Jivitputrika Vrat 2024 : संतान की लंबी उम्र के लिए 25 सितंबर को मांए रखेंगी जीवित्पुत्रिका व्रत

Jivitputrika Vrat 2024 : संतान की लंबी उम्र के लिए 25 सितंबर को मांए रखेंगी जीवित्पुत्रिका व्रत

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, September 20, 2024

Updated On: Monday, January 20, 2025

Jivitputrika Vrat 2024
Jivitputrika Vrat 2024

जो भी माता जितिया यानी जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं, उनके संतान स्वस्थ और इच्छित लक्ष्य प्राप्त करने वाले होते हैं। उनकी संतान दीर्घायु होती है तथा जीवन भर सभी दुखों और कठिनाइयों से सुरक्षित रहती है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Monday, January 20, 2025

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, जो भी माता जितिया यानी जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं, उनके संतान स्वस्थ और इच्छित लक्ष्य प्राप्त करने वाले होते हैं। उनकी संतान दीर्घायु होती है तथा जीवन भर सभी दुखों और कठिनाइयों से सुरक्षित रहती है। जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 25 सितंबर है। 24 सितंबर को जितिया व्रत का नहाय खाय रखा जाएगा। 25 सितंबर को माताएं निर्जला व्रत रखेंगी। इसके बाद 26 (Jivitputrika Vrat 2024) को व्रत का पारण किया जाएगा।

नहाए-खाए के साथ व्रत की शुरुआत (Jivitputrika Vrat 2024)

जितिया यानी जीवित्पुत्रिका व्रत मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल के अनुसार, मां अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना लिए 24 घंटे से भी ज्यादा निर्जला रखती हैं। जो माएं इस व्रत का पालन करती हैं, इस व्रत का फल उनके बच्चे को बुरे स्थिति में बचाता है। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से संतान को सुखों की प्राप्ति होती है। नहाए-खाए के साथ इस व्रत की शुरुआत होती है।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार जितिया व्रत विधि (Jivitputrika Vrat Vidhi)

  1. ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल बताते हैं, ‘जितिया व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
  2. फिर सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  3. मिट्टी से चील और सियारिन की मूर्ति बनाएं। उनको भोग लगाएं।
  4. इसके बाद जीमूतवाहन की मूर्ति को धूपबत्ती और दीपक भी दिखाएं।
  5. जितिया व्रत की कथा (Jivitputrika Vrat Katha) पढ़ें और आरती करें।
  6. व्रत के बाद पारण करें। इस दिन मरुआ रोटी और नोनी साग बनाकर खाएं।
  7. पारण के बाद पूजा में इस्तेमाल किया गया तेल अपने बच्चों के सिर पर लगाएं।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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