब 36.2 लाख थी, जिनमें 13.4 लाख महिलाएं थीं। इतना ही नहीं, देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित एक्सचेंजेज में करीब 40 लाख युवाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिनमें से सिर्फ 6.4 लाख को नौकरी मिल सकी। इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट एवं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा तैयार ‘इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024’ पर विश्वास करें, तो वर्ष 2021 में आर्थिक गतिविधियों में शामिल युवाओं की संख्या सिर्फ 37 फीसद रही। रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुल बेरोजगारों में करीब 83 फीसदी युवा हैं, जिनकी उम्र 15 से लेकर 29 वर्ष है। यही जॉब मार्केट में नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

टेक्नोलॉजी ने बदला जॉब सर्च का तरीका

नौकरी का मतलब सिर्फ व्हाइट कॉलर जॉब नहीं होता। ब्लू कॉलर्ड जॉब्स करने वालों की संख्या कहीं अधिक है। देश के विकास एवं अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए हर प्रकार के कुशल लोगों, कारीगरों की जरूरत होती है। डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट, प्रशासनिक अधिकारी की तरह माली, ऑफिस ब्वॉय, ड्राइवर, कारपेंटर, इलेक्ट्रिशियन आदि का योगदान कम नहीं होता। पहले ये लोग सिर्फ एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज पर निर्भर थे। आज उन्हें उन स्पेशलाइज्ड एजेंसियों द्वारा सरकारी नौकरियों की जानकारी प्राप्त हो जाती है, जो संस्थानों की भर्ती प्रक्रिया देखते हैं। इसके अलावा, कई ऐसे जॉब पोर्ट्ल्स हैं, जो निजी एवं सरकारी क्षेत्र की नौकरियों की विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं। वाराणसी स्थित डीएवी कॉलेज के प्रो. उदय भान सिंह का कहना है, ‘युवा पीढ़ी एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज नहीं जा रही या कम जा रही है, इसका मतलब ये नहीं है कि वे नौकरी नहीं करना चाहते। असल में टेक्नोलॉजी के आने से जॉब सर्च करने का तरीका बदल चुका है। आज कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स हैं, जहां नौकरियों की जानकारी मिल जाती है। यही कारण है कि रोजगार महानिदेशालय, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंजेज के आधुनिकीकरण एवं कंप्यूटरीकरण का कार्य कर रहे हैं। रोजगार कार्यालयों को नेशनल करियर सर्विस पोर्टल से भी जोड़ने की योजना है।‘

इंडस्ट्री को नहीं मिल रहे कुशल युवा

हम नौकरी के इच्छुक लोगों की बात करें, तो दो वर्ष पहले तक सबसे ज्यादा जॉब सीकर्स की संख्या केरल (5.1 लाख) की थी। उसके बाद महाराष्ट्र (4.9 लाख), तमिलनाडु (4.8लाख) एवं उत्तर प्रदेश (4 लाख) की थी। एक ओर बेरोजगारी की समस्या है, दूसरी ओर इंडस्ट्री को कुशल पेशेवर नहीं मिल रहे। इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2024 के अनुसार, औपचारिक शिक्षा हासिल करने वाले केवल 50 फीसद युवा ही विभिन्न इंडस्ट्रीज की जरूरतों को पूरा कर पाने में सक्षम हैं। इस पर हीरो वायर्ड के संस्थापक एवं सीईओ अक्षय मुंजाल का कहना है, ‘सरकार ने बजट में जिस तरह से शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार सृजन के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, उससे उम्मीद है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से नौकरियों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त शीर्ष 500 कंपनियों में इंटर्नशिप के मौके उत्पन्न करने से अगले पांच साल में एक करोड़ से अधिक युवाओं को इंडस्ट्री की मांग के अनुकूल तैयार किया जा सकेगा।‘

नेशनल करियर सर्विस पोर्टल से बढ़ी उम्मीदें

National Careers Service

देश में बेरोजगारी की समस्या से निपटने के उद्देश्य से ही श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ओर से वर्ष 2015 में ‘नेशनल करियर सर्विस’ (एनएससी) पोर्टल लॉन्च किया गया। इसका कामकाज किसी रोजगार कार्यालय जैसा ही चलता है यानी देशभर से कोई भी बेरोजगार यहां नौकरी की तलाश कर सकता है। कंपनियां नौकरियां पोस्ट कर सकती हैं। इतना ही नहीं, नौकरी के ऑफर एवं रोजगार देने वाले राष्ट्रीय स्तर के मेलों की जानकारी भी इस पोर्टल से प्राप्त की जा सकती है। यहां एक प्लंबर, बढ़ई से लेकर टीचर, आइटी एक्सपर्ट जैसे रिक्त पदों की जानकारी आसानी से मिल जाती है। युवा अपनी शैक्षिक योग्यता एवं कुशलता के आधार पर जॉब के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इस तरह, एनसीएस का यह पोर्टल नौकरी देने व चाहने वाले, दोनों के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। यह उम्मीदवारों एवं नियोक्ताओं, प्रशिक्षण एवं करियर मार्गदर्शन की मांग करने वाले कैंडिडेट्स एवं प्रशिक्षण व करियर परामर्श प्रदान करने वाली एजेंसियों के बीच के अंतर को पूरा करने का कार्य करता है। यह अपने पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन करियर परामर्श एवं व्यावसायिक मार्गदर्शन प्रदान करता है।

मॉडल करियर सेंटर से मिल रहा युवाओं को परामर्श

ऑनलाइन परामर्श नेशनल करियर सर्विस का एक प्रमुख आकर्षण है। इसके अलावा, यह अपने देशव्यापी आदर्श करियर केंद्र अर्थात् मॉडल करियर सेंटर (एमसीसी-MCC) के नेटवर्क के माध्यम से जमीनी परामर्श सेवाएं भी प्रदान करता है। इसके लिए इन केंद्रों पर प्रशिक्षित युवा पेशेवरों एवं काउंसलर्स की नियुक्ति की जाती है, जो व्यक्तिगत एवं समूह में करियर संबंधी परामर्श देते हैं। लेकिन आज बहुसंख्य सेंटरों में कर्मचारियों की कमी दिखाई देती है। हैरानी इस बात की भी है कि अलग-अलग राज्यों में इसकी स्थापना के लिए केंद्र सरकार की ओर से ग्रांट भी दिया जाता है। एमसीसी के ऊपर ही नियमित रूप से ऑनलाइन एवं परिसर में रोजगार मेलों के आयोजन की जिम्मेदारी होती है। इन मेलों से नियोक्ताओं को उपयुक्त उम्मीदवार तक पहुंचने में मदद मिलती है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि एमसीसी की गतिविधियां सुचारू रूप से चलती रहें।

पिछले बीस वर्षों से दैनिक जागरण सहित विभिन्न राष्ट्रीय समाचार माध्यमों से नियमित और सक्रिय जुड़ाव व प्रेरक लेखन।

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